Rajkumar Roat: चुनावी मंचों के साथ-साथ कई सार्वजनिक सभाओं में खुद को हिंदू नहीं मानने वाले बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत का मंगलवार को दूसरा ही रूप देखने को मिला. राजकुमार रोत ने मंगलवार को बांसवाड़ा के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल घोटिया आंबा पर आयोजित आदिवासी अधिकार दिवस के कार्यक्रम में न सिर्फ महादेव को धोक लगाई. बल्कि जगदंबा की पूजा में भी शामिल हुए. इस दौरान ऊं नमः शिवाय का जयकारा भी गूंजा. इसी आयोजन में 'गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्म' मंत्र का उच्चारण भी हुआ.
राजकुमार रोत के पूजा-पाठ का वीडियो वायरल
राजकुमार रोत के महादेव को धोक लगाने व पूजा में शामिल होने का वीडियो सोशल मीडिया पर तैर रहा है. जिसके आधार पर कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि जब बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत आदिवासी को हिंदू नहीं मानते हैं तो फिर वो हिंदू देवी-देवताओं की पूजा में शामिल क्यों हो रहे हैं. वहीं दूसरी ओर इसी कार्यक्रम में अपने संबोधन में रोत ने फिर दोहराया कि आदिवासी न हिंदू हैं, न मुस्लिम हैं, न ईसाई.
खुद को हिंदू नहीं मानते राजकुमार रोत
मालूम हो कि भारत आदिवासी पार्टी के संस्थापक सदस्य और बांसवाड़ा डूंगरपुर संसदीय क्षेत्र के सांसद राजकुमार रोत को खुद को हिंदू नहीं मानते हैं. इस मसले में उनके कई बयानों पर पूर्व में भी खूब सियासी चकल्लस भी हुई है. मदन दिलावर के डीएनए वाले बयान पर सांसद रोत उनके आवास पर खून का सैंपल तक देने पहुंच गए थे.
भगवान शिव की धोक लगाई, फूल-माला भी चढ़ाया
लेकिन इस सब विवादों के बाद मंगलवार को घोटिया आंबा पर राजकुमार रोत का दूसरा ही रूप सामने आया. एक और जहां भारत आदिवासी पार्टी की सभाओं में आदिवासी समाज को हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति से अलग बताते हैं , वहीं दूसरी ओर घोटिया आम्बा क्षेत्र में हुई आदिवासी अधिकार की सभा के बाद वह घोटिया आम्बा क्षेत्र में स्थित एक महादेव मंदिर में भगवान शिव को वह न केवल धोक लगाते नजर आए वरन उन्होंने पुष्प माला चढ़ाई और चढ़ावा भी चढ़ाया. उनके महादेव मंदिर में जाने और पुष्प माला चढ़ाना चर्चा का विषय बन गया है.
मानगढ़ धाम से शुरू हुआ था विवाद
मानगढ़ धाम पर विश्व आदिवासी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान आदिवासी महिलाओं को मंगलसूत्र नहीं पहनना चाहिए, सिंदूर नहीं लगना चाहिए, कलावा नहीं बंधना चाहिए और कोई व्रत त्योहार नहीं करने चाहिए सहित आदिवासी हिंदू नहीं होने का मुद्दा चर्चा का विषय बन गया था.
जिसके बाद से भारतीय जनता पार्टी सहित अन्य दलों ने भारत आदिवासी पार्टी के इस रुख को लेकर आक्रोश जताया था. वहीं आदिवासी समाज के ही कुछ अन्य संगठनों ने भी इस बयान का विरोध किया था. सांसद राजकुमार रोत ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी समाज के विरोधी नहीं हैं लेकिन वह इस बात पर कायम हैं कि आदिवासी समाज हिंदू नहीं है.
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