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राजस्थान का ऐसा जिला जहां फूतरा पंचमी के खेल में भिड़ते हैं राजपूत, ब्राह्मण और पाटीदार समाज के युवा

राजस्थान के डूंगरपुर जिले के ओबरी कस्बे में होली के पांचवे दिन परंपरागत फूतरा पंचमी का खेल आयोजित किया गया. जिसमें राजपूत, ब्राह्मण और पाटीदार समाज के सैकड़ों युवाओं ने हिस्सा लिया.

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राजस्थान का ऐसा जिला जहां फूतरा पंचमी के खेल में भिड़ते हैं राजपूत, ब्राह्मण और पाटीदार समाज के युवा
फूतरा पंचमी का खेल

Rajasthan News: होली का त्योहार खत्म हो चुका है. लेकिन राजस्थान में कई जिलों में अब भी होली मिलन समारोह जैसे आयोजन किये जा रहे हैं. जबकि कुछ जगहों पर होली के बाद होने वाली पारंपरिक कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. ऐसे ही एक परंपरा के मुताबिक, एक खेल आयोजन में राजपूत, ब्राह्मण और पाटीदार समाज के युवा आपस में भिड़ते हैं. जहां तीनों समाज के सैकड़ों युवाओं के बीच खिताबी मुकाबला होता है. चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं.

दरअसल, राजस्थान के डूंगरपुर जिले के ओबरी कस्बे में होली के पांचवे दिन परंपरागत फूतरा पंचमी का खेल आयोजित किया गया. जिसमें राजपूत, ब्राह्मण और पाटीदार समाज के सैकड़ों युवाओं ने हिस्सा लिया. इस आयोजन में युवा हेमेंद्र सिंह को साहसी युवा का खिताब दिया गया. जिसके बाद पूरे गांव में विजय जुलूस निकाला गया.

क्या होता है फूतरा पंचमी का खेल

डूंगरपुर के ओबरी कस्बे में सालों से होने वाली इस पारंपरिक खेल में राजपूत, ब्राह्मण, पाटीदार समेत अन्य समाज के युवा फूतरा उतारने के लिए नायाब खेल खेलते हैं. इसे लेकर काफी उत्साह होता है. युवा इस खेल के लिए यहां के बसे स्टेंड बाजार में जमा हुए. जहां लोगों के जमा होने के बाद वह सभी राजपूत चौराहे पर आए और बैठ का आयोजन किया गया. खेल के लिए बैठक में दो दल बनाए गए. पहला राजपूत समाज के लोगों का आक्रमण दल व दूसरा ब्राह्मण, पाटीदार समाज के लोगों का रक्षक दल. सभी समाज द्वारा दोनों दलों को तिलक लगाया गया. जिसके बाद दोनों दल ढोल नगाड़ों की थाप पर जय राम श्रीराम, जय जय राम के नारों के साथ एक-एक करके माताजी मंदिर रोड़ स्थित उस खजूर के पेड़ के पास पहुंचे. जहां पहले से ही श्वेत कपड़ा (फूतरा)बंधा हुआ था. जहां इन दोनों दलों के बीच फूतरा उतारने का मुकाबला हुआ. जिसमें आक्रमण दल के युवा पेड़ पर चढ़ कर फूतरा उतारने की कोशिश की. तो वहीं दूसरी और रक्षक दल के युवा उन्हें रोकने की कोशिश करते रहे.

बड़ी मशक्कत के बाद आक्रमण दल के सदस्य गंभीर रूप से जख्मी होने के बावजूद भी हेमेंद्र सिंह ने खजूर के पेड़ पर बंधे श्वेत कपड़े को उतारने में सफलता हांसिल की. फूतरा उतारने वाले साहसी युवक हेमेंद्र सिंह का ग्रामीणों द्वारा पूरे कस्बे में जुलूस निकाला गया. बाद में जुलूस राजपूत चौराहे पर पहुंचा. जहां कस्बेवासी व समाज के लोगों द्वारा फूतरा उतारने वाले कमलेन्द्रसिंह को शौर्यवान व साहसी नाम से नवाजा गया है. साथ ही तिलक लगाकर व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया.

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