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Dholpur News: चंबल नदी में छोड़े गए 27 घड़ियाल, मगरमच्छ और डॉल्फिन का भी बढ़ रहा कुनबा

वन्य जीव प्रेमियों के लिए सबसे बड़ी खुशी की बात है कि घड़ियाल प्रजाति की संख्या बढ़कर 2108 हो गई है. उन्होंने बताया हर साल जनवरी के महीने में स्वच्छंद जीवन जीने के लिए इनको रिलीज किया जाता है. चंबल नदी साफ सुथरी होने की वजह से जलीय जीवों की संख्या में हर साल इजाफा देखने को मिल रहा है.

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Dholpur News: चंबल नदी में छोड़े गए 27 घड़ियाल, मगरमच्छ और डॉल्फिन का भी बढ़ रहा कुनबा
फाइल फोटो.

Rajasthan News: धौलपुर जिले के वन्य जीव प्रेमियों के लिए खुशी की खबर निकलकर सामने आई है. राष्ट्रीय घड़ियाल केंद्र देवरी मुरैना के द्वारा 27 घड़ियाल को चंबल नदी में रिलीज किया है. अब घड़ियाल की संख्या बढ़कर 2108 हो गई है. चंबल नदी के देवरी घाट पर डीएफओ पीएस सूल्या नेतृत्व में घड़ियाल के बच्चों को रिलीज किया गया है. राजस्थान के कोटा से लेकर उत्तर प्रदेश के वाह तक घड़ियाल स्वच्छंद विचरण करेंगे. जिले से गुजरने वाली चंबल नदी में घड़ियाल मगरमच्छ एवं डॉल्फिन का कुनबा लगातार बढ़ता जा रहा है. घड़ियाल प्रजाति को वंश वृद्धि देने में राष्ट्रीय घड़ियाल केंद्र देवरी की मुख्य भूमिका मानी जा रही है. 

मुख्य वन संरक्षक अधिकारी ग्वालियर रेंज पीएस सूल्या ने बताया हाल ही में चंबल नदी में 27 घड़ियाल के बच्चे रिलीज किए हैं, जिनमें 14 मादा और 13 नर हैं. वन्य जीव प्रेमियों के लिए सबसे बड़ी खुशी की बात है कि घड़ियाल प्रजाति की संख्या बढ़कर 2108 हो गई है. उन्होंने बताया हर साल जनवरी के महीने में स्वच्छंद जीवन जीने के लिए इनको रिलीज किया जाता है. चंबल नदी साफ सुथरी होने की वजह से जलीय जीवों की संख्या में हर साल इजाफा देखने को मिल रहा है. घड़ियाल प्रजाति के साथ मगरमच्छ की भी संख्या बढ़कर 878 हो गई है. वहीं डॉल्फिन चंबल नदी में पाई जाती है. विगत साल की गणना के मुताबिक, डॉल्फिन की संख्या 96 तक पहुंच गई है.

धौलपुर-मुरैना का वातावरण अनुकूल

मुख्य वन संरक्षक अधिकारी ग्वालियर रेंज पीएस सूल्या ने बताया धौलपुर एवं मुरैना परिक्षेत्र में चंबल नदी का वातावरण जलीय जीवों के अनुकूल माना जाता है. चंबल नदी देश की सबसे साफ सुथरी मानी जाती है. जलीय जीवों का विकास एवं भरण पोषण पूरी तरह से चंबल नदी में होता है. उन्होंने बताया कि घड़ियाल प्रजाति की वंश वृद्धि में भारी इजाफा देखने को मिल रहा है.

सेंचुरी में अंडों की करते हैं परिवरिश

मुख्य वन सरक्षक अधिकारी पीएस सूल्या ने बताया कि चंबल नदी के विभिन्न घाटों से घड़ियाल के अंडों को एकत्रित किया जाता है. राष्ट्रीय घड़ियाल केंद्र देवरी पर अंडों की परिवरिश की जाती है. तापमान एवं मौसम का विशेष ख्याल रखा जाता है. अंडों से बच्चे निकालने के बाद उनको पाल पोषा जाता है. 2 साल तक घड़ियाल के बच्चों की देखरेख की जाती है. भोजन के लिए चंबल की मछलियां भी उपलब्ध कराई जाती हैं. आत्मनिर्भर होने के बाद घड़ियाल के बच्चों को प्राकृतिक जीवन जीने के लिए चंबल नदी में रिलीज कर दिया जाता है. उन्होंने बताया कि घड़ियाल प्रजाति की वंश वृद्धि में भारी इजाफा देखने को मिल रहा है.

1978 से स्थापित है घड़ियाल केंद्र

जलीय जीवों का संरक्षण मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के देवरी घडियाल केन्द्र पर कृत्रिम वातावरण में किया जा रहा है. बता दें कि वर्ष 1975 से 1977 तक विश्व व्यापी नदियों के सर्वे के दौरान 200 घडियाल पाये गये थे, जिनमें से 46 घडियाल चम्बल नदी के प्राकृतिक वातावरण में स्वच्छंद विचरण करते हुये मिले थे. भारत सरकार ने चम्बल नदी के 435 किलोमीटर क्षेत्र को राष्ट्रीय चम्बल घडियाल अभ्यारण्य वर्ष 1978 में स्थापित किया गया था. तभी से देवरी घडियाल केन्द्र पर कृत्रिम वातावरण में नदी से प्रतिवर्ष 200 अंडे लाकर उनका लालन-पालन किया जाता है. दो बर्ष परिवरिश करने के बाद इनको चम्बल सेंचुरी में छोड़ा जाता है. देवरी घड़ियाल केंद्र द्वारा पूर्व में चम्बल नदी के विभिन्न घाटों पर भी 25 घडियाल छोड़े गये थे, जिनमे से 13 मादा और 12 नर शामिल थे. देवरी घडियाल केन्द्र से घडियालों को चम्बल नदी के किनारे बॉक्स में ले जाया जाता है और बॉक्स में से घड़ियालों को चम्बल नदी में छोड़ दिया जाता है. चंबल में रिलीज किये सभी घड़ियालों की उम्र करीब दो साल है. चम्बल नदी में छोड़े गए घड़ियाल करीब एक से डेढ़ महीने तक नदी के किनारे पर ही विचरण करते हैं. उसके बाद नदी के गहरे पानी में चले जाते हैं. चम्बल नदी में वर्तमान समय में 2108 घड़ियालों के साथ 878 मगरमच्छ और 96 डॉल्फिन समेत अन्य जलीय जीव भी विचरण कर रहे हैं.

पर्यटन को मिल रहा बढ़ावा

चंबल नदी में धौलपुर के घाट एवं मुरैना के घाट पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए चंबल सफारी की भी व्यवस्था की गई है. वन्य जीव प्रेमियों के साथ देश के कोने-कोने के पर्यटक चंबल नदी पर सफारी का लुत्फ उठाते हैं. घड़ियाल, मगरमच्छ, डॉल्फिन एवं नाना प्रकार की कछुओं की प्रजाति को देख काफी रोमांचित होते हैं. धौलपुर जिले में इससे पर्यटन को भारी बढ़ावा मिल रहा है.

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