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अजमेर दरगाह विवाद से जुड़े वकील को कोर्ट से बाहर गोली से मारने की धमकी, 1 मार्च को होगी मामले में अगली सुनवाई

Ajmer Dargah Dispute: राजस्थान के अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के हिंदू मंदिर होने के दावे शुक्रवार को कोर्ट में सुनवाई हुई. इस सुनवाई के दौरान याचिका दायर करने वाले सभी पक्षों ने अपनी दलीलें पेश कीं. अब मामले में अगली सुनवाई 1 मार्च को मुकर्रर की गई है.

अजमेर दरगाह विवाद से जुड़े वकील को कोर्ट से बाहर गोली से मारने की धमकी, 1 मार्च को होगी मामले में अगली सुनवाई
अजमेर दरगाह.

Ajmer Dargah Dispute: अजमेर दरगाह में मंदिर होने के दावे की याचिका पर शुक्रवार को सिविल कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान याचिका दायर करने वाले पक्षों ने अपनी दलीलें पेश कीं. इसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई 1 मार्च को तय की है. हालांकि इस सुनवाई के दौरान उस समय माहौल चिंताजनक हो गया जब इस विवाद से जुड़े वकील को कोर्ट रूम के बाहर जान से मारने की धमकी दी गई. दरअसल अजमेर दरगाह विवाद की सुनवाई में शामिल होने पहुंचे सुप्रीम कोर्ट के वकील हुसैन मोइन फारूक को कोर्ट रूम से बाहर खुद को मीडिया वाला बताने वाले एक शख्स ने जान से मारने की धमकी दी. 

अजमेर दरगाह विवाद से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के वकील को जान से मारने की धमकी

वकील हुसैन मोइन फारूक ने बताया कि मै दिल्ली में प्रैक्टिस करता हूं. सुबह 10 बजे कोर्ट पहुंचे थे, हालांकि सुनवाई 2:30 बजे होनी थी, ऐसे में बाहर आ गया. जब मैं कार के पास जा रहा था, तब एक व्यक्ति खुद को मीडिया वाला बताते हुए आकर बोला- अगर 2:30 बजे आया तो गोली मार देंगे. वकील ने इस बात की जानकारी जज को दे दी गई है. जज ने तत्काल पुलिस को मामले में उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. 

अजमेर दरगाह विवाद से जुड़े वकील, जिन्हें कोर्ट के बाहर मिली जान से मारने की धमकी.

अजमेर दरगाह विवाद से जुड़े वकील, जिन्हें कोर्ट के बाहर मिली जान से मारने की धमकी.

जज मनमोहन चंदेल की कोर्ट में हुई सुनवाई

ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने के दावे प्रकरण में अब अगली सुनवाई 1 मार्च 2025 को होगी. शु्क्रवार को वादी और प्रतिवादियों के अधिवक्ताओं के बीच माननीय सिविल जज मनमोहन चंदेल की अदालत में सुनवाई हुई. सुनवाई में वादी पक्ष द्वारा पिछली आई वन टेन की एप्लीकेशन पर जवाब देने के लिए वादी के अधिवक्ताओं की ओर से समय मांगा गया. साथ ही वादी ने दरगाह कमेटी के द्वारा पूर्व तारीख पर दिए गए आवेदन पत्र का जवाब वादी विष्णु गुप्ता द्वारा दिया गया.

मामले में 6 और लोगों ने लगाई अर्जी

इस मामले में शुक्रवार को 6 और लोगों ने अर्जी लगाई. ऐसे में अभी तक कुल 11 पक्षकार बनने के लिए एप्लीकेशन आ चुकी है. वहीं दरगाह कमेटी के अधिवक्ता अशोक कुमार माथुर के द्वारा दावा चलने योग्य नहीं है, यह अर्जी लगाई गई थी. जिस पर वादी के अधिवक्ता योगेंद्र ओझा ने जवाब पेश किया . जिस पर  सुनवाई के बाद माननीय न्यायालय  जज ने अगली तारीख एक मार्च 2025 को नई तारीख दी.

दरगाह के दीवान बोले- दूसरे पक्ष के लोग भ्रमित कर रहे

दूसरी तरफ अजमेर स्थित ख्वाजा गरीब की दरगाह के दीवान सैयद जैनुअल अली आबेदीन के उत्तराधिकारी सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने आईएएनएस से बातचीत में बताया कि शुक्रवार को अदालत में 7/11 के मामले में दरगाह कमेटी द्वारा अपना जवाब दिया गया है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से यह तय हो गया है कि सज्जादानशीन ही दरगाह के प्रमुख होते हैं. दूसरे पक्ष ने जो दावा किया है, वह सिर्फ लोगों को भ्रमित करने के लिए ऐसा कर रहे हैं. दरगाह भी वर्शिप एक्ट में आती है, अगर कोर्ट में इस पर कोई दलील दी जाएगी तो हमारी तरफ से भी पक्ष रखा जाएगा.

सैयद सरवर चिश्ती बोले- हमारे पास 800 साल पुरानी किताबें मौजूद

अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने कहा, "हमने आज न्यायालय में पृथ्वीराज रासो की पुस्तक का हवाला दिया. पिछले 800 साल में दरगाह को लेकर ऐसी किसी स्थिति का जिक्र नहीं है. इसके अलावा 2003 में एएसआई द्वारा किए गए सर्वे की रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया है. दूसरे पक्ष द्वारा आज की किताबों के हवाले से दावे किए जा रहे हैं, लेकिन हमारे पास तो 800 साल पुरानी किताबें मौजूद हैं जिनमें दरगाह को लेकर कोई दावा नहीं किया गया है."

विष्णु गुप्ता बोले- दरगाह पर खादिमों का कोई अधिकार नहीं

याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता ने कहा, "आज मनमोहन चंदेल की अदालत में सुनवाई हुई है. न्यायाधीश ने सभी पक्षों को सुना है और हमने अभी तक किसी का जवाब नहीं दिया है. दूसरे पक्ष की 7/11 को खारिज करने के लिए हमने साल 1961 के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का जिक्र किया है, जिसमें साफ कहा गया है कि दरगाह पूजा करने का स्थल नहीं है. वहां खादिमों का कोई अधिकार नहीं है. इसके अलावा जो लोग खुद को ख्वाजा साहब का वंशज बताते हैं, उनका भी कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है. यह सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है."

दरगाह परिसर में सर्वे किए जाने की मांग

उन्होंने कहा कि हमारा केस खारिज करने के लिए वर्शिप एक्ट का हवाला दिया गया है, जबकि वर्शिप एक्ट में दरगाह और कब्रिस्तान नहीं आते हैं. हम सिर्फ यही चाहते हैं कि सभी पक्षों को सुना जाए, ताकि संभल जैसा मुद्दा बनाकर दंगा भड़काने की कोशिश न हो. जब सभी पक्षों को सुन लिया जाए तो इसके बाद दरगाह परिसर में सर्वे का आदेश दिया जाए."

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