
Rajasthan News: राजस्थान के दौसा (Dausa) जिले के मोनाबास गांव में रहने वाले 14 वर्षीय हार्दिक शर्मा (Hardik Sharma) की जिंदगी एक जंग बन गई है. मास्क्युलर डिस्ट्रॉफी (DMD) नामक गंभीर और दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे हार्दिक का शरीर धीरे-धीरे काम करना बंद कर रहा है. डॉक्टरों ने चेताया है कि इस बीमारी से पीड़ित बच्चे अधिकतर 20 से 22 साल तक ही जीवित रह पाते हैं. पीचूपाड़ा के गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल में कक्षा 10वीं का छात्र हार्दिक, अब व्हीलचेयर पर है. लेकिन बीमारी ने उसका हौसला नहीं तोड़ा.
जयपुर एयरपोर्ट पर काम करते हैं पिता
हार्दिक के पिता कुलदीप शर्मा जयपुर एयरपोर्ट पर इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट में कार्यरत हैं. उन्होंने NDTV से बातचीत में बताया कि बेटे के इलाज में अब तक 20 से 25 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं. दिल्ली AIIMS, मुंबई, जयपुर और चंडीगढ़ जैसे बड़े अस्पतालों में इलाज कराया, पर कहीं राहत नहीं मिली. डॉक्टरों ने बताया कि बीमारी का एकमात्र इलाज एक इंजेक्शन है, जिसकी कीमत लगभग ₹17.5 करोड़ है. यह दवा विदेशों में उपलब्ध है, लेकिन आर्थिक तंगी ने पिता को मजबूर कर दिया है कि अब वे भगवान शिव और जनता की ओर उम्मीद से देखें.
DMD क्या है?
डुचेन मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी (DMD) एक जेनेटिक बीमारी है, जिसमें शरीर की मांसपेशियां धीरे-धीरे कमजोर हो जाती हैं. यह बीमारी अधिकतर बच्चों में बचपन में ही दिखाई देता है और धीरे-धीरे शरीर को पूरी तरह निष्क्रिय बना देता है.
कांवड़ लेकर हरिद्वार पहुंचे पिता
पिता कुलदीप शर्मा ने अपने बेटे के स्वास्थ्य को लेकर भगवान शिव की शरण ली है और हरिद्वार से कांवड़ लेकर पहुंचे हैं. उन्होंने आमजन और सरकार से मदद की अपील की है, ताकि उनके बेटे का इलाज हो सके और वह एक सामान्य जीवन जी सके. कुलदीप शर्मा ने सरकार, सामाजिक संगठनों और आमजन से बेटे की जान बचाने की गुहार लगाई है. उनका कहना है कि अगर समय रहते इंजेक्शन मिल जाए, तो हार्दिक की जिंदगी बच सकती है. यदि आप हार्दिक के इलाज में आर्थिक मदद करना चाहते हैं या किसी संगठन से जुड़े हैं जो इस तरह की मदद कर सकता है, तो कृपया स्थानीय प्रशासन या परिवार से संपर्क करें.
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