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अनुकंपा नियुक्ति के आदेश के बाद भी महिला को 6 साल से नहीं मिली नौकरी, राजस्थान हाईकोर्ट ने दिया यह फैसला

अनुकम्पा नियुक्ति देने के आदेश हुए साढ़े छह साल बीतने के बावजूद भी राज्य सरकार एक विधवा महिला को अनुकंपा नियुक्ति देने में अब तक आनाकानी की जा रही है.

अनुकंपा नियुक्ति के आदेश के बाद भी महिला को 6 साल से नहीं मिली नौकरी, राजस्थान हाईकोर्ट ने दिया यह फैसला

Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए अहम फैसला दिया है. जिसमें एक महिला को अनुकंपा नियुक्ति के आदेश के बाद भी महिला को 6 साल से नौकरी नहीं मिली. वहीं राज्य सरकार के चिकित्सा विभाग के असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा को देखते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने भी असंतोष जाहिर किया. कोर्ट ने कहा कि आदेश की पालना करें अन्यथा 15 जुलाई को प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा व्यक्तिगत रूप से पेश हो.

अनुकम्पा नियुक्ति देने के आदेश हुए साढ़े छह साल बीतने के बावजूद भी राज्य सरकार एक विधवा महिला को अनुकंपा नियुक्ति देने में अब तक आनाकानी की जा रही है. जस्टिस रेखा बोराणा ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि निर्णय की अक्षरशः पालना कर पालना रिपोर्ट पेश करें, अन्यथा 15 जुलाई को प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा विभाग कोर्ट में हाज़िर रहें.

पति की हुई थी 2015 में आकस्मिक मृत्यु

सिरोही निवासी याचिकाकर्ता अनिता गोस्वामी की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी और सुषमा ने रिट याचिका दायर कर बताया था कि याची के पति अनिल नर्स पद पर वर्ष 2007 में समस्त नियमित प्रक्रिया पूर्ण कर नियुक्त होकर लगातार वर्ष 2014 तक नियमित ड्यूटी करते रहे. दिनांक 30.09.2015 को उनका असामयिक निधन हो जाने पर उनकी धर्मपत्नी याची अनिता गोस्वामी ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए नियमानुसार आवेदन किया, क्योंकि पति के देहांत पश्चात उनके पीछे याची और उसकी एक नाबालिग़ 3 वर्षीय पुत्री ही आश्रित थे.

हाईकोर्ट ने 2018 में दिया था आदेश

राजस्थान हाइकोर्ट एकलपीठ ने दिनांक 17 जनवरी 2018 को याची बेवा की रिट याचिका स्वीकार कर तीन माह में अनुकंपा नियुक्ति देने का महत्वपूर्ण निर्णय दिया. तीन महीने बीत जाने के बावजूद भी पालना नहीं करने पर याची ने वर्ष 2018 में अवमानना याचिका दायर कर अनुकंपा नियुक्ति दिलाने की गुहार लगाई. अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान वर्ष 2018 में पालना रिपोर्ट पेश करने हेतु  राज्य सरकार को समय दिया गया. लेकिन कोई पालना नही हुई. बाद में कोरोना इत्यादि आ जाने से अवमानना याचिका की सुनवाई में देरी होती रहीं. गत 13 मई 2024 को सुनवाई होने पर हाइकोर्ट ने वर्ष 2018 से अनुकंपा नियुक्ति का आदेश दिए जाने हेतु राजकीय अधिवक्ता को निर्देशित किया गया.

स्थायी की जगह अस्थायी नियुक्ति

लेकिन अगली पेशी दिनांक 27 मई 2024 को राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश कर बताया गया कि याची की नियुक्ति दिनांक 07.10.2023 को महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता के अस्थायी पद पर हो चुकी हैं. और ऐसे में कोर्ट के आदेश की पूर्ण पालना हो चुकी है. जिस पर कोर्ट ने इसे गंभीर मानते हुए कहा कि यद्यपि राज्य सरकार की ओर से दायर जवाब गलत है. क्योंकि 07.10.2023 के आदेश के तहत याचिकाकर्ता को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति आज दिन तक नहीं दी गई है, बल्कि स्वयं औऱ अपनी नाबालिग बच्ची के भूखे मरने की नोबत आने पर उसने अपनी योग्यता अनुसार अस्थाई नोकरी जॉइन की है. जिसे राज्य सरकार द्वारा अनुकंपा नियुक्ति बताकर केस ख़ारिज करने पर आमादा हैं. 

राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश कर बताया गया कि याची को जो अस्थायी नियुक्ति की गई है वहीं अनुकम्पा नियुक्ति है और अवमानना याचिका ख़ारिज करने की प्रार्थना की गई. हाइकोर्ट जस्टिस बोराणा ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अंतरिम आदेश दिया कि या तो निर्णय दिनाँक 17.01.2018 की पूर्ण पालना कर पालना रिपोर्ट न्यायालय में पेश कर देवे, अन्यथा अगली पेशी पर चिकित्सा विभाग के प्रमुख शासन सचिव, न्यायालय में उपस्थित रहें. अवमानना मामले की अगली सुनवाई दिनांक 15 जुलाई 2024 को होगी.

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