Rajasthan News: राजस्थान में दौसा जिले की बांदीकुई तहसील से एक अजीब मामला सामने आया है. जहां एक सिलिकोसिस का मरीज और उसका पूरा परिवार मरीज को कागजों में जिंदा करवाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है. जिले के गुढ़ा कटला गांव का रहने वाला रामावतार सैनी पत्थरों का काम करता था. इस काम में उसको सिलिकोसिस नामक सांस की बीमारी हो गई.
जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया तो परिजनों को पता चला कि रामावतार कागजों में पहले से ही मरा हुआ है. जिसके कारण उसे किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा. दरअसल सरकार सिलिकोसिस के मरीजों को फ्री में इलाज देती है लेकिन रामावतार को ये इलाज नहीं मिल पा रहा है. सभी जगहों पर भटकने के बाद रामावतार और उसका परिवार अब दौसा जिला कलेक्टर के पास अपनी अर्जी लेकर पहुंचे हैं.
2018 से खा रहे दर-दर की ठोकरें
रामावतार के पिता संपत राम सैनी ने बताया कि मेरा बेटा पत्थर का काम करता था. जिससे इसे सांस की बीमारी हो गई. इसके बाद इसके इलाज के लिए अगर हम कहीं भी कोई कागज देते हैं तो वह जमा नहीं होता है. इसे मरा हुआ घोषित किया हुआ है. मेरे बेटे को 2017 से किसी अज्ञात व्यक्ति ने मरा हुआ घोषित करवा दिया है.
हमें इसकी जानकारी 2018 में हुई जब हम रामावतार को इलाज के जयपुर लेकर हुए थे. वहां डॉक्टर इसे भर्ती करने मना कर दिया और इसे कागजों में पहले ही मरा हुआ बताया. संपत राम ने आगे बताया कि अब हम कलेक्टर के पास आए हैं ताकि हमें न्याय मिले सके और मेरे बेटे को कोई लाभ मिल सके.
पेट भरने को तरस रहा परिवार
वहीं पीड़ित रामावतार की मां मथुरा देवी ने बताया कि मेरे बेटे को पहले इतनी दिक्कत नहीं होती थी. लेकिन 2-3 साल से इसको सांस लेने में बहुत परेशानी आने लगी. इसके बाद जांच में पता चला कि इसे सिलिकोसिस बीमारी हो गई है. जिसके इलाज के लिए जाने पर पता चल इसे तो पहले ही मरा हुआ घोषित किया है.
जिसके बाद इसके अपने घर से हम लोग 2-3 साल से पैसे लगा रहे हैं. हम लोग एक गरीब परिवार से आते हैं. हमारी हालत इतनी खराब हो गई है कि अब हमें पेट भरने में भी दिक्कत आते लगी है. मेरी कलेक्टर साहब से यही अपील है कि मेरे बेटे को कोई लाभ और न्याय मिल जाए.
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