राजस्थान में मंगलवार से होम वोटिंग की शुरुआत हो गई. 80 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग और दिव्यांग जनों को होम वोटिंग की सुविधा दी गई है. प्रदेश में 62 हजार 927 मतदाताओं ने घर से वोट देने का विकल्प चुना है. उदयपुर शहर विधानसभा में 520 लोगों ने होम वोटिंग का विकल्प चुना है.
गौरतलब है निर्वाचन विभाग की टीम घर-घर जाकर लोगों की वोटिंग प्रक्रिया पूरी कर रही है. इस पहल से खासतौर पर दिव्यांगों और बुर्जुर्गों को फायदा हुआ है. उन्हें अब बूथ तक जाने की जहमत नहीं उठानी पड़ रही. उदयपुर में राधेश्याम कुमावत, आशा साल्वी और शंभूनाथ पाल जैसे 500 से अधिक लोग इस पहल से घर बैठे वोट कर पा रहे हैं.
करीब 7 साल पहले पैरालिसिस का शिकार हुए 62 वर्षीय राधेश्याम कुमावत पिछले साल दूसरा अटैक आया था, इसके बाद चलना-फिरना मुश्किल हो गया. बिना किसी के सहारे घर में भी चलना मुश्किल था. वे बताते हैं कि उन्होंने हर चुनाव में वोट किया है. इस बार होम वोटिंग की सुविधा नहीं होती तो वोट कर पाना संभव नहीं होता, लेकिनआयोग की पहल ने उन्हें न सिर्फ वोट करने का अवसर मिला, बल्कि चेहरे पर मुस्कान भी बिखेरी है.
बिस्तर पर ही अपना पूरा वक़्त बिताने वाले 81 वर्षीय शंभूनाथ पाल, जिन्हें उठने के लिए सहारे की जरूरत होती है, लेकिन विभाग की पहल की बदौलत बिना किसी के सहारे के वे वोट डाल पाए हैं. बीएलओ ओमप्रकाश ने उनसे 12डी फॉर्म भरवाया. शंभूपाल, राधेश्याम कुमावत और आशा साल्वी के बाद तीसरे वोटर हैं, जिन्होंने मंगलवार को घर से वोट डाला.
उल्लेखनीय है होम वोटिंग की इस पूरी प्रक्रिया में घर में ही एक बूथ तैयार किया जाता है. पूरी प्रक्रिया में करीब आधे घंटे का वक़्त लगता है. सबसे पहले मतदान के लिए खाली मतदान पेटी की वीडियो बना उस पर ताला लगाया जाता है. कार्डबोर्ड के पीछे मतदाता पेटी रख कर मतदान टीम ने सारी कागजी कार्यवाही पूरी की जाती है. इसके बाद मतदाता को प्रक्रिया समझाई जाती है और फिर मतदाता बैलट पेपर में निशान लगाकर उसे लिफाफे में डाल मतदान पेटी में रखते हैं.
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