Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने गलता पीठ के महंत अवेधशाचार्य की नियुक्ति को रद्द कर दिया. हाईकोर्ट की जयपुर बेंच के जस्टिस समीर जैन की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया. कोर्ट ने राज्य सरकार को गलता पीठ को टेक ओवर करने का आदेश दिया. साल 1943 में जयपुर स्टेट की ओर से अवधेशाचार्य के पिता रामोदाचार्य को महंत नियुक्त किया गया था. उसमें उत्तराधिकार का प्रावधान नहीं था. इसके बाद भी रामोदाचार्य के बेटे अवधेशाचार्य महंत बन गए, जो वैध नहीं है.
कोर्ट ने गलता पीठ को विकसित करने का दिया आदेश
हाईकोर्ट ने राजस्थान सरकार को गलता पीठ को विकसित करने के आदेश दिए. जस्टिस समीर जैन ने कहा कि गलता पीठ को अयोध्या और उज्जैन के महाकाल के तर्ज पर कॉरिडोर बनाया जाए. गलता पीठ की बेची गई संपत्तियों को भी निरस्त करने के आदेश दिए. कोर्ट ने कहा कि महंत की नियुक्ति करना सरकार का अधिकार है.
कोर्ट में याचिका लगाकर गलता पीठ को राज्य सरकार की संपत्ति बताई
रामशरण दास और वकील उमाशंकर ने राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी. याचिका में गलता पीठ को राज्य सरकार की संपत्ति बताई गई. पहले राज्य सरकार ने ही रामोदाचार्य को महंत बनाया था. साल 1963 में नियम के खिलाफ राजस्थान पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट रजिस्टर्ड करवा लिया. 1999 में रामोदाचार्य ने ट्रस्ट के नियमों में संशोधन कर दिया. वंशानुगत रजिस्टर्ड करवा लिया था.
सतयुग के ऋषि गालव की तपोभूमि है गलता पीठ
गलता पीठ जयपुर में गलता की पहाड़ियों में है. यह सतयुग के ऋषि गालव की तपोभूमि है. बताया जाता है कि यहां ऋषि गालव ने तपस्या की थी. गोस्वामी तुलसीदास ने रामचितमानस का अयोध्या कांड भी गलता पीठ में ही लिखा था. गलता पीठ की संपत्ति भरतपुर में भी है.
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