Rajasthan High Court: राजस्थान उच्च न्यायालय ने हाल ही में जोधपुर में सास की मौत के बाद उसकी पुत्रवधू को तीन महीने के अंदर विभाग में अनुकम्पा नियुक्ति देने का आदेश दिया है. बता दें कि सास की मौत को करीब 10 साल हो चुके हैं. माननीय उच्च न्यायलय ने पुत्रवधु को सरकारी नौकरी देने का रास्ता साफ का दिया है.
न्यायाधीश ने अपने आदेश में पुत्र वधु दुर्गा देवी को अनुकम्पा आधार पर नियुक्ति के योग्य माना है. न्यायालय ने दुर्गा देवी को परिवार की आवश्यक सदस्य के रूप में स्वीकार कर मृतिका सास गवरी देवी के स्थान पर पुत्र वधु दुर्गा देवी को तीन माह में नियुक्ति देने को कहा है.
अनुकम्पा नियुक्ति नियम 1996
बता दें कि एडवोकेट रामदेव पोटलिया ने दुर्गा देवी की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. किसी राजकीय कर्मचारी की मत्यु के बाद अनुकम्पा आधार पर नियुक्ति के मामले में मृतक कर्मचारी के आश्रित व अनुकम्पा नियुक्ति नियम 1996 के अनुसार पुत्रवधु को योग्य नहीं मानने के बाद इस मामलेे में हाईकोर्ट का यह फैसला महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक है.
जानिए क्या है मामला
एडवोकेट पोटलिया ने बताया कि बांसवाड़ा निवासी गवरी देवी पीएचईडी में चतुर्थ श्रेणी पद पर कार्यरत थी. उसके पुत्र शंकर व बसन्त की मृत्यु गवरी देवी से पहले वर्ष 2006 व 2007 में हो गई थी. गवरी देवी की पुत्री शादी होने पर अपने पति के साथ ससुराल में रहकर जीवन यापन कर रही थी. गवरी देवी की नौकरी के दौरान वर्ष 2013 में मत्यु हो गई थी. उसकी दूसरी विधवा पुत्रवधू व विवाहित पुत्री ने दुर्गादेवी मईड़ा को मृतका के स्थान पर अनुकम्पा नियुक्ति देने के लिए अपनी सहमति दी.
डबल बैंच ने सुलझाया मामला
वर्ष 2013 व 2014 में पीएचईडी विभाग के सक्षम अधिकारियों ने दुर्गा देवी मईड़ा के आवेदन को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि पुत्रवधू मृतक कर्मचारी के आश्रित की श्रेणी में नहीं होने से अनुकम्पा नियुक्ति की हकदार नहीं है. इसके बाद जोधपुर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने भी दुर्गादेवी की याचिका खारिज कर दी थी. मगर डबल बैंच के समक्ष इस अपील की सुनवाई होने पर दुर्गादेवी को नौकरी देने का आदेश दिया गया है.
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