Chetna Rescue Operation: कोटपूतली के किरतपुरा गांव के बड़ियाली की ढाणी में 700 फीट गहरे बोरवेल में फंसी तीन साल की चेतना की स्थिति गंभीर होती जा रही है. सुबह करीब 11:30 बजे रेस्क्यू टीम ने बोरवेल के आसपास फिनायल का छिड़काव किया और कपूर जलाया, ताकि कोई अनहोनी हो तो उससे फैली बदबू से बचा जा सके. इसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने चेतना के परिवार से बातचीत की.
जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने दावा किया है कि टीम ने बोरवेल के अंदर चेतना की लोकेशन का पता लगा लिया है और जल्द ही उसे बाहर निकाला जा सकता है. हालांकि, इससे पहले भी ऐसे कई दावे किए जा चुके हैं, लेकिन सभी प्रयास असफल रहे हैं. चेतना 23 दिसंबर को बोरवेल में गिरी थी और अब तक उसे बाहर निकालने के लिए पांच से अधिक कोशिशें नाकामयाब हो चुकी हैं.
रेस्क्यू ऑपरेशन की कार्यप्रणाली और प्रशासन की रणनीति पर भी सवाल उठ रहे हैं. चेतना पिछले आठ दिनों से कोई मूवमेंट नहीं कर रही है.
कोटपूतली के किरतपुरा में 'ऑपरेशन चेतना' को लेकर जिला प्रशासन और पुलिस की सक्रियता तेज हो गई है. BDM अस्पताल में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है, जबकि मेडिकल इमरजेंसी स्टाफ को अलर्ट मोड पर रखा गया है. कोटपूतली के ADM ओपी सहारण भी स्थिति का जायजा लेने के लिए BDM जिला अस्पताल पहुंचे. प्रशासन ने चेतना के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें आश्वासन दिया, वहीं विधायक हंसराज पटेल ने भी परिजनों से बातचीत कर उनकी चिंताओं को सुना.
चेतना को बचाने की पूरी टाइम लाइन
23 दिसंबर : दोपहर करीब 1:50 बजे कोटपूतली के कीरतपुरा क्षेत्र की बडियाली ढाणी में 3 साल की बच्ची चेतना बोरवेल में गिर गई.करीब 10 मिनट बाद परिजनों ने बच्ची के रोने की आवाज सुनी तो पता चला कि वह बोरवेल में गिर गई है. परिजनों ने तुरंत प्रशासन को सूचना दी. दोपहर 2:30 बजे प्रशासन की टीम एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साथ मौके पर पहुंची. दोपहर 3:20 बजे मेडिकल टीम मौके पर पहुंची. 3:45 बजे बच्ची तक पाइप के जरिए ऑक्सीजन पहुंचाई गई. शाम 5:15 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया.रात 8:45 बजे देसी जुगाड़ के एक्सपर्ट जगराम अपनी टीम के साथ बच्ची को बचाने पहुंचे. उसी दिन दोपहर 3 बजे तक दो बार छाते और रिंग रॉड से बच्ची को बचाने की कोशिश की गई, लेकिन दोनों ही असफल रहीं.
चेतना रेस्क्यू ऑपरेशन की पूरी टाइम लाइन
24 दिसंबर की सुबह 5:30 बजे से प्रशासन फिर सक्रिय हुआ. अधिकारियों ने परिजनों से चेतना को हुक में फंसा कर बाहर निकालने की परमिशन ली. 9:30 बजे तक बच्ची को 15 फीट ऊपर खींचा गया. लेकिन उसमें वह अफसल रहे जिसके बाद प्रशासन ने हरियाणा के गुरुग्राम से पाइलिंग मशीन मंगवाई.
25 दिसंबर को मशीन के आने के बाद पैरलल खड्डा खोदने का काम शुरू हुआ जिससे दोपहर 40 फीट ही सुरग खोदने के पाइलिंग मशीन बंद की गई. उसके बाद 5:30 बजे रेस्क्यू अभियान एक बार फिर से शुरू किया गया. शाम छह बजे 200 फीट क्षमता की एक और पाइलिंग मशीन मौके पर पहुंची। इसे चलाने के लिए गुजरात से एक और टीम भी आई.आठ बजे रेट माइनर की टीम पहुंची. मामले को तूल पकड़ता देख देर रात 11 बजे कोटपूतली-बहरोड़ कलेक्टर कल्पना अग्रवाल घटनास्थल पर पहुंची.
26 दिसंबर: सुबह 10 बजे पत्थर आने के कारण पाइलिंग मशीन को रोका गया। छह घंटे में मशीन से पत्थर को काटा गया. शाम करीब छह बजे गड्ढे की गहराई चेक की गई, इसके बाद पाइलिंग मशीन को हटाया गया. 6:30 बजे से क्रेन से गड्ढे में सेफ्टी पाइप लगाना शुरू किए गए.
27 दिसंबर की दोपहर करीब 12 बजे तक 170 फीट गहरे खोदे गए गड्ढे में लोहे के पाइप फिट किए गए. 12:40 बजे इन पाइप का वजन उठाने के लिए 100 टन क्षमता की मशीन मौके पर बुलाई गई. करीब एक बजे मौसम बदलने के कारण हुई बारिश से पाइप वेल्डिंग का काम रुक गया. शाम पांच बजे वेल्डिंग का काम दोबारा शुरू किया गया, जो देर रात तक चलता रहा.
28 दिसंबर को एनडीआरएफ के 6 जवानों की टीम बनाई गई। सुरंग खोदने के लिए दो-दो जवानों को 170 फीट गहरे गड्ढे में उतारा गया. इन जवानों ने चार फीट की सुरंग खोदी.
29 दिसंबर को भी सुरंग की खुदाई जारी रही. रास्ते में आने वाले पत्थरों को तोड़ने के लिए कंप्रेशर मशीन बुलाई गई. पत्थरों को काटने की तकनीक समझने के लिए माइनिंग एक्सपर्ट को बुलाया गया.
30 दिसंबर को प्रशासन और एनडीआरएफ के अफसरों ने दावा किया कि वे चेतना को आज (सोमवार) बाहर निकाल लेंगे. लेकिन, पत्थरों और अन्य कारणों से इसमें फिर देरी हो गई। सुरंग खोद रहे जवानों को अंदर सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी.
31 दिसंबर को पता चला कि जो सुरंग खोदी गई थी, वह गलत दिशा में थी. जिससे बोरवेल की स्पष्ट स्थिति समझ में नहीं आ रही थी.
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