Chetna Rescue Operation: ऊपर तस्वीर में जिस बच्ची को आप देख रहे हैं, उसका नाम चेतना है. करीब 3 साल की बच्ची चेतना बीते 5 दिन से जमीन के 150 फीट अंदर फंसी है. इसे बाहर निकालने के लिए NDRF, SDRF, स्थानीय प्रशासन, रैट माइनर्स, देसी जुगाड़ वाले एक्सपर्ट सब लगे हैं. लेकिन अभी तक राजस्थान का सबसे लंबा काहे जाने वाला यह रेस्क्यू ऑपरेशन फेल ही है. सोमवार, 23 दिसंबर को दोपहर लगभग डेढ़ बजे चेतना अपने घर के ही परिसर में खोदे गए एक नए बोरवेल में गिर गई थी. यह बोरवेल 700 फीट गहरा है, जिसमें बच्ची 150 फीट की गहराई पर फंसी हुई है. यह हादसा राजस्थान के कोटपूटली बहरोड़ जिले के कीरतपुरा गांव में 23 दिसंबर की दोपहर को हुई थी.
परिजनों के आंसू सूखे, चेतना के मंदिरों में हो रही प्रार्थना
हादसे के बाद से चेतना के परिवार में कोहराम मचा है. पांच दिनों से जारी रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद भी चेतना को बाहर नहीं निकाले जाने के कारण परिवारजनों के आंसू तक सूख चुके हैं. 3 वर्षीय मासूम बच्ची चेतना के लिए मंदिरों में प्रार्थना की जा रही है. उसके लिए चमत्कार की उम्मीद लगाए सैकड़ों लोग रेस्क्यू ऑपरेशन के आस-पास रतजगा कर रहे हैं.
चाय पीने गए थे पिता और हो गया हादसा
23 दिसंबर को दोपहर करीब 2:00 बजे स्कूल से मुस्कुराते हुए घर पर लौटी नन्ही बालिका चेतना अपनी बड़ी बहन के साथ खेलने के लिए अपने खेतों में निकली थी. पिता भूप सिंह जो उसी बोरवेल से पाइप निकलवाने का काम करवा रहे थे, उन्होंने सोचा नहीं होगा कि बीच में चाय पीने के लिए जाना कितना महंगा साबित हो सकता है. जैसे ही पिता चाय के लिए खेत से अपने घर में घुसे वैसे ही बालिका चेतना अपनी बड़ी बहन के साथ खेलने के लिए खेत में चली गई. और बोरवेल में गिर गई.
1. जमीन के अंदर मौजूद पत्थर के परत
कोटपूतली में बोरवेल में गिरी चेतना को बाहर निकालने में सबसे बड़ी दिक्कत जमीन के अंदर मौजूद पत्थर के परत को बताई जा रही है. रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे लोगों का कहना है कि जहां यह हादसा हुआ वहां जमीन के अंदर पत्थर के परत है. बोरवेल के आस-पास हो रही खुदाई बार-बार पत्थर की इन परतों से टकरा कर ठप हो जा रही है.
कोटपूतली-बहरोड़ जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने गुरुवार दोपहर को बताया- रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है. पाइलिंग मशीन से लगातार खुदाई चल रही है. नीचे पत्थर आने से काम में दिक्कत हुई. इसके बाद नई मशीन से पत्थर को काटने का काम किया गया. रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी NDRF टीम के इंजार्च योगेश मीणा ने बताया - 155 फीट पर पत्थर आ गया था.
ये लापरवाही आखिर क्यों? बोरवेल से मौतें कब तक ?#OpenBorewells | #ChildSafety | #NDTVReport pic.twitter.com/i5rHhlsOWg
— NDTV Rajasthan (@NDTV_Rajasthan) December 26, 2024
2. प्रशासन ने फैसले लेने में की देरी
राजस्थान के सबसे लंबे रेस्क्यू ऑपरेशन कहे जाने वाले इस अभियान में अभी तक मिली असफलता के पीछे स्थानीय लोग प्रशासन को जिम्मेवार ठहरा रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन ने फैसले लेने में देरी की. सोमवार को जब बच्ची बोरवेल गिरी थी, तब सारे देसी जुगाड़ से उसे बाहर निकालने की कोशिश होती रही. बच्ची को हुक में फंसा कर करीब 20 फीट ऊपर लाया भी गया. लेकिन इसके बाद बच्ची वहीं फंस गई.
चेतना को बाहर निकालने के लिए सोमवार 23 दिसंबर को शाम में जयपुर से एसडीआरएफ की टीम को बुलाया गया, जो सोमवार रात तक पहुंची. सोमवार पूरी रात तक इस बात पर मंथन चलता रहा कि बच्ची को कैसे बाहर निकाला जाए. साथ ही जेसीबी के जरिए खुदाई भी होती रही. मंगलवार सुबह कैमरा भेजकर चेतना का मूवमेंट रिकॉर्ड किया गया. जिसमें हरकत करती दिखीं. लेकिन मंगलवार सुबह के बाद से बच्ची कोई हरकत नहीं कर रही है.
3. देसी जुगाड़ पर अत्यधिक निर्भरता
चेतना के रेस्क्यू ऑपरेशन में स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ एसडीआरएस ने पहले देसी जुगाड़ पर ज्यादा फोकस किया. मौके पर मौजूद हमारे रिपोर्टर ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन में ज्यादातर तौर-तरीके देसी जुगाड़ वाले ही है. जिस दिन हादसा हुआ, उसी दिन रात करीब 9 बजे देसी जुगाड़ एक्सपर्ट जगराम एंड टीम मौके पर पहुंची. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम की मौजूदगी में देसी जुगाड़ वाली अंब्रेला और रिंग रॉड से रेस्क्यू का पहला और दूसरा अभियान फेल हुआ. अगले दिन 24 दिसंबर को हुक में फंसा कर बच्ची को 15 फीट ऊपर खींचा गया.
4. संसाधनों की कमी, घटनास्थल पर पहुंचने में भी दिक्कत
150 फीट नीचे फंसी बच्ची को निकालने के लिए जैसी मशीनें होनी चाहिए थी, वो प्रशासन के पास नहीं है. प्रशासन ने हरियाणा से निजी कंपनियों की मशीनों मंगवाई. लेकिन उन मशीनों के भी यहां तक पहुंचने में लेट हुई. कोटपूतली डीएम ने कहा- पाइलिंग मशीन के लिए यहां तक मंगवाने के लिए काफी तैयारियां करनी पड़ी. ये मशीन काफी बड़ी होती हैं. ये एक बड़े ट्रेलर पर लोड होती हैं. मशीन को यहां तक पहुंचे इसके लिए हमें सड़कें बनानी पड़ीं. कई बिजली के पोल हटाने पड़े. इस वजह से देरी हुई.
5. सर्दी, बारिश और खराब मौसम
रेस्क्यू ऑपरेशन के चौथे-पांचवें दिन में बारिश और खराब मौसम के कारण कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. बार-बार रेस्क्यू ऑपरेशन को रोकना पड़ा. एनडीआरएफ इंचार्ज योगेश कुमार मीणा ने बताया- गुरुवार रात से ही बारिश की वजह से बार-बार रेस्क्यू ऑपरेशन रोकना पड़ रहा है. हमने जो 5 पाइप अंदर डाले हैं, उनको वेल्ड कर रहे थे, लेकिन बारिश की वजह से परेशानी हो रही है.
इस रेस्क्यू ऑपरेशन में सबसे अधिक संसाधनों का हुआ इस्तेमाल
अब तक जितने भी बोरवेल हादसे हुए हैं, उसमें सबसे अधिक संसाधनों का इस्तेमाल कोटपूतली बोरवेल हादसे में किया गया है. जिसमें तीन जेसीबी मशीन, दो पाइलिंग मशीन, दो क्रेन, 10 ट्रैक्टर सहित आदि अनेक मशीनरी का उपयोग किया जा चुका है लेकिन अभी तक भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है और एनडीआरएफ और प्रशासन के हाथ खाली है.
इधर चेतना के पिता भूपेंद्र सिंह एक कोने में निढाल हुए बैठे हैं. उनकी आंखों के आंसू मानो जैसे सूख चुके हैं. मां धोली देवी का रो-रो कर बुरा हाल है आशा की कोई किरण नजर नहीं आ रही है. चेतना की मां की तबीयत भी बिगड़ चुकी है. वो जैसे-तैसे बेटी की आस लिए दिन काट रही है.
56 घंटे से अधिक समय बीत गया, कोटपूतली में बोरवेल में फंसी बच्ची के लिए खुदाई जारी है...! शब्द ही नहीं बचे अब क्या बोलें और..?#KotputliBorewellAccident pic.twitter.com/ACLZzv04wN
— Avdhesh Pareek (@Zinda_Avdhesh) December 25, 2024
रेस्क्यू ऑपरेशन की फिलहाल की अपडेट
रेस्क्यू अभियान में फिलहाल आखिरी केसिंग पाइप डाल जा रहा है. पाइप के डल जाने के बाद एनडीआरएफ के प्रशिक्षित जवानों को टनल में उतर जाएगा. जिसके बाद 90 डिग्री पर होरिजेंटल मैन्युअल खुदाई कर करीब 8 फीट दूर बोरवेल में फंसी बच्ची तक पहुंचा जाएगा. हालांकि अभी रेस्क्यू अभियान और लंबा चल सकता हैं. मौके पर मौजूद हमारे रिपोर्टर ने बताया कि अभी की स्थिति को देखते हुए कल यानि की शनिवार दोपहर बाद तक रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो सकता है. हालांकि चेतना सही-सलामत निकले, यह किसी चमत्कार से कम नहीं होगा.
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