
Rajasthan: सांचौर के नेहड़ क्षेत्र में लूनी नदी का पानी आफत बना हुआ है. नदी में आई भीषण बाढ़ के कारण पावटा, टैंबी, मरटवा, सुजानपुरा, सुराचंद, साकरिया दूठवा समेत करीब दर्जनभर गांवों का उपखंड मुख्यालय से संपर्क पूरी तरह कट चुका है. कई गांवों की हालत ऐसी हो गई है कि वे अब टापू बन चुके हैं. हालात दिन पर दिन बिगड़ते जा रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई प्रभावी राहत या मदद अब तक नहीं पहुंच पाई है.
पावटा गांव सबसे ज्यादा प्रभावित
पावटा गांव इस समय सबसे अधिक संकट में है. गांव के चारो तरफ लूनी नदी का पानी भर गया है, जिससे गांव पूरी तरह टापू बन गया है. गांव से बाहर निकलना या अन्य इलाकों से गांव में आना-जाना लगभग असंभव हो गया है. NDTV की टीम ने ग्राऊंड जीरो पर पहुंच कर हालातों का जायजा लिया है. कई घरों में पानी घुस चुका है, और विद्यालयों तक में जलभराव हो गया है, जिससे बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह ठप हो गई है.

लोगों को ट्रैक्टर से सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा रहा है.
घर छोड़कर ऊंचाई पर शरण
ग्रामीणों का आरोप है कि तीन-चार दिनों से स्थिति यही बनी हुई है, लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक ना तो कोई राहत शिविर लगाया गया है, और ना ही जल निकासी के लिए कोई प्रयास किया गया है.
बिजली और पीने के पानी की समस्या
पानी भर जाने से ना केवल संपर्क मार्ग बाधित हुए हैं, बल्कि कई क्षेत्रों में बिजली और पेयजल आपूर्ति भी ठप पड़ी है. ग्रामीणों का कहना है कि बीमारों को अस्पताल ले जाना भी संभव नहीं हो पा रहा है, जिससे जान का खतरा और अधिक बढ़ गया है. ग्रामीणों में प्रशासन के प्रति नाराजगी स्पष्ट रूप से देखी जा रही है.
उनका कहना है कि पिछले कुछ दिनों से लगातार सूचना देने के बावजूद प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. अब स्थिति खतरनाक हो गया है. यदि जल्द ही मदद नहीं पहुंची, तो जनहानि हो सकती है.

बाढ़ की वजह से कई गांव टापू बन गए हैं.
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से गुहार
नेहड़ क्षेत्र के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि तुरंत राहत कार्य शुरू कराया जाए. नाव या ट्रैक्टर की व्यवस्था की जाए, जिससे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके, और गांवों से पानी की निकासी हो सके.
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