Jodhpur News: राजस्थान के जोधपुर जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां 32 घंटे से एक दलित महिला की लाश उसके आंगन में पड़ी है. परिवार के लोग और बच्चे परंपरा के अनुसार दाह-संस्कार से पहले खाना नहीं खाने के कारण भूख से बिलबिला रहे हैं. मृतका के परिजनों का दावा है कि प्रशासन लाश को श्मशान तक ले जाने का रास्ता उपलब्ध नहीं करवा पा रही है. इस कारण हमलोग दाह-संस्कार नहीं कर पा रहे हैं. मामला जोधपुर के ओसियां तहसील के खेतासर ग्राम पंचायत के राजेश्वर ग्राम जसनाथ नगर में मेघवालों की ढाणियों की है. जहां दलित अखाराम मेघवाल की पत्नी पदु देवी की शुक्रवार सुबह मौत हुई थी. लेकिन शनिवार शाम तक उसका दाह-संस्कार नहीं हो पाया है.
जोधपुर के ओसियां तहसील के खेतासर का मामला
परिजन रास्ते की मांग को लेकर घर के आगे बैठे हैं. परिजन जिस रास्ते से लाश ले जाने की मांग कर रहे हैं, उस रास्ते को लेकर कोर्ट में मामला चल रहा है. प्रशासन का कहना है कि श्मशान घाट जाने के लिए दूसरे रास्ते है. लेकिन परिजन उसी रास्ते से लाश को श्मशान ले जाने की जिद पर बैठे हैं. इस बीच 32 घंटे से आंगन में पड़ी महिला की लाश को लेकर ओसियां की पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता दिव्या मदेरणा ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा- खेतासर में दलित परिवार के मृतक का अंतिम संस्कार करने से तीसरी बार रोका जा रहा है, उन्हें अंतिम संस्कार के लिए रास्ता नहीं दिया जा रहा है. पिछले साल भी ऐसा मामला हुआ था और प्रशासन ने वार्ता कर अंतिम संस्कार करवाया था.
कांग्रेस नेता दिव्या मदेरणा ने प्रशासन पर बोला हमला
दिव्या मदेरणा ने आगे लिखा कि प्रशासन की घोर विफलता से बॉडी का अंतिम संस्कार नहीं हुआ व आज भी प्रशासन के कान पर जू नहीं रेंग रही. मृतक का शव 30 घण्टे से अपने घर के आंगन में पड़ा है. पीड़ित परिवार के बच्चों एवं महिलाओं के रो-रो कर बुरे हाल है. एक तो मृतक को खोने का दुःख और ऊपर से अंतिम संस्कार नहीं करने देने का दबाव. पीड़ित परिवार के लोग आखिर करे तो करे क्या.
इससे अमानवीय कुछ नहीं हो सकताः मदेरणा
मदेरणा ने लिखा कि पीड़ित परिवार की एक ही मांग है कि उनका सार्वजनिक रास्ता/कटान खुलवाया जाए एवं मृतका का अंतिम संस्कार करने दिया जाए. मैंने कलेक्टर व ओसिया एसडीएम से बात करी. एसडीएम का कहना है कि मृतक का परिवार ग़लत है , वह ब्लैकमेलिंग कर रहे है और इससे एक नज़ीर पेश होगी. मैं स्तबद्ध हूँ कि कोई इंसान यह भी सोच सकता है और कह सकता जिसके प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में एक लाश रखी है कल से और उस अधिकारी की सर्वप्रथम जिम्मेदारी मृतक का अंतिम संस्कार करना हो. लेकिन एसडीएम को अंतिम संस्कार भले ही ना हो, एक नज़ीर पेश करनी है. इससे अमानवीय भाव कोई नहीं हो सकता.
राजस्थान के जोधपुर जिले के ओसियाँ पुलिस थाना क्षेत्र के खेतासर गांव में दलित परिवार के मृतक का अंतिम संस्कार करने से तीसरी बार रोका जा रहा है, उन्हें अंतिम संस्कार के लिए रास्ता नहीं दिया जा रहा है। पिछले साल भी ऐसा मामला हुआ था और प्रशासन ने वार्ता कर अंतिम संस्कार करवाया था ।… pic.twitter.com/Vw8jN26yLI
— Divya Mahipal Maderna (@DivyaMaderna) June 29, 2024
कांग्रेस ने कहा- यह पर्ची सरकार की घोर विफलता
वहीं राजस्थान कांग्रेस ने इस मामले में सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा- 30 घंटे से आंगन में शव रखा है, लेकिन अंतिम संस्कार नहीं हुआ. क्योंकि दलित परिवार को अंतिम संस्कार के लिए रास्ता नहीं मिल रहा, शर्मनाक!
ये दलित विरोधी भाजपा की #पर्ची_सरकार की घोर विफलता एवं अमानवीयता की पराकाष्ठा है. प्रशासन को तत्काल इस मामले का समाधान करके मृतक का अंतिम संस्कार कराना चाहिए.
30 घंटे से आंगन में शव रखा है, लेकिन अंतिम संस्कार नहीं हुआ।
— Rajasthan PCC (@INCRajasthan) June 29, 2024
क्योंकि दलित परिवार को अंतिम संस्कार के लिए रास्ता नहीं मिल रहा, शर्मनाक!
ये दलित विरोधी भाजपा की #पर्ची_सरकार की घोर विफलता एवं अमानवीयता की पराकाष्ठा है। प्रशासन को तत्काल इस मामले का समाधान करके मृतक का अंतिम… https://t.co/TTuFSmkyxv
जिस रास्ते को लेकर विवाद, उसका कोर्ट में चल रहा केस
मृतका के परिजनों का कहना है कि राजस्व अधिनियम के तहत हमने उपखंड कोर्ट में रास्ते के लिए अपील की थी. जिस पर कोर्ट ने डीएलसी रेट से रुपए भर कर रास्ते के लिए आदेश भी किया था. जिस पर हमने रास्ते के लिए पैसे जमा करने के लिए तैयार हो गए. लेकिन वहीं जिन लोगों द्वारा खेत के बीच से रास्ता मांगा जा रहा था, उन लोगों ने जोधपुर जिला कोर्ट में परिवाद पेश किया. जिस पर रास्ते के पैसा जमा नहीं होने वह रास्ते को यथावत रहने के आदेश हो गए.
स्थानीय प्रशासन ने मामले में क्या कुछ कहा
स्थानीय प्रशासन व नायब तहसीलदार छतर सिंह राजपुरोहित व राजस्व टीम मौके पर जाकर परिजनों से वार्ता कर शव का दाह संस्कार करने के लिए मनाने के लिए पुरजोर प्रयास कर रहे हैं. लेकिन परिजन उसी रास्ते से शमशान घाट जाने पर अड़े हुए हैं. राजस्व विभाग का कहना है कि मृतक के दाह संस्कार के लिए शमशान घाट जाने के लिए और भी कई रास्ते हैं. जिस रास्ते से जाकर वह शमशान घाट पहुंचकर दाह संस्कार करने की बात कर रहे हैं वह रास्ता कोर्ट में विचार धीन है कोर्ट में विचार धीन होने के कारण राजस्व विभाग उस रास्ते को नहीं खुला सकती.
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