
Rajasthan News: राजस्थान का आदर्श गांव पिपलांत्री (Piplantri) एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार अपने विकास कार्यों के लिए नहीं, बल्कि झूठे प्रचार के कारण. आने वाले पंचायती राज चुनावों से पहले, कुछ लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर पिपलांत्री को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है, जिस पर ग्रामीण भड़क गए हैं और एकजुट होकर इसके खिलाफ खड़े हो गए हैं.
सोशल मीडिया पर किया जा रहा ये दावा
पिपलांत्री पंचायत को लेकर सोशल मीडिया में भ्रामक प्रचार किया जा रहा है. इसमें दावा किया जा रहा है कि गांव में गंदा पानी आ रहा है, मुक्तिधाम (श्मशान) का रास्ता खराब है और जलभराव जैसी समस्याएं हैं. गांव के लोगों का कहना है कि यह सब पूरी तरह से झूठा है और सिर्फ राजनीतिक फायदा उठाने के लिए किया जा रहा है.
ग्रामीण हुए लामबंद, कलेक्टर से की कार्रवाई की मांग
सोशल मीडिया में झूठी खबरें फैलने के बाद, पिपलांत्री के ग्रामीण लामबंद हो गए और पंचायत के बाहर जमा होकर नारेबाजी की. उन्होंने जिला कलेक्टर से मांग की है कि झूठी शिकायत करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. NDTV संवाददाता तरुण जोशी ने मौके पर जाकर हालात का जायजा लिया और पाया कि गांव में वैसी कोई समस्या नहीं है, जैसा कि सोशल मीडिया पर दिखाया जा रहा है.
क्या है पिपलांत्री मॉडल?
पिपलांत्री गांव अपने विकास के लिए पूरे देश में जाना जाता है. यह गांव ‘पिपलांत्री मॉडल' के नाम से मशहूर है. यहां मार्बल खनन का काम होने के बावजूद, गांव ने बेटी, पानी, पेड़ और गोचर भूमि के विकास पर शानदार काम किया है.
बेटी के जन्म पर 111 पेड़ लगाने वाला गांवयह वही मॉडल है, जहां गांव में बेटी के जन्म पर 111 पेड़ लगाए जाते हैं. इस मॉडल के लिए पंचायत के पूर्व सरपंच और प्रतिनिधि श्याम सुंदर पालीवाल को पद्म श्री से सम्मानित किया जा चुका है. यह गांव पंचायती राज के तहत हुए विकास कार्यों का एक बेहतरीन उदाहरण है.
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