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This Article is From Mar 04, 2024

जोधपुर में देश के कोने-कोने से आए कृषि वैज्ञानिक, जलवायु परिवर्तन से हो रही समस्या पर चल रहा मंथन

देश भर के 250 वैज्ञानिक भविष्य की आधुनिक कृषि प्रणाली पर मंथन कर रहे हैं. क्लाइमेंट चेंज पर 'काजरी' निदेशक ने NDTV से कही यह बड़ी बात!

जोधपुर में देश के कोने-कोने से आए कृषि वैज्ञानिक, जलवायु परिवर्तन से हो रही समस्या पर चल रहा मंथन
काजरी सभागार के बाहर कृषि विशेषज्ञों की तस्वीर

Agriculture News: राजस्थान में कृषि क्षेत्र से जुड़ी बातों पर चर्चा करने के लिए विशेषज्ञ जुटें हुए हैं. कृषि विशेषज्ञों का कृषि से जुड़े विषयों पर मंथन को लेकर इन दिनों जोधपुर में स्थित केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान 'काजरी ' विभिन्न विषयों पर मंथन चल रहा है. जिसमें देशभर के विभिन्न प्रदेशों से आए कृषि विशेषज्ञ यहां आयोजित कृषि पारिस्थितिकी तंत्र विषय पर तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए. इस दौरान कृषि क्षेत्र में बढ़ते आधुनिकीकरण के साथ ही वर्ष 2050 तक के विजन को लेकर कई विषयों पर गहन चिंतन और मंथन भी किया जा रहा है.

3 दिवसीय कृषि के विशेषज्ञों के कुंभ में मुख्यतः जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) के विषयों पर भी विभिन्न कृषि विशेषज्ञों ने अपनी राय और रिसर्च को प्रस्तुत किए. वहीं अन्य प्रदेशों से कृषि का अध्ययन करने वाले रिसर्च स्कॉलर भी अपने शोध को लेकर विशेषज्ञों के समक्ष अपने शोध टॉपिक पर खुले मंच पर विशेषज्ञों से चर्चाएं भी की. 3 दिवसीय कॉन्फ्रेंस में देशभर के 250 से अधिक कृषि वैज्ञानिक सम्मिलित हुए.

देशभर के 250 कृषि वैज्ञानिक कर रहे चर्चा 

एनडीटीवी से खास बातचीत करते हुए काजरी के निदेशक डॉ. ओपी यादव ने बताया कि इस महत्वपूर्ण कार्यशाला में मुख्यतः दो विषयों पर मंथन हो रहा है. जिसमे देशभर के 250 से अधिक कृषि वैज्ञानिक इसमें चर्चा कर रहे हैं. सस्पेंनेडल डवलपमेंट गोल्ड का टारगेट वर्ष 2030 तक हमें पूरा करना है, इसकी संख्या ही 17 है. उसके अंदर जीरो हंगर, पावर रिडरक्शन, प्लस मोर रेजुलीमेंट क्लाइमेट एग्रीकल्चर, मोर हेल्दी फूड प्रोडक्शन, मोर हेल्दी फूड सिस्टम और इसी प्रकार के जो 17 डेवलपमेंट गोल्स है. उनके ऊपर अलग-अलग विषयों के एक्सपर्ट हैं. जहां हमने इसमें 7 अलग-अलग थीम पर इसका आयोजन किया है.

कई विषयों पर की गई चर्चा

चर्चा के लिए अलग-अलग सब्जेक्ट एरिया भी तय किये है. इसके अंदर पानी की उपलब्धता को कैसे बढ़ाया जाए, कम पानी से जो होने वाले नुकसान को कैसे कम किया जाए, नई फसलों के बारे में जो अधिक तापमान को भी सहन करके किस प्रकार से अच्छी पैदावार दे सकें, इन सभी विषयों पर भी चर्चा की जा रही है. जहां जिस प्रकार से तापमान में बदलाव आता है तो निश्चित रूप से कीड़े और फसलों में बीमारी में भी बदलाव आता है. किस प्रकार से नई वैरायटी बनाई जाए जिससे कि उन फसलों पर कीड़े और बीमारी न लगे. इन सब विषयों पर गहन मंथन चल रहा है.

क्लाइमेट चेंज एक बड़ी समस्या 

एनडीटीवी से खास बातचीत करते हुए कजरी के निदेशक डॉ. ओपी यादव ने बताया कि जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) में मुख्य रूप से तीन प्रमुख मुद्दे हैं. जिसमे जो बारिश का पैटर्न बदला है यह निश्चित रूप से कृषि के क्षेत्र को भी प्रभावित कर रहा है. क्योंकि देखा जा रहा है कि बदलते क्लाइमेट चेंज से समय से पहले बारिश हो रही है और समय से पहले ही बारिश चली भी जा रही है. इसके अलावा जो तापमान में वृद्धि हुई है यह बात अगर पश्चिमी राजस्थान की करें तो .5 से 1 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ने की संभावना जताई जा रही है. जिसके ऊपर फसलों का एडेप्टेशन और उसके साथ ही ह्यूमन बिन का एडेप्टेशन एक तरफ से चैलेंजिंग होने वाला है.

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