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This Article is From Oct 26, 2023

CS वेंकटाचार: कर्नाटक का आदमी जो बना राजस्थान का CM, जिनकी चिट्ठी से रुका जोधपुर का पाकिस्तान में विलय

CS वेंकटाचार का नाम राजस्थान के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में दर्ज है. वो कुल 110 दिन सीएम की कुर्सी पर थे. सीआर वेंकटाचार ने राजस्थान के लिहाज से जो सबसे बड़ा काम किया, वो था जोधपुर का पाकिस्तान का विलय रोकना.

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CS वेंकटाचार: कर्नाटक का आदमी जो बना राजस्थान का CM, जिनकी चिट्ठी से रुका जोधपुर का पाकिस्तान में विलय
राजस्थान के दूसरे मुख्यमंत्री CS वेंकटाचार.

NDTV Rajasthan Political Kissa: राजाओं, महाराजाओं और रियासतों वाले प्रदेश राजस्थान की सर्द फिजाओं में इन दिनों सियासी तपिश है. वजह है हर पांच साल पर आने वाला लोकतंत्र का महापर्व. राज्य में विधानसभा चुनाव (Rajasthan Election 2023) का काउंटडाउन चल रहा है. प्रदेश की सभी 200 विधानसभाओं सीटों पर 25 नवंबर को एक चरण में मतदान होना है. वोटों की गिनती तीन दिसंबर को होगी. तीन दिसंबर का दिन करेगा कि राजस्थान में अगले पांच साल तक किसकी सरकार रहेगी.

चुनाव को लेकर जारी सियासी चकल्लस के बीच NDTV Rajasthan ने शुरू की है पॉलिटिकल किस्सों की एक खास सीरीज. इस सीरीज में हम आपको बताने जा रहे हैं प्रदेश की राजनीति के उन पुराधाओं की कहानी, जो अपने आप में अनूठी है. आज इस सीरीज में बात उस आदमी की, जो था तो कर्नाटक का लेकिन मुख्यमंत्री बना राजस्थान का. 

राजस्थान की राजनीति का यह इकलौता उदाहरण है, जब राज्य में सत्ता की बागडोर किसी दक्षिण भारतीय शख्स ने संभाली थी. हम बात कर रहे हैं राजस्थान के दूसरे मुख्यमंत्री कदांबी शेषाटार वेंकटाचार की. जो CS वेंकटाचार के नाम से ज्यादा मशहूर हुए.
 

वेंकटाचार थे तो सिविल सर्वेंट, लेकिन स्थितियां कुछ ऐसी बनी कि कर्नाटक के कोलार से निकले वेंकटाचार ने राज्यस्थान की सत्ता संभाली. यह देश में आईएएस के पद पर रहते हुए वर्किंग सीएम बनने का इकलौता मौका था.

110  दिन तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहे वेंकटाचार

CS वेंकटाचार का नाम राजस्थान के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में दर्ज है. वो कुल 110 दिन सीएम की कुर्सी पर थे. सीआर वेंकटाचार ने राजस्थान के लिहाज से जो सबसे बड़ा काम किया, वो था जोधपुर का पाकिस्तान का विलय रोकना. यह दौर देश की आजादी के तुरंत बाद का था. तब देश में 562 रियासतें थी. जिनके सामने भारत, पाकिस्तान या स्वतंत्र रहने का विकल्प अंग्रेजों ने दिया था. उस समय जोधपुर रियासत के महाराजा हनवंत सिंह थे. मोहम्मद अली जिन्ना जोधपुर को पाकिस्तान में शामिल कराना चाहते थे. 

खाली कागज पर सिग्नेचर कर जिन्ना ने जोधपुर के राजा को दिया था 
5 अगस्त 1947 को जोधपुर के महाराजा हनवंत सिंह की मोहम्मद अली जिन्ना से मुलाकात हुई. इस मुलाकात में जिन्ना ने हनवंत सिंह को एक खाली कागज पर सिग्नेचर करके दिया था और कहा जो भी शर्तें हो लिख लीजिए. मैं सब मान लूंगा बस पाकिस्तान में शामिल हो जाओ. इस बात की भनक वेंकटचार को लग गई, जो तब राजस्थान में बतौर आईएएस अफसर अपना कार्यभार संभाल रहे थे. 

उन्होंने तुरंत सरदार पटेल को पत्र लिखकर पूरे माजरे के बारे में बताया. उनके पत्र पर सरदार पटेल ने हनवंत सिंह को दिल्ली बुलाया. पटेल ने माउंटबेटन के साथ मिलकर हनवंत सिंह को समझाया. इसके बाद जोधपुर भारत में शामिल हो गया. 

इलाहाबाद से राजस्थान बुलाए गए थे वेंकटाचार 
राजस्थान से पहले सीआर वेंकटाचार प्रयागराज में कमिश्नर थे. यहीं उनकी मुलाकात पंडित नेहरू से हुई थी. 1945 में जोधपुर में अंग्रेज अफसर डोनाल्ड फील्ड प्रधानमंत्री थे. लेकिन उनकी दमनकारी नीतियों से लोगों में नाराजगी थी. जयनारायण व्यास ने पंडित नेहरू को पत्र लिखकर डोनाल्ड फील्ड की शिकायत की थी.

जिसमें उन्होंने लिखा था कि डोनाल्ड फील्ड जनरल डायर की तरह काम कर रहा है. जयनाराण व्यास की चिट्ठी पर नेहरू शेख अब्दुल्ला और इंदिरा के साथ अक्टूबर, 1945 में जोधपुर आए थे. तब उन्होंने जोधपुर के महाराजा उम्मेद सिंह से भी मुलाकात की थी.

सीएस वेंकटाचार.

सीएस वेंकटाचार.

इस मुलाकात में ही पंडित नेहरू ने महाराजा को सलाह दी कि डोनाल्ड फील्ड को पीएम की पोस्ट से हटा देना चाहिए. उम्मेद सिंह ने नेहरू से सहमति तो जताई लेकिन पूछा कि डोनाल्ड फील्ड की जगह कौन लेगा. तब पंडित नेहरू ने इलाहाबाद के कमिश्नर सी एस वेंकटाचार का नाम लिया. नेहरू की सिफारिश पर सीएस वेंकटाचार को डोनाल्ड फील्ड की जगह पर जोधपुर का प्रधानमंत्री बनाया गया और यहां से उनके जीवन का राजस्थान काल शुरू हुआ.

आजादी के बाद हीरालाल शास्त्री राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री बने. वो एक साल 274 दिन तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहे. लेकिन दिसंबर, 1950 तक हीरालाल शास्त्री के सीएम पद से हटाने की रूपरेखा तैयार हो गई.


हीरालाल शास्त्री के बाद अगले मुख्यमंत्री के तौर पर जयनारायण व्यास का नाम सबसे आगे था. लेकिन पंडित नेहरू के खास रफी अहमद किदवई ने उनका विरोध कर दिया. किदवई का कहना था कि व्यासजी  ग्रुप ठीक नहीं है. अगर वो सीएम बने तो अपने लोगों को मंत्री बनाएंगे. ये लोग मंत्री बनकर करप्शन करेंगे. किदवई की आपत्ति को नेहरू दरकिनार नहीं कर सके. फिर एक नए नाम की तलाश की गई.

इस तलाश को पूरा करने तक अंतरिम व्यवस्था के लिए सीआर वेंकटाचार का नाम सुझाया गया. और फिर सिविल सर्विस ऑफिसर सी एस वेंकटाचार 6 जनवरी, 1951 को राजस्थान के मुख्यमंत्री बनाए गए. नए मुख्यमंत्री की तलाश पूरी होने में करीब तीन महीन का वक्त लगा. तब तक वेंकटाचार सीएम पद संभालते रहे.

कनाडा के हाई कमिश्नर बनाए गए वेंकटाचार
फिर जयनारायण व्यास को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया गया. राजस्थान के बाद वेंकटाचार दिल्ली बुलाए गए, जहां कुछ दिनों तक केंद्रीय मंत्रालय में सचिव रहे और फिर राजेंद्र बाबू के मुख्य सचिव. 1958 में कार्यकाल पूरा हुआ तो सरकार ने उन्हें कनाडा का हाई कमिश्नर बना दिया.

1931 की जाति जनगणना में वेंकटाचार का अहम रोल

वेंकटाचार के पापा-चाचा अंग्रेज सरकार में अफसर थे. वेंकटाचार भी उसी राह पर बढ़े. 1921 में आईसीएस की परीक्षा पास कर बड़े साहब बन गए. पोस्टिंग मिली यूपी में. यहां उन्होंने 1931 की जनगणना में अहम काम किया. ये आखिरी जनगणना थी, जिसमें जाति गिनी गई. रिजर्वेशन के मुद्दे पर आज तक इसी जनगणना के आंकड़ों का हवाला दिया जाता है.

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