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जयपुर डंपर हादसे में श्रीमाधोपुर का उजड़ गया परिवार, एक साथ तीन अर्थियां देख चीख पड़ा पूरा गांव

जब जयपुर से शवों को लेकर एंबुलेंस सीपुर गांव में उनके घर पहुंची और जैसे ही तीन अर्थियां एक साथ उठीं, पूरा सीपुर गांव चीखों और रोने की आवाजों से गूंज उठा.

जयपुर डंपर हादसे में श्रीमाधोपुर का उजड़ गया परिवार, एक साथ तीन अर्थियां देख चीख पड़ा पूरा गांव
जयपुर डंपर हादसे में श्रीमाधोपुर का उजड़ गया परिवार

Rajasthan News: राजधानी जयपुर के हरमाड़ा में हुए दर्दनाक सड़क हादसे में सीकर के सीपुर गांव का एक परिवार ही उजड़ गया है. हादसे में सीपुर गांव के दो सगे भाइयों और एक 5 वर्षीय बच्ची समेत एक परिवार के तीन लोगों की जान चली गई है. वहीं, परिवार की एक और लड़की हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गई है, जो अस्पताल में जिंदगी मौत से जंग लड़ रही है. जब तीनों शव एक साथ गांव में पहुंचा तो कोहराम मच गया है. 

दो सगे भाई और बच्ची की मौत

जानकारी के मुताबिक, सीकर जिले में श्रीमाधोपुर इलाके के अजीतगढ के सीपुर गांव के दो सगे भाई दशरथ बुनकर और महेंद्र बुनकर की हरमाड़ा में डंपर हादसे में मौत हो गई. इनके अलावा दशरथ की 5 वर्षीय मासूम बेटी भानु की भी मौके पर मौत हो गई, जबकि परिवार की 19 वर्षीय वर्षा गंभीर रूप से घायल है, जिसका अस्पताल में इलाज चल रहा है. 

जयपुर करते थे बिजली फिटिंग और चिनाई का काम

दशरथ और महेंद्र (दोनों भाई) जयपुर में बिजली फिटिंग और चिनाई का काम कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे. परिवार की सारी जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर थी. अब दोनों भाइयों के जाने के बाद घर में कमाने वाला कोई नहीं बचा, जिससे परिवार पूरी तरह बेसहारा हो गया है. एक साथ तीन लोगों की मौत से घर में मातम पसरा है. बुजुर्ग माता-पिता और पत्नी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं.

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एक साथ उठीं तीन अर्थियां

गांव का हर व्यक्ति इस त्रासदी से गमगीन है. मंगलवार (04 नवंबर) को जब जयपुर से शवों को लेकर एंबुलेंस सीपुर गांव में उनके घर पहुंची और जैसे ही तीन अर्थियां एक साथ उठीं, पूरा सीपुर गांव चीखों और रोने की आवाजों से गूंज उठा. हजारों की संख्या में ग्रामीणों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी. दोनों सगे भाइयों का एक ही चिता पर और पांच वर्षीय बच्ची का अलग से चिता बनाकर अंतिम संस्कार किया गया.

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महिलाएं और ग्रामीण परिजनों को ढांढस बंधाते रहे, लेकिन कोई भी इस गहरे दुःख को शब्दों में बयां नहीं कर सका. अंतिम यात्रा के दौरान गांव की गलियां चीखों और सिसकियों से गूंज उठीं. हर घर में मातम, हर आंख में आंसू और हर चेहरे पर दर्द साफ झलक रहा था. परिवार की आर्थिक हालत पहले से ही कमजोर थी. अब दोनों कमाऊ भाइयों के जाने से सबकुछ उजड़ गया. गांव के चूल्हे नहीं जले, लोगों ने खाना तक नहीं बनाया, पूरा माहौल शोकमय रहा.

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