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जयपुर की लाइफलाइन बीसलपुर बांध में मौजूद है मानसून तक का पानी, इसके बाद अच्छे मानसून तय करेगी इसका अस्तित्व

बीसलपुर बांध का जलस्तर 309.97 आरएल मीटर दर्ज किया गया. बांध में 10.746 टीएमसी मौजूद पानी राजधानी जयपुर सहित कई जिलों के लाखों लोगों की चिंता बढ़ा रहा है.

जयपुर की लाइफलाइन बीसलपुर बांध में मौजूद है मानसून तक का पानी, इसके बाद अच्छे मानसून तय करेगी इसका अस्तित्व
Bisalpur Dam

Rajasthan Water Crisis: राजधानी जयपुर की लाइफ लाइन बीसलपुर बांध पर बढ़ता पानी का दबाव अब उम्मीदों के इस बांध की सांसें फुलाता नजर आ रहा है. एक ओर बांध से जयपुर, अजमेर, टोंक, दोसा को भीषण गर्मी में पेयजल संकट के बीच निरन्तर पानी की सप्लाई और भीषण गर्मी की वजह से वाष्पीकरण का असर जिसके चलते गुरुवार की शाम तक बीसलपुर बांध का जलस्तर 309.97 आरएल मीटर था. उस बांध में 10.746 टीएमसी पानी मौजूद है. लेकिन बांध जलसंग्रहण क्षेत्र में बांध में बहकर आई मिट्टी और गाद के चलते उपलब्ध पानी को मात्रा कम हो सकती है. बांध से मई महीने में गर्मी के चलते 1.068 टीएमसी पानी वाष्पीकरण से उड़ा है. अनुमानित प्रतिवर्ष इस बांध से पानी वाष्पीकरण और पानी चोरी के रूप 3 से 4 टीएमसी के बीच जाता है. फिलहाल बांध में भले ही इस मानसून तक के लिए पेयजल के लिए पर्याप्त पानी हो, लेकिन चिंता इस बात है कि राजस्थान में मानसून इस बार कितना प्रभावी होगा. जिससे की बांध में पानी की आपूर्ति हो सकेगी.

गुरुवार की देर शाम बीसलपुर बांध का जलस्तर 309.97 आरएल मीटर दर्ज किया गया. बांध में 10.746 टीएमसी मौजूद पानी राजधानी जयपुर सहित कई जिलों के लाखों लोगों की चिंता बढ़ा रहा है. वर्तमान में बांध से जयपुर अजमेर और टोंक को पेयजल आपूर्ति में 1000 एम एल डी पानी दिया जा रहा है. जिससे बांध का जल स्तर प्रति दिन लगभग 2 सेमी कम हो रहा है. बांध से जयपुर को 650 एमएलडी अजमेर को 300 एमएलडी और टोंक को 50 एमएलडी पानी पेयजल के लिए प्रतिदिन दिया जा रहा है. बात अगर पिछले 16 दिनों की की जाए तो 27 मई से लेकर 13 जून की सुबह के बीच बांध में कुल 39 सेंटीमीटर पानी कम हुआ है. 27 मई को बांध का जलस्तर 310.36 आरएल मीटर था. वहीं 27 मई को बांध में कुल 11.789 टीएमसी पानी मौजूद था. जो कि पिछले 16 दिनों 1.43 टीएमसी पानी कम हुआ है और यही कम होता पानी राजस्थान की राजधानी जयपुर सहित कई जिलों के लाखों लोगों के लिए चिंता की बात है. ऐसे में सबकी उम्मीदें प्रदेश में अच्छे और जल्दी मानसून के प्रवेश के साथ बांध के जलग्रहण क्षेत्रो राजसमंद,चित्तौड़गढ़,भीलवाड़ा ओर प्रतापगढ़ जिलो में बरसात पर टिकी है.

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बीसलपुर बांध के अब तक 6 बार गेट खोलकर पानी की निकासी हुई

बीसलपुर बांध के निर्माणकाल से लेकर अब तक बांध से 6 बार गेट खोलकर पानी की निकासी की गई है. बांध बनने के बाद पहली बार 2004 मे बीसलपुर बांध लबालब भरा था और इसके गेट खोलकर पानी की निकासी की गई. उसके बाद दूसरी बार 2006 में बांध से 43 टीएमसी पानी की निकासी की गई. तीसरी बार 2014 में बांध से 11 टीएमसी पानी की निकासी की गई. चौथी बार 2016 में चौथी बार गेट खोलकर 93 टीएमसी पानी की निकासी की गई. बीसलपुर बांध के 21 साल के इतिहास में सबसे ज्यादा 135 टीएमसी की निकासी 2019 में की गई और अब तक 2019 मे ही एक साथ बांध के सभी 18 गेटों को खोलकर पानी की निकासी की गई थी. इसके बाद 2022 में बांध से छठी बार गेट खोलकर पानी की निकासी की गई थी. जिसमें राजस्थान में 2020 में लगे पहले स्काडा सिस्टम (कंप्यूटराइज्ड तरीके से) का प्रयोग किया गया था.

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बीसलपुर बांध में है 18 गेट 1999 में बनकर तैयार हुआ था बांध

बीसलपुर बांध टोंक जिले में बीसलपुर गांव के पास बनास नदी पर दो पहाड़ो के बीच बना बांध है. जिसमें कुल 18 गेट है. इस बांध का शिलान्यास 1985 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर ने किया था. इस बांध को बनने में 14 साल का समय लगे और 1999 में बांध बनकर तैयार हुआ वह बांध बनने के 5 साल बाद पहली बार 2004 में यह बांध पूरी तरह से भरा वह बांध के गेट खोलकर पानी की पहली बार निकासी की गई. बांध का कुल जलभराव 315.50 आर एल मीटर है, जिसमें कुल 38.708 टीएमसी पानी का भराव होता है.

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राजस्थान के छह जिलों से बहकर आता है बांध में पानी

बीसलपुर बांध का कैचमेंट एरिया छह जिलों में हैं. जिसमें भीलवाड़ा का 51 प्रतिशत, चित्तौड़गढ़ का 17, उदयपुर का 6, अजमेर का 15, टोंक का 2 और प्रतापगढ़ का 1 प्रतिशत क्षेत्र है. चित्तौड़गढ़ में गम्भीरी डैम से पानी की निकासी के बाद उसका पानी भी बीसलपुर बांध में बहकर आता है. वह गम्भीरी डेम में पानी की आवक मध्यप्रदेश से होती है .

अधिशासी अभियंता मनीष बंसल ने बताया

बीसलपुर बांध के अधिशासी अभियन्ता मनीष बंसल ने बताया कि वर्तमान में मानसून तक के लिए बांध में पेयजल आपूर्ति के लिए पर्याप्त पानी मौजूद है. लेकिन निरन्तर आपूर्ति के लिए मानसून का जल्दी आना और अच्छे मानसून की बरसात जरूरी है. मानसून पूर्व बांध के मुख्य गेट के आगे स्टोपलॉक गेट लगाकर मुख्य गेट को ऊपर करके उस में रबड़ शील की जांच की जाती है और गेट के तारों के रस्से और अन्य उपकरणों में ऑयल और ग्रिसिग की जाती हैं. वह इलेक्टिकल चेकिंग का कार्य कर लिया गया है. इस मानसून सत्र में 15 जून से बांध के तीन बाढ़ नियंत्रण सूचना केन्द्र स्थापित किए जायेंगे जो मांडलगढ़ के पास त्रिवेणी पर दूसरा देवली और तीसरा बीसलपुर बांध स्थल पर होगा जो 24 घंटे कार्यरत रहेंगे.

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