Sanchar Saathi Mobile App: संचार साथी मोबाइल ऐप को लेकर इस वक्त सियासी घमासान मचा हुआ है. सरकार जहां बढ़ते ऑनलाइन फ्रॉड का हवाला देकर सभी फोन पर यह ऐप प्री-इंस्टॉल कराना चाहती है, वहीं विपक्षी दल इसे 'जासूसी ऐप' करार देकर नागरिकों की निजता में दखल का आरोप लगा रहे हैं. राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी ऐप पर सवाल उठाये हैं. उन्होंने इसे सरकार द्वारा जासूसी की कोशिश करने वाला बताया है.
गहलोत ने ट्वीट करते हुए कहा है कि हर मोबाइल में संचार साथी ऐप डालना भाजपा सरकार द्वारा हर नागरिक की निजता का उल्लंघन कर उनकी जासूसी करने का प्रयास है. यह सर्विलांस राज का एक नया स्तर है. कोई भी नागरिक अपने मोबाइल से किससे बात करेगा, क्या बात करेगा यह सब अब सरकार की जानकारी में होगा.
हर मोबाइल में संचार साथी ऐप डालना भाजपा सरकार द्वारा हर नागरिक की निजता का उल्लंघन कर उनकी जासूसी करने का प्रयास है। यह सर्विलांस राज का एक नया स्तर है। कोई भी नागरिक अपने मोबाइल से किससे बात करेगा, क्या बात करेगा यह सब अब सरकार की जानकारी में होगा।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) December 3, 2025
यदि इसके लिए सुरक्षा कारणों…
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर इसके लिए सुरक्षा कारणों की दलील दी जा रही है तो उसके लिए सर्विलांस के नियम-कायदे पहले से मौजूद हैं. यह देश के सभी नागरिकों को डराने और ब्लैकमेल करने का प्रयास है. सभी नागरिकों को एकजुट होकर इसका विरोध करना चाहिए.
आरोप निराधार, बोले संचार राज्य मंत्री
उधर संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद अब संचार राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने भी दावा किया कि संचार साथी दूसरे ऐप की तरह ही है, जिसे यूजर अपने फोन पर एक्टिव कर सकते हैं या डिलीट कर सकते हैं. इसे अनिवार्य रूप से इंस्टॉल कराने के पीछे सरकार का मकसद ऑनलाइन धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग और खोए हुए मोबाइल फोन का पता लगाना है.