
Rajasthan School: राजस्थान में इन दिनों जर्जर स्कूलों के गिरने की कई खबरें सामने आ रही है. जबकि कई स्कूल तो गिरने के कगार पर है और एक बड़े हादसे को दावत दे रहे हैं. 25 जुलाई को झालावाड़ में स्कूल गिरने का दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें 7 बच्चों की मौत हो गई. हालांकि स्कूल बिल्डिंग गिरने का यह तत्काल मामला है लेकिन राजस्थान में सैकड़ों स्कूल हैं जिनके भवन भयानक जर्जर हालत में हैं और रोजाना बच्चे वहां पढ़ने के लिए जाते हैं. झालावाड़ हादसे के बाद पूरे प्रदेश से जर्जर स्कूलों की तस्वीर सुर्खियों में आ गई है. ऐसे में राजस्थान में सरकारी स्कूलों की बदहाली पर राजस्थान हाई कोर्ट ने खुद संज्ञान लेते हुए कड़ा रुख अपनाया है.
बता दें 28 जुलाई को जहां राजस्थान हाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से स्कूल की बदहाली पर रिपोर्ट मांगा. वहीं दूसरी ओर जैसलमेर से स्कूल की गेट गिरने का मामला सामने आया, जिसमें एक छात्र की मौत हो गई जबकि शिक्षक भी बुरी तरह घायल हो गया.
राजस्थान हाई कोर्ट ने मांगा विभागों से जवाब
राजस्थान में बदहाल स्कूलों को लेकर हाई कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए केंद्र और राज्य सरकार से इस पर जवाब मांगा है. इतना ही नहीं राजस्थान हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव, एसोसिएटेड सचिव (शिक्ष), बाल विकास विभाग और राष्ट्रीय बाल आयोग सहित अन्य जिम्मेदार पक्षों से जवाब मांगा है.
कार्य योजना पर कोर्ट ने मांगा जवाब
न्यायमूर्ति अनुप चंद्रा डुंडी ने स्वतः संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि वे यह स्पष्ट करें कि स्कूलों की खस्ता हालत को सुधारने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं और आगे की कार्य योजना क्या है. अदालत ने विशेष रूप से शिक्षा मंत्रालय और राज्य के मुख्य सचिव से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
हाईकोर्ट ने यह भी पूछा है कि बदहाली को रोकने के लिए भविष्य में क्या नीति बनाई गई है और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए क्या-क्या प्रयास हो रहे हैं. अदालत ने इस मामले को प्राथमिकता के साथ सुनने का संकेत देते हुए जवाब दाखिल करने की समय सीमा भी तय की है.
यह भी पढ़ेंः स्कूल सहायक ने 5वीं की छात्रा से की छेड़छाड़, अश्लील वीडियो दिखाया; ग्रामीणों ने मुंडन कर जूतों की माला पहनाई
यह भी पढ़ेंः झालावाड़ के बाद जैसलमेर के स्कूल में भी दर्दनाक हादसा, छात्र की मौत, 1 शिक्षक घायल