Bhangart fort: राजस्थान की संस्कृति और राजसी ठाठ-बाट की ख्याति देश-विदेश तक फैली हुई है. यहां के ऐतिहासिक किले केवल स्थापत्य कला के अद्भुत नमूने नहीं हैं, बल्कि अपने भीतर अनोखी कहानियां समेटे हुए हैं. कोई किला प्रेम की निशानी है, तो कोई सनक और जुनून का प्रतीक. कुछ किलों की मजबूत दीवारों में नाकाम चाहत की चीखें आज भी गूंजती हैं. इन्हीं में से एक है भानगढ़ का किला ( Bhangarh Fort) , जो दिन के समय तो सैलानियों की चहल-पहल से गुलजार रहता है, लेकिन शाम ढलते ही यहां वीरानियां छा जाती हैं. मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद यह किला रहस्यमय आवाजों से भर जाता है, जहां अक्सर सिसकते बच्चों और महिलाओं के रोने की आवाजें सुनाई देती हैं, जिसने इस किले को देश के सबसे भूतिया स्थानों में शुमार है.
राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है, जो जयपुर और अलवर शहरों के लगभग बीच में है. यह अरावली पहाड़ियों के बीच, सरिस्का अभयारण्य से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
500 साल पुराना इतिहास और वास्तुकला
इसे आमेर के शासक राजा भगवंत दास के जरिए 16वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में स्थापित यह प्राचीन नगर, जिसकी बसावट पुराने जयपुर की तरह बताई जाती है, अब अपनी रहस्यमय कहानियों और खंडहरों के लिए जाना जाता है. गाइड राजेंद्र मीणा के अनुसार,करीब 500 साल पुराने इस किले का इतिहास बेहद समृद्ध रहा है. मुगल सम्राट अकबर के दरबार(1556 1605 ईस्वी) में दीवान रहे राजा मानसिंह के भाई माधो सिंह ने इसे अपनी रियासत की राजधानी बनाया था. एक सर्वे रिपोर्ट बताती है कि 16वीं शताब्दी में भानगढ़ में 1 हजार से अधिक दुकानें और करीब 45 हजार की आबादी हुआ करती थी.
एक समय में जब यह लोगों से गुलजार था , उस समय एक सनक ने इस मजबूत शाही किले की दीवारों को श्राप से जकड़ दिया जो आज भी इसे ढोते हुए खंडहर हो रही है.
भानगढ़ को भूतिया किला क्यों कहते है
किले के खंडहर बनने के पीछे तांत्रिक कथा बेहद लोकप्रचलित कथा है. बताया जाता है कि राजा माधो सिंह की रानी रत्नावती जो कि महाकालेश्वर की परम भक्त थीं और स्वयं छह सिद्धियों की जानकार थीं, उन पर तांत्रिक सिंदू सेवड़ामोहित हो गया था. तांत्रिक अपनी तंत्र विद्याओं से रानी रत्नावती को एपने वश में करने की कोशिश की लेकिन रानी महाकालेश्वर की परमभक्त होने के कारण उसका वार खाली हो गया. गाइड ने आगे बताया कि जहां आज त्रिपोलिया बाजार लगता है वहां 16 वीं शताब्दी में एक बजार हुआ करता था.
उस बाजार में रानी की दासियां इत्र लेने गई. जिन्हें तांत्रिक ने अपने बस में लेकर रानी को वश में करने वाला एक दिया . दासी के उस इत्र को रानी को देते ही उन्हें शक हुआ , रानी ने तुरंत उस इत्र की शीशी को तांत्रिक सिंदू सेवड़ा को तांत्रिक छतरी के पर फेंका था. जब वह इत्र की शीशी स्टोन से टकराई तो उसका असर तांत्रिक पर हुआ.जिससे तांत्रिक ने मरते समय पूरे महल को तहस-नहस होने का शाप दे दिया. इसी शाप के कारण यह पूरा नगर खंडहर में बदल गया.
भानगढ़ किले में सुनाई देती है रात को डर की चीखें
स्थानीय लोगों का दावा है कि भानगढ़ के महल और उसके आसपास रात के समय भूतिया आवाजें आती हैं, जिनमें बच्चों के रोने की आवाज और शादी जैसा माहौल शामिल है. वैज्ञानिकों ने भी यहां सर्वे भी किया है और डिवाइस लगाकर कैमरे लगाए थे, जिसमें पैरानॉरमल एक्टिविटी दर्ज हुई थी. गाइड के अनुसार, पुरातत्व विभाग ने महल के तहखानों और सुरंगों को बंद कर दिया है.

Bhangarh fort
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कैसा था पहले यह भव्य शाही किला
मुख्य मंदिर गोपीनाथ, सोमेश्वर, केशव राय और मंगला देवी मंदिर हैं, जो प्राचीन काल से यहां मौजूद हैं. इन मंदिरों में गोपीनाथ मंदिर की मूर्ति का उल्लेख नहीं है, यहां की मूर्ति सोने से बनी होने के कारण चोरी हो गई थी, और ये महल नागर शैली में बने हैं. इस भानगढ़ किले का शाही महल सात मंजिला था, अब केवल चार मंजिलें ही बची हैं. पूरी बस्ती एक के बाद एक तीन सुरक्षा दीवारों से सुरक्षित है. बाहरी सुरक्षा दीवार में प्रवेश के लिए उत्तर से दक्षिण की ओर पांच द्वार बनाए गए हैं, जिन्हें अजमेरी, लाहौरी, हनुमान, फूलबाड़ी और दिल्ली गेट के नाम से भी जाना जाता है.
सात मंजिला महल में तीन मंजिला इमारत हो चुकी डिस्ट्रॉय
गाइड की मानें तो सात मंजिला महल की तीन इमारत डिस्ट्रॉय हो चुकी है तहखाने बंद है पुरातत्व विभाग ने सुरंगों को बंद किया है केवल महल चार मंजिला इमारत को पर्यटन देख सकते हैं.
सूर्य अस्त के बाद किले में नहीं है अंदर जाने की अनुमति
ऐसा कहा जाता है कि सूर्यास्त के बाद किसी को भी किले की ओर जाने की अनुमति नहीं है. पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की सुरक्षा में तैनात गार्ड शाम 5 बजे के बाद किसी को भी यहां रुकने की अनुमति नहीं देते हैं. शाम 5 बजे के बाद सभी पर्यटकों को बाहर निकाल दिया जाता है. ऐसा माना जाता है कि रात के समय भानगढ़ पैलेस में किसी भी तरह का मानवीय हस्तक्षेप नहीं हो सकता. हालांकि, वैज्ञानिकों ने भी इस भूतिया महल का कई बार सर्वेक्षण किया है जिसमें उन्होंने नकारात्मक ऊर्जा की मौजूदगी की पुष्टि की हुई है.
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