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Kota Suicide: "कोटा में ही क्यों मर रहे हैं बच्चे?", कोचिंग स्टूडेंट्स के आत्महत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल

Supreme Court: कोटा में सुसाइड की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जाहिर करते हुए पीठ ने कहा कि इस साल अब तक शहर से 14 आत्महत्या के मामले सामने आए हैं.

Kota Suicide: "कोटा में ही क्यों मर रहे हैं बच्चे?", कोचिंग स्टूडेंट्स के आत्महत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल

Hearing on Kota suicide cases in Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (23 मई) को कोटा शहर में कोचिंग स्टूडेंट्स के सुसाइड मामले में सुनवाई की. कोर्ट ने राजस्थान सरकार से कई सवाल पूछे और इस स्थिति को गंभीर बताया. जस्टिस जेबी पारदीवाला और आर महादेवन की पीठ ने कहा कि इस साल अब तक शहर से 14 आत्महत्या के मामले सामने आए हैं. जस्टिस पारदीवाला ने अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) से पूछा कि "आप एक राज्य के रूप में क्या कर रहे हैं? ये बच्चे आत्महत्या क्यों कर रहे हैं और सिर्फ कोटा में ही? क्या आपने एक राज्य के रूप में इस पर विचार नहीं किया?" यही नहीं, छात्रा की आत्महत्या के मामले में FIR दर्ज नहीं किए जाने के प्रकरण में भी शीर्ष अदालत ने फटकार लगाई. जिस पर एएजी शिव मंगल शर्मा ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि कोटा पुलिस द्वारा पहले ही इनक्वेस्ट रिपोर्ट दर्ज की जा चुकी है और जांच भी जारी है. अब इस मामले में तुरंत ही FIR भी दर्ज की जाएगी.

इन बातों को हल्के में न लें- सुप्रीम कोर्ट 

पीठ ने कहा कि इन बातों को हल्के में न लें, ये बहुत गंभीर बातें हैं. शीर्ष अदालत के 24 मार्च के फैसले का हवाला भी दिया, जिसमें उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों की आत्महत्या के बार-बार होने वाले मामलों पर ध्यान दिया गया था. साथ ही उनकी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को दूर करने और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया गया था. साथ ही अदालत ने कहा कि फैसले के अनुरूप ऐसे मामलों में प्राथमिकी का शीघ्र दर्ज होना आवश्यक है. 

जज ने वकील से पूछा, "कोटा में अब तक कितने युवा छात्रों की मौत हुई है?" वकील द्वारा 14 की संख्या बताए जाने के बाद पीठ ने पलटवार करते हुए कहा, "ये छात्र क्यों मर रहे हैं?" इसने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित टास्क फोर्स न्यायालय को समग्र रिपोर्ट देने से पहले अपना समय लेगी.

कोर्ट की फटकार- आप हमारे फैसले की अवमानना कर रहे हैं

सख्त रूख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के वकील से कहा, "आप हमारे फैसले की अवमानना ​​कर रहे हैं। आपने एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की? छात्रा अपने संस्थान द्वारा उपलब्ध कराए गए आवास में नहीं रह रही थी, जिसे उसने नवंबर 2024 में छोड़ दिया था और अपने माता-पिता के साथ रहने लगी थी."

कोर्ट ने पुलिस अधिकारी को किया तलब

साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा, "हालांकि, हमारे फैसले के अनुसार, एफआईआर दर्ज करना और जांच करना संबंधित पुलिस का कर्तव्य था. संबंधित क्षेत्रीय पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी अपने कर्तव्य में विफल रहे हैं. उन्होंने इस अदालत द्वारा जारी निर्देशों का पालन नहीं किया है." इस मामले में संबंधित पुलिस अधिकारी को 14 जुलाई को स्थिति स्पष्ट करने के लिए तलब किया. 

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