Gandhi Vatika Jaipur: जयपुर में अशोक गहलोत सरकार के समय बनी गांधी वाटिका पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले साल दिसंबर में जैसे ही भाजपा सरकार आई तो सबसे पहले गांधी वाटिका न्यास को निरस्त किया गया. तभी से कांग्रेस इसका विरोध कर रही है. अब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने धरना देने की बात कही है.
अशोक गहलोत ने ट्वीट करते करते 28 सितंबर को धरना जयपुर के सेंट्रल पार्क में धरना देने की बात कही. उन्होंने लिखा, ''करीब एक साल पहले उद्घाटन हो जाने के बाद भी भाजपा सरकार ने सेंट्रल पार्क, जयपुर स्थित गांधी वाटिका म्यूजियम को आम जनता के लिए नहीं खोला है. करीब 85 करोड़ रुपए लागत से यह विश्वस्तरीय म्यूजियम बना है.
जनता के लिए खुले वाटिका
उन्होंने कहा कि, ''मैंने व्यक्तिगत तौर पर और पत्र लिखकर भी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से आग्रह किया कि जनता के बीच गांधीजी के सत्य और अहिंसा के संदेश को पहुंचाने के लिए इस म्यूजियम को शुरू किया जाए. सरकार की इस हठधर्मिता के विरोध एवं गांधी वाटिका म्यूजियम को आम जनता के लिए शुरू करने हेतु मैं एवं तमाम गांधीवादी 28 सितंबर, शनिवार को सेंट्रल पार्क के गेट नंबर 5 पर स्थित गांधी वाटिका म्यूजियम पर सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक धरना देंगे.''
भजनलाल सरकार ने किया न्यास को निरस्त
भजनलाल सरकार ने विधानसभा में एक विधेयक पेश करते हुए गांधी वाटिका न्यास को निरस्त कर दिया था. कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए गांधी वाटिका न्यास, जयपुर अधिनियम, 2023 को निरस्त कर दिया गया था. विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने कहा था कि गांधी संग्रहालय के बेहतर संचालन और महात्मा गांधी के विचारों के व्यापक और प्रभावी प्रचार-प्रसार के लिए गांधी वाटिका न्यास जयपुर (निरसन) विधेयक पेश किया गया है.
खरगे और राहुल गांधी ने किया था उद्घाटन
गांधी वाटिका उद्घाटन पिछले साल सितंबर में राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने किया था. जयपुर के सेंट्रल पार्क में 85 करोड़ रुपए की लागत से बनी गांधी वाटिका की विषय वस्तु गांधीवादी विचारकों की समिति के मार्गदर्शन में तैयार की गई है. वाटिका के भूतल पर अंग्रेजों के भारत आगमन से लेकर गांधीजी के दक्षिण अफ्रीका प्रवास तक के कालखंड को पांच हिस्सों में अंकित किया गया है.
गांधी के जीवन से जुड़े चीज़ें हैं वाटिका में
वहीं प्रथम तल पर गांधीजी के भारत में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलनों और उनके दर्शन को प्रदर्शित किया गया है. द्वितीय तल पर विशेष पुस्तकालय, सेमिनार हॉल एवं सम्मेलन कक्ष बनाया गया है. सम्मेलन कक्ष को ‘राजस्थान ने पकड़ी गांधी की राह', ‘गांधी : अपने आइने में मैं' और ‘गांधीजी के सपनों का संसार' तीन खंडों में बांटा गया है.
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