
Zomato: ज़ोमैटो, स्विगी जैसी कंपनियों के फ़ूड डिलीवरी करनेवाले डिलीवरी एजेंट इन दिनों हर जगह दिखाई देते हैं. वो पैकेट लेकर आते हैं और ग्राहकों को उनका मनपसंद खाना थमाते हैं. लेकिन, पिछले दिनों नोएडा (Noida) में एक अलग तरह की घटना हुई जिसकी सोशल मीडिया पर बड़ी चर्चा हो रही है. एक सोशल वर्कर ने पिछले सप्ताह होली के दिन (14 मार्च) को ज़ोमैटो के एक डिलीवरी एजेंट को एक कस्टमर का खाना खाते हुए देखा. किरण वर्मा ने इस बारे में सोशल मीडिया वेबसाइट लिंक्डइन पर एक पोस्ट शेयर की है जिसके बाद इस बारे में सोशल मीडिया पर लोग प्रतिक्रियाएं कर रहे हैं.
ज़ोमैटो एजेंट ने खाया कस्टमर का खाना
किरण वर्मा ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि होली वाले दिन जब वह नोएडा में अपनी कार पार्क कर रहे थे, तब उन्होंने एक ज़ोमैटो डिलीवरी एजेंट को अपनी बाइक पर ऑर्डर किया हुआ खाना खाते देखा था. उन्होंने उसकी तस्वीर खींच ली और उससे पूछा कि वो इतनी देर से क्यों खा रहा है क्योंकि तब शाम के लगभग 5 बज रहे थे.
इसके जवाब में एजेंट ने बताया कि उसने यह ऑर्डर दोपहर 2 बजे उठाया था, लेकिन कस्टमर ने इसे लिया ही नहीं. इसके बाद उसने ज़ोमैटो के ऑफ़िस को बताया तो उन्होंने कहा कि इस ऑर्डर को डिलीवर किया हुआ मार्क कर दें और खाने का जो भी करना है कर लें. इसी वजह से वो यह खाना खा रहा था.

लिंक्डइन पोस्ट पर डाली गई तस्वीर
Photo Credit: LinkedIn @Kiran Verma
किरण वर्मा ने पोस्ट में लिखा,"कंपनियां अपनी लागत बचाने के लिए ऐसा करती हैं. यह अनैतिक या गलत लग सकता है, लेकिन यह अच्छा तरीका है, क्योंकि इससे डिलीवरी एजेंट अपने खाने पर थोड़ा पैसा बचा सकते हैं, और खाने की बर्बादी को भी कंट्रोल किया जा सकता है." हालांकि, एजेंट की बात सुन कर उन्होंने उससे पूछा कि उसने खाना पहले क्यों नहीं खा लिया? इसके जवाब में एजेंट ने कहा, "होली की वजह से, क्योंकि ऐसे दिनों पर हमें अधिक ऑर्डर डिलीवर करने पर एक्स्ट्रा पैसे मिलते हैं. दोपहर को पीक टाइम होता है. इसलिए मैं सिर्फ़ ऑर्डर डिलीवर करता रहा."
डिलीवरी एजेंट ने बताया कि वह एक छोटे किसान परिवार से है और उसके दो छोटे भाई-बहन हैं. पोस्ट में लिखा गया, "एजेंट ने कहा कि वह ग्रेजुएट है, उसे कोई ढंग की नौकरी नहीं मिल पा रही थी, इसलिए उसके पास यह आसान विकल्प था. उसका पूरा परिवार उसकी कमाई पर निर्भर है."
किरण वर्मा ने साथ ही लिखा कि उन्होंने उसे कुछ पैसे देने चाहे, तो उसने इनकार कर दिया और मुस्कुराते हुए जवाब दिया- "सर मैं कड़ी मेहनत कर सकता हूं, लेकिन भीख नहीं मांग सकता." वर्मा ने इसके बाद उसे कुछ गुजिया दी और उसके साथ गुलाल लगाते हुए एक फोटो भी खिंचवाई. उन्होंने आख़िर में लिखा,"मुझे नहीं पता कि "डिलीवर" मार्क करना सही है या गलत. लेकिन अब, मुझे पता है कि इससे भारत में विशाल जैसे लाखों लोगों की मदद हो रही है. मैं आप सभी से अनुरोध करता हूँ कि आप किसी के बारे में कोई राय ना बनाएं, जैसा मैंने किया था. (मुझे अभी भी बुरा महसूस हो रहा है क्योंकि मैंने पहले उसे जज किया था)."
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
इस लिंक्डइन पोस्ट पर सोशल मीडिया यूज़र्स अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं कर रहे हैं. जहां कुछ लोगों ने डिलीवरी एजेंट का बचाव किया और पोस्ट की सराहना की, वहीं कई और लोग इससे सहमत नहीं थे. एक यूज़र ने लिखा, "यह दिल को छूने वाली घटना थी. जहां तक पैकेट को डिलीवर के रूप में मार्क करने की नैतिकता का सवाल है, तो ज़ोमैटो को अपने ऐप में एक सरल बदलाव करने की ज़रूरत है, जिसमें "डिलीवरी का प्रयास किया गया लेकिन ग्राहक अनुपलब्ध है" का विकल्प जोड़ा जाना चाहिए.
एक अन्य यूज़र ने लिखा- "ज़ोमैटो का यह अच्छा काम है, लेकिन मेरा अनुभव कहता है कि कुछ डिलीवरी पार्टनर जानबूझकर डिलीवरी नहीं करते और इसका फ़ायदा उठाते हैं. ख़ास तौर पर जब आप ट्रेन से ऑर्डर करते हैं."
एनडीटीवी फूड ने इस घटना पर टिप्पणी के लिए ज़ोमैटो से संपर्क किया है, लेकिन उन्होंने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है.
अस्वीकरण: एनडीटीवी लिंक्डइन यूज़र के पोस्ट में किए गए दावों की पुष्टि नहीं करता है।