
26 साल पहले पढ़ाई के डर के कारण घर से छोड़कर गया एक व्यक्ति को आखिरकार अपना परिवार मिल ही गया. 26 साल बाद जब जीवित होने की सूचना परिजनों को मिली तो वह बहुत खुश हुए और बिना देर किए 'अपना घर' आश्रम पहुंच गए. राकेश 14 साल की उम्र में घर से निकला था. नाबालिग होने के कारण उसे कहीं काम नहीं मिला. जब उसकी उम्र काम करने लायक हुआ, तो वह एक फैक्ट्री में काम करने लगा.
केमिकल में गिरने से झुलस गया था
इस दौरान वह केमिकल में गिर गया, जिससे उसका आधा हिस्सा चल गया था. गंभीर स्थिति होने की वजह वह उत्तराखंड चला गया. बाद में 'अपना घर' आश्रम में शिफ्ट किया गया, जहां पर उसका उपचार हुआ. उसकी स्थिति ठीक हुई तो उसने अपना परिचय बताया. 'अपना घर' आश्रम की टीम ने संपर्क किया और सूचना दी. हालांकि, परिजन राकेश को मृत मान चुके थे. 'अपना घर' आश्रम ने राकेश को उनके भाई मुनेश कुमार और बबलू कुमार को सौंप दिया.
राकेश के दो भाई आर्मी में थे
भाई मुनेश कुमार ने बताया, "मैं और भाई रजनीश दोनों आर्मी में थे. साल 1999 में कारगिल का युद्ध चल रहा था. हम कारगिल का युद्ध लड़ रहे थे. मेरा भाई राकेश जून 1999 में बिना बताए पढ़ाई के डर से घर से निकल गया. माता-पिता राकेश को पढ़ाना चाहते थे, लेकिन राकेश पढ़ाई में कमजोर था, इसलिए पढ़ना नहीं चाहता था. राकेश को काफी खोजा गया. लेकिन काफी तलाश करने के बाद जब नहीं मिला, तो हम लोगों ने सोचा राकेश ने कहीं जान दे दी होगी. अगर जिंदा होता तो वापस घर आ जाता."
14 साल की उम्र में घर से गया
जब राकेश जब घर छोड़कर गया तब उसकी उम्र 14 साल थी. नाबालिग होने की वजह से उसे कहीं पर भी काम नहीं मिला. इधर-उधर भटकता रहा. जब बालिग हुआ तो एक कारखाने में काम करने लगा. एक साल पहले फैक्ट्री में काम करते समय केमिकल में गिर जाने की वजह से गंभीर रूप से जल गया था. पैसे के अभाव के कारण इलाज नहीं हो सका. शरीर 50%जल चुका था. घाव में जलन होती थी.
जलने की वजह से हरिद्वार चला गया था
दवा और चिकित्सा के अभाव में काफी परेशान था, तो किसी डॉक्टर ने बता दिया कि उत्तराखंड में हरिद्वार या ऐसे स्थान पर चले जाओ, जहां बर्फ पड़ती हो, जिससे जलन नहीं होगी, इसलिए वह डर के कारण घर तो नहीं गया. लेकिन हरिद्वार पहुंच गया. तीन महीने पहले 'अपना घर' आश्रम की एंबुलेंस असहाय, लाचार लोगों का रेस्क्यू करते हुए घूम रही थी. तभी जला हुआ राकेश गंगा के किनारे घूमता नजर आया. शरीर में बड़े-बड़े घाव थे, उसे रेस्क्यू किया, और स्थिति गंभीर होने के कारण इलाज के लिए 'अपना घर' आश्रम में भर्ती कराया.
यूपी के बुलंदशहर का रहने वाला है राकेश
तभी से राकेश का उपचार चल रहा था. स्वस्थ होने पर काउसिलिंग करने पर अपने घर का पता गांव मुमरेजपुर जिला बुलंदशहर उत्तर प्रदेश का होना बताया. बताए गये पते पर पुनर्वास टीम ने संपर्क किया और भाई मुनेश कुमार को सूचना दी. राकेश के भाई मुनेश और बबलू 'अपना घर' आश्रम भरतपुर पहुंचे. भाई को देख बेहद खुश हुए.अपना घर आश्रम की टीम ने कागजी कार्रवाई कराकर राकेश को अपने घर भेज दिया गया.
यह भी पढ़ें: कोटा-झालावाड़ मार्ग पर ट्रक ने 2 बच्चों को कुचला, ग्रामीणों का हंगामा; हाईवे किया जाम