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Rajasthan: जयपुर के जेके लोन अस्पताल से चोरी हुए प्लाज़्मा के 76 बैग, अस्पताल के पुलिस में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराने पर उठ रहे सवाल

प्लाज्मा गंभीर बीमारियों के मरीजों के काम आता है और डॉक्टरों की राय के बाद ही मरीजों को चढ़ाया जाता है. इसलिए अब अस्पताल प्रशासन सवालों के घेरे में है की क्या इतने बड़े अस्पताल के ब्लड बैंक में स्टॉक वेरिफिकेशन की कोई व्यवस्था नहीं थी? इस पूरे मामले में अस्पताल प्रशासन के रवैए पर कई सवाल उठते हैं. 

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Rajasthan: जयपुर के जेके लोन अस्पताल से चोरी हुए प्लाज़्मा के 76 बैग, अस्पताल के पुलिस में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराने पर उठ रहे सवाल
जेके लोन अस्पताल

Plasma Stolen In JK Lon Hospital: जयपुर के जेके लोन अस्पताल के ब्लड बैंक से प्लाज्मा चोरी का बड़ा मामला सामने आया है. ब्लड बैंक में काम करने वाला लैब टेक्नीशियन कृष्णकांत कटारिया लंबे समय से ऐसी चोरियां कर रहा था. यह मामला तब सामने आया जब ब्लड बैंक के कर्मचारियों ने ही उसे चोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया. सख्ती से पूछताछ के दौरान उसने प्लाज्मा चोरी करने की बात कबूल कर ली. लैब टेक्नीशियन की कार में से काली थैली में रखे प्लाज्मा के 76 बैग भी बरामद हुए हैं. 

अस्पताल ने किया कमेटी का गठन 

इस मामले के सामने आने के बाद जांच के लिए जेके लोन अस्पताल ने एक हाई लेवल कमेटी बनाई है. कमेटी इस बात की जांच करेगी कि आखिर यह चोरी कब से चल रही थी और क्या इसमें कुछ और लोगों की संलिप्तता है? अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर कैलाश मीणा ने सीनियर प्रोफेसर रामबाबू शर्मा की अध्यक्षता में गठित की है. इस हाई लेवल कमेटी में प्रो० डॉ कपिल गर्ग, आईएचटीएम के एचओडी डॉ बीएस मीणा, अतिरिक्त अधीक्षक डॉ मनीष शर्मा एवं उपाधीक्षक डॉक्टर केके यादव शामिल हैं. 

अस्पताल का पूरा प्रशासन शक के घेरे में 

प्लाज्मा गंभीर बीमारियों के मरीजों के काम आता है और डॉक्टरों की राय के बाद ही मरीजों को चढ़ाया जाता है. इसलिए अब अस्पताल प्रशासन सवालों के घेरे में है की क्या इतने बड़े अस्पताल के ब्लड बैंक में स्टॉक वेरिफिकेशन की कोई व्यवस्था नहीं थी? इस पूरे मामले में अस्पताल प्रशासन के रवैए पर कई सवाल उठते हैं. 

अस्पताल ने पुलिस में नहीं दर्ज करवाई रिपोर्ट 

आखिर मामले का खुलासा होने के बाद भी अधीक्षक ने पुलिस में मामला क्यों नहीं दर्ज कराया? प्लाज्मा की अक्सर कमी रहती है ऐसे में ब्लड बैंक प्लाज्मा का रिकॉर्ड क्यों नहीं रख रहा था? 76 बैग का स्टॉक बहुत बड़ा होता है, क्या अकेले टेक्नीशियन इसमें संलिप्त था? सरकारी अस्पतालों में प्लाज्मा फ्री में मिलता है जबकि बाहर इसकी रेट 3000 से ₹4000 तक की है. इसलिए सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या आरोपी प्लाज्मा को निजी ब्लड बैंक की अस्पतालों में बेच रहा था?

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