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हेमाराम चौधरी की 'ना' ने बढ़ाई कांग्रेस की मुश्किल, जानिए राजस्थान की सबसे बड़ी लोकसभा सीट का सियासी समीकरण

हेमाराम चौधरी ने विधानसभा चुनाव की तरह ही लोकसभा चुनाव लड़ने से भी इनकार कर दिया है. ऐसे में हेमाराम चौधरी की 'ना' ने कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ दिया है.

हेमाराम चौधरी की 'ना' ने बढ़ाई कांग्रेस की मुश्किल, जानिए राजस्थान की सबसे बड़ी लोकसभा सीट का सियासी समीकरण
बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट

Jaisalmer Lok Sabha Seat: देश की पश्चिमी सरहद पर मौसम में बढ़ती गर्मी के बीच सियासी तपिश भी कांग्रेस के पसीने छुड़ा रही है. राजनीतिक उठा पटक के बीच बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट पर मजबूत उम्मीदवार की तलाश कांग्रेस की तलाश खत्म नहीं हुई है. हालांकि पहले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पिछली गहलोत सरकार में मंत्री रहे हेमाराम चौधरी का नाम फाइनल माना जा रहा था. लेकिन अब अंदरखाने खबर आ रही है हेमाराम चौधरी ने विधानसभा चुनाव की तरह ही लोकसभा चुनाव लड़ने से भी इनकार कर दिया है. ऐसे में हेमाराम चौधरी की 'ना' ने कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ दिया है.

हेमाराम के मना करने मे बाद अब बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट पर कांग्रेस से टिकट की दावेदारी कर रहे नेताओं के नामों पर पार्टी आलाकमान का मंथन जारी है. अब इस सीट पर बायतु विधायक व पूर्व में सांसद व मंत्री रह चुके हरीश चौधरी, पूर्व सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी व राजस्थान यूनिवर्सिटी से अध्यक्ष रह चुकी प्रभा चौधरी ने अपनी दावेदारी पेश की है.

दावेदार नेताओं का आधार

कांग्रेस में दावेदारी कर रहे तमाम नेता एक दूसरे की तुलना में समान नजर आते है, इन सभी नेताओं का जाट समुदाय से तालुक इस बात का आधार है. राजस्थान में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ी संसदीय सीट बाड़मेर-जैसलमेर जाट बाहुल्य सीट है. इस सीट पर जाटों के साथ राजपूतों का भी दबदबा है, जिनमें 4 लाख जाट मतदाता है और 2.7 लाख राजपूत मतदाता हैं. साथ ही करीब 2.5 लाख मुस्लिम मतदाता हैं, जबकि 4 लाख मतदाता अनुसूचित जाति के हैं.

कांग्रेस से टिकट की दौड़ में शामिल दो धावक पूर्व में इस सीट पर सांसदी का चुनाव जीत चुके है. जिसमें कर्नल सोनाराम चौधरी और हरीश चौधरी का नाम शामिल है. कर्नल सोनाराम चौधरी साल 1996, 1998, 1999 में तीन बार कांग्रेस से और 2014 में भाजपा से, कुल चार बार बाड़मेर जैसलमेर सीट से सांसद का चुनाव जीत चुके हैं. हालांकि 2023 के विधानसभा चुनाव में बाड़मेर की गुडामालानी सीट से टिकट के समझौते पर कांग्रेस में घर वापसी की थी, लेकिन चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था.

हरीश चौधरी भी 2009 के लोकसभा चुनाव में बाड़मेर जैसलमेर सीट से सांसद रहे हैं. वर्तमान में बाड़मेर की बायतु विधानसभा से विधायक एवं पंजाब और चंडीगढ़ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस संगठन के प्रभारी है. पिछली गहलोत सरकार में हरीश राजस्व मंत्री भी थे. हरीश 2014 से 2019 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव भी रह चुके है.

बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट पर पिछले तीन चुनाव

2009 में भाजपा और कांग्रेस की सीधी टक्कर में भाजपा के मानवेन्द्र सिंह जसोल को हराकर कांग्रेस के हरीश चौधरी सांसद बने थे. वहीं 2014 का चुनाव काफी दिलचस्प था. क्योंकि भाजपा के दिग्गज नेता जसवंत सिंह जसोल का टिकट काटा गया था. उनकी जगह पर कांग्रेस से भाजपा में आए कर्नल सोनाराम को टिकट दे दिया गया था. तब जसवंत सिंह जसोल नाराज होकर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे. जबकि दूसरी ओर कांग्रेस ने हरीश चौधीर पर दांव खेला. 2014 के इस चुनाव में जसवंत सिंह जसोल के राजनीतिक अध्याय पर सबसे बड़ा चोट था क्योंकि मोदी लहर की वजह से इतने बड़े नेता जसवंत सिंह जसोल को हार का सामना करना पड़ा था. यहां भाजपा के कर्नल सोनाराम को जीत हासिल हुई.

बाड़मेर जैसलमेर सीट पर 2019 का लोकसभा चुनाव भी दिलचस्प रहा. क्योंकि पिता जसवंत सिंह जसोल की स्वाभिमान की चिंगारी दिल में लिये मानवेन्द्र सिंह कांग्रेस का हाथ थाम और चुनाव मैदान में उतरे. वहीं दूसरी ओर भाजपा ने उस वक्त उम्मीदवार बदले और कैलाश चौधरी को मैदान में भेज दिया. लेकिन इस बार भी मोदी लहर ने मानवेन्द्र के सपनों का चकना चूर कर दिया और भाजपा प्रत्याशी कैलाश चौधरी को बड़ी जीत हासिल हुई.

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