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This Article is From May 29, 2024

Rajasthan High Court: हाईकोर्ट ने भजनलाल सरकार पर लगाया जुर्माना, एक महीने में नियुक्ति के दिए निर्देश

Rajasthan High Court: राजस्थान सरकार ने नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती-2013 में चयन के बाद भी नियुक्ति नहीं दी है. राजस्थान हाईकोर्ट ने इसके लिए राज्य सरकार पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है.

Rajasthan High Court: हाईकोर्ट ने भजनलाल सरकार पर लगाया जुर्माना, एक महीने में नियुक्ति के दिए निर्देश
प्रतीकात्मक तस्वीर.

Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती-2013 में चयनित अभ्यर्थी को एक महीने में नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं. सभी लाभी देने के भी निर्देश दिए हैं. हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है कि बेरोजगार व्यक्ति से दो बार संशोधित परिणाम जारी होने बाद भर्ती एजेंसी की वेबसाइट नियमित देखते रहने की बात कहना, उसके गाल पर तमाचा मारने जैसा है.

अभ्यर्थी को चयन की सूचना देना भर्ती एजेंसी की जिम्मेदारी 

अभ्यर्थी से वेबसाइट देखने की अपेक्षा नहीं रखी जा सकती, लेकिन भर्ती एजेंसी का दायित्व है कि वह अभ्यर्थी को चयन के बारे में सूचित करें. न्यायाधीश गणेश राम मीणा ने अल्ताफ की याचिका पर यह आदेश दिया. अल्ताफ के अधिवक्ता विभूति भूषण शर्मा ने कोर्ट को बताया कि 26 फरवरी 2013 को नर्स ग्रेड द्वितीय की भर्ती निकाली गई. 23 जून, 2013 को जारी पहली चयन सूची में याचिकाकर्ता शामिल नहीं था. 

तीसरी बार संशोधित रिजल्ट में याचिकाकर्ता का था नाम 

स्वास्थ्य विभाग ने 28 अक्टूबर, 2015 को दूसरी चयन सूची जारी की, उसमे भी याचिकाकर्ता का नहीं था. 9 फरवरी, 2016 को जारी संशोधित चयन सूची में याचिकाकर्ता अल्ताफ का नाम शामिल था. लेकिन, उसे न तो चयन की जानकारी मिली और न ही उसकी नियुक्ति का आदेश जारी हुआ. 

चयन होने के बाद भी विभाग ने नहीं दी नियुक्ति  

जानकारी मिलने पर अल्ताफ ने विभाग से नियुक्ति देने का आग्रह किया. लेकिन, उसे अस्वीकार कर दिया गया. राज्य सरकार ने अल्ताफ से कहा कि दस्तावेज के सत्यापन के लिए हाजिर नहीं हुआ, इसलिए उसे नियुक्ति नहीं दी गई. सरकारी पक्षा ने कहा कि विभाग की वेबसाइट नियमित देखना याचिकाकर्ता की जिम्मेदारी थी. 

कोर्ट ने की टिप्पणी 

चयन की सूचना के बारे में सतर्क रहना अभ्यर्थी की जिम्मेदारी थी. कोर्ट ने कहा कि भर्ती का तीसरी बार संशोधित परिणाम जारी किया. याचिकाकर्ता को चयन की सूचना तक नहीं दी गई. राजस्थान जैसे प्रदेश में सफल अभ्यर्थियों से यह अपेक्षा नहीं रखी जा सकती कि वह एक बार फिर संशोधित परिणाम जारी होने की आशा के साथ विभाग की वेबसाइट लगातार देखता रहेगा. चयनित अभ्यर्थियों से दस्तावेज सत्यापन के लिए कुछ घंटों में जयपुर पहुंचने की अपेक्षा रखना भी असंवैधानिक है. 

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