Ajmer's Mayo College: भारत के प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक शिक्षण संस्थानों में शामिल मेयो कॉलेज अजमेर इस वर्ष अपने 150 वर्ष पूरे कर रहा है. इसकी स्थापना 1875 में उस दृष्टि के साथ की गई थी कि राजपूताना और देशभर के राजवंशीय युवराजों को आधुनिक और व्यवस्थित शिक्षा प्रदान की जाए. मेयो कॉलेज का विचार पहली बार 1869 में लेफ्टिनेंट कर्नल एफ.के.एम. वॉल्टर ने रखा था, जिसे आगे बढ़ाते हुए तत्कालीन वायसराय लॉर्ड मेयो ने ‘राजकुमार कॉलेज' बनाने की योजना को आकार दिया. यहीं से भारत में एक ऐसे विद्यालय की नींव पड़ी जिसे बाद में अंग्रेज़ी शिक्षा के मानकों पर “Eton of the East” का दर्जा मिला.
महाराजा मंगल सिंह का भव्य प्रवेश
मेयो कॉलेज के पहले छात्र अलवर के महाराजा मंगल सिंह थे. जब वे 1875 में कॉलेज में दाख़िला लेने आए, तो अपने साथ 12 हाथी और 600 घोड़े लाए. उनके साथ लगभग 500 नौकरों का बड़ा काफिला भी था. कहा जाता है कि उन्होंने सजे-धजे हाथी पर बैठकर प्रवेश किया और उनके आगे-आगे ऊँटों और तुरही बजाने वालों की भव्य शोभायात्रा चल रही थी. राजस्थान में राजा-महाराजाओं और सामंती परिवारों के लिए बनाया गया यह विद्यालय अब एक पब्लिक स्कूल बन चुका है. यह अपनी स्थापना के 150 वर्ष पूरे होने का उत्सव मना रहा है. यहाँ का हर बोर्डिंग हाउस किसी शाही महल की शैली में बनाया गया है.
1885 में तैयार हुआ भव्य मुख्य भवन
मेयो कॉलेज की पहचान उसके इंडो-सारासेनिक शैली में बने वास्तुशिल्प से भी है. कई डिज़ाइनों में से मेजर मेंट द्वारा तैयार की गई योजना को 1875 में चुना गया. लगभग आठ वर्षों में तैयार हुआ मुख्य भवन 1885 में पूरा हुआ, जिसकी लागत उस समय 3.28 लाख रुपये आई थी. यह भवन न सिर्फ राजस्थान बल्कि भारत में वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना माना जाता है. इसकी डिजाइन को आज भी स्थापत्य कला की कक्षाओं में पढ़ाया जाता है और इसका मूल ड्राफ्ट आज ब्रिटिश म्यूज़ियम लंदन के आर्काइव में सुरक्षित है.
आधुनिकता और परंपरा का संगम: 150 वर्ष बाद भी शिक्षा में अग्रणी
दो दशकों से कॉलेज में हिस्ट्री पढ़ा रहे मोहित मोहन माथुर बताते हे कि समय के साथ मेयो कॉलेज ने अपने दरवाजे केवल राजपूताने के राजघरानों के लिए ही नहीं, बल्कि देश-विदेश के विविध पृष्ठभूमि वाले छात्रों के लिए भी खोल दिए. खेल, घुड़सवारी, उत्कृष्ट आधुनिक शिक्षण सुविधाएं और सर्वांगीण विकास की परंपरा इसे देश के शीर्ष आवासीय विद्यालयों में स्थान दिलाती है.
1986 में भारत सरकार द्वारा जारी किया गया मेयो कॉलेज का डाक टिकट इस संस्थान की राष्ट्रीय प्रतिष्ठा का प्रमाण है. आज, 150 वर्ष पूरे होने पर मेयो कॉलेज न केवल अपने गौरवशाली अतीत का उत्सव मना रहा है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए नई शिक्षा यात्रा की दिशा भी तय कर रहा है.
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