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Jaipur Mazar Controversy: 5, 25 या 125 साल; अब सुलझेगी मजार की मिस्ट्री? जयपुर में महारानी कॉलेज के विवाद में प्रशासन का फैसला

Rajasthan News: राजस्‍थान यून‍िवर्स‍िटी के इस संगठक कॉलेज में मजारों पर विवाद खड़ा होने के बाद कमेटी गठित की गई है.

Jaipur Mazar Controversy: 5, 25 या 125 साल; अब सुलझेगी मजार की मिस्ट्री? जयपुर में महारानी कॉलेज के विवाद में प्रशासन का फैसला

Jaipur Maharani Girls College Mazar: जयपुर के महारानी कॉलेज में मजार विवाद में जिला कलेक्टर द्वारा गठित की गई 6 सदस्यीय जांच कमेटी शुक्रवार (4 जुलाई) से अपना काम शुरू करेगी. कमेटी स्पॉट का निरीक्षण करेगी और इसकी हकीकत जानने की कोशिश की जाएगी. इसके साथ ही अब मजारों के रहस्य से भी पर्दा उठ जाएगा कि आखिर ये कितने साल पुरानी हैं. इस कमेटी में SDM जयपुर राजेश जाखड़, उपायुक्त डॉ. प्रियवृत चारण और सहायक पुलिस उपायुक्त बालाराम जाट शामिल हैं. साथ ही आर्कियोलॉजी अधीक्षक नीरज त्रिपाठी, सुभाष बैरवा के अलावा प्रिंसिपल प्रो.पायल लोढ़ा को नामित सदस्य बनाया गया है. कमेटी सीसीटीवी फुटेज, पूर्व कार्मिक और अध्ययनरत छात्राओं के बयान इन सभी के आधार पर 4 दिन में कमेटी जांच रिपोर्ट सौंपेगी. 

गर्ल्स कॉलेज में मजार के बाद खड़े हुए कई सवाल

राजस्‍थान यून‍िवर्स‍िटी के इस संगठक कॉलेज में मजारों पर विवाद खड़ा होने के बाद कमेटी गठित की गई है. सवाल इस बात को लेकर भी है कि आखिर गर्ल्स कॉलेज में पुरुषों की एंट्री कैसे हो गई. इससे छात्राओं की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. वहीं, सामाजिक संगठनों ने इन मजारों को लेकर आपत्ति दर्ज की है. इनका मानना है कि छात्राओं के कॉलेज में आखिर ये मजार किसने बनाई. 

राजस्थान विश्वविद्यालय के ABVP के छात्रों का कहना है कि सरकारी शिक्षण संस्थान में किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधियां नहीं होनी चाहिए. कॉलेज प्रशासन अपने स्तर पर इन तीन मजारों को हटाएं नहीं तो ABVP इसका विरोध करेगा और आंदोलन करेगा.

विधायक अमीन कागजी का दावा- 165 साल पुरानी हैं कब्रें 

मजार के पुराने होने के संबंध में लोगों के अलग-अलग दावे हैं. कुछ लोग इसे 5 साल पुरानी मजार बता रहे हैं, जबकि कांग्रेस विधायक और मुख्य सचेतक रफीक खान के मुताबिक, यह 25 साल पुरानी है. वहीं, कांग्रेस विधायक अमीन कागज़ी का दावा है कि ये कब्रें तकरीबन 165 साल पुरानी हैं और इसका स्पष्ट प्रमाण भी उपलब्ध है. कागज़ी ने कहा कि सरकार चाहे तो खुद आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट से इनका रिकॉर्ड मंगवाकर जांच करवा सकती है. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर ये ढांचे हाल के होते तो इतने वर्षों से यहां मौजूद कैसे रहते?

उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है, जो सामाजिक सौहार्द के लिए खतरनाक है. उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का सम्मान बरकरार रखा जाए और बिना तथ्य के कार्रवाई से बचा जाए.

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