
Jeen Mata Temple Controversy: राजस्थान के सीकर जिले के प्रसिद्ध शक्तिपीठ जीणमाता मंदिर विवाद मामले में जहां एक ओर राजनीति शुरू हुई. वहीं इस मामले में पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है. शुक्रवार को न्यास और प्रशासन की बैठक के बाद मंदिर दर्शनार्थियों के लिए खोल दिया गया और दो अधिकारी तथा तीन पुलिसकर्मियों पर गाज गिरी है. तीन अप्रैल को पुजारियों पर हुए हमले के विरोध में मंदिर न्यास ने शुक्रवार से श्री जीणमाता मंदिर दर्शनार्थियों के वास्ते अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा की थी.
हालांकि प्रशासन और न्यास की बैठक में मांगों को माने जाने के बाद मंदिर श्रद्धालुओं के लिए फिर से खोल दिया गया. लेकिन इस मामले में एक्शन भी लिया गया है.
किन लोगों पर गिरी गाज
अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट रतन कुमार ने बताया कि मामले में पटवारी राजेश कुमार और एक सहायक प्रशासनिक अधिकारी गजेंद्र सिंह को पदस्थापन आदेश की प्रतीक्षा में (एपीओ) रखा गया है और तीन पुलिस कांस्टेबल महेंद्र कुमार, मनोज कुमार और रडमल सिंह को लाइन हाजिर कर दिया गया है.
आरोपियों के खिलाफ की गई थी कार्रवाई की मांग
मंदिर न्यास के सदस्य राकेश कुमार ने बताया कि हाल में संपन्न नवरात्रि मेले के दौरान कुछ लोगों ने पुजारियों के साथ मारपीट की, जिससे पुजारियों और मंदिर अधिकारियों में नाराजगी है. उन्होंने बताया, घटना के बाद जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया था जिसमें आरोपियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की मांग की गई थी. उन्होंने बताया कि मांगें नहीं मानने पर न्यास द्वारा शुक्रवार को सुबह 10 बजे से मंदिर को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा की गई थी.
डोटासरा ने प्रशासन पर उठाए थे सवाल
अनिश्चितकाल के लिए मंदिर का पट बंद होने की घोषणा के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, राजस्थान की जनता का दुर्भाग्य है कि भाजपा ने प्रदेश में ऐसा माहौल बना दिया कि आज से श्री जीण माता मंदिर अनिश्चितकालीन के लिए बंद और पुजारी धरने पर बैठने को मजबूर हैं. 3 अप्रैल को मेले के दौरान प्रशासन की गुंडागर्दी और पुजारियों से दुर्व्यवहार की घटना के 7 दिन बाद भी दोषियों पर कार्रवाई नहीं होना भाजपा सरकार की मंशा पर गहरा प्रश्नचिन्ह है. भाजपा सरकार द्वारा मंदिर प्रशासन व सर्वसमाज की न्याय की मांग को अनदेखा करके दोषियों को बचाना चिंताजनक है. सरकार का यह रवैया अति निंदनीय और शर्मनाक है. इस मामले में तत्काल संज्ञान लेकर दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए. ताकि प्रदेश में मंदिर बंद होने के हालात उत्पन्न न हो एवं आस्था के स्थलों की भव्यता, श्रद्धा और सम्मान बरकरार रहे.
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