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This Article is From Apr 29, 2024

एकल पट्टा केस में कांग्रेस MLA शांति धारीवाल व 3 अधिकारियों को मिली क्लीन चिट, भजनलाल सरकार ने SC में पेश किया जवाब

बहुचर्चित एकल पट्टा मामले में कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल और तीन अन्य अधिकारियों पर लगे आरोपों पर भजनलाल सरकार ने क्लीन चिट दे दी है. सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने बताया है कि दस साल पहले के एकल पट्टा मामले  में कोई प्रकरण नहीं बनता है.

एकल पट्टा केस में कांग्रेस MLA शांति धारीवाल व 3 अधिकारियों को मिली क्लीन चिट, भजनलाल सरकार ने SC में पेश किया जवाब
कांग्रेस विधायक व 3 अधिकारियों को क्लीन चिट

Jaipur News: राजस्थान की भजनलाल सरकार ने बहुचर्चित एकल पट्टा मामले में कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल और तीन अन्य अधिकारियों पर लगे आरोपों पर क्लीन चिट दे दी है. सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए जवाब में बताया गया है कि दस साल पहले के एकल पट्टा मामले  में कोई प्रकरण नहीं बनता है. एकल पट्टा मामले में नियमों की पूरी पालना हुई थी, जिससे सरकार को किसी भी तरह का कोई वित्तीय नुकसान भी नहीं हुआ है.

कब का है मामला?

दरअसल ये पूरा मामला 29 जून 2011 का है. जब जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से शैलेंद्र गर्ग जो कि गणपति कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर थे. उनके नाम से एकल पट्टा जारी किया गया था. परिवादी रामशरण सिंह ने 2013 में इसकी शिकायत भ्रष्टाचार एसीबी में की थी. शिकायत के आधार पर गणपति कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर शैलेंद्र गर्ग, तत्कालीन एसीएस जीएस संधू, डिप्टी सचिव निष्काम दिवाकर, जोन उपायुक्त ओंकारमल सैनी और दो अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी. एसीबी कोर्ट में इनके ख़िलाफ़ चालान पेश हुआ था. विवाद बढ़ने पर जेडीए ने 25 मई 2013 को एकल पट्टा निरस्त कर दिया था.

वसुंधरा सरकार के समय ACB ने दर्ज किया था केस

इस मामले में  3 दिसंबर 2014 को तत्कालीन वसुंधरा सरकार के समय एसीबी ने मामला दर्ज किया गया था. तत्कालीन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल से भी पूछताछ भी हुई थी, लेकिन 2018 में राजस्थान में गहलोत सरकार के आते ही एसीबी ने तीन क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर पूर्व आईएएस जीएस संधू, पूर्व आरएएस निष्काम दिवाकर और ओंकरामल सैनी को क्लीन चिट दे दी थी. एसीबी की ओर से 19 जुलाई 2022 को तीसरी क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई थी. 

इसमें भी एसीबी ने एकल पट्टा मामले में किसी भी तरह अनियमित्ता नहीं मानते हुए कोर्ट से इन आरोपियों के खिलाफ दायर चार्जशीट को वापस लेने की एप्लिकेशन लगाई थी, लेकिन कोर्ट ने खारिज कर दिया था. एसीबी की अपील पर 17 जनवरी 2023 को हाईकोर्ट ने संधू, दिवाकर और सैनी के खिलाफ केस वापस लेने को सही माना था. इस दौरान परिवादी रामशरण सिंह की मृत्यु होने पर बेटे सुरेंद्र सिंह ने भी केस वाप लेने पर सहमति जता दी थी. 

राजस्थान सरकार ने SC में पेश किया जवाब

मामले में हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ आरटीआई एक्टिविस्ट अशोक पाठक की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर हुई थी.  इसे भ्रष्टाचार का केस मानते हुए कहा गया था कि केवल शिकायतकर्ता की सहमति के आधार पर इसे बंद नहीं किया जा सकता है. बड़ी बात ये है कि लोकसभा चुनाव के बीच राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी में 22 अप्रैल को जवाब पेश किया, जिसमें एकल पट्टा प्रकरण में कोई मामला नहीं बनने की बात कही गई है.

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