Lok Sabha Election 2023: लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में भगदड़ मची है. हर राज्य से पार्टी के कद्दावर नेता पाला बदलने की तैयारी में हैं. महाराष्ट्र में मिलिंद देवड़ा, अशोक चाह्वान के कांग्रेस छोड़ने के बाद अब राजस्थान, मध्य प्रदेश से भी कांग्रेस के कद्दावर नेताओं के भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही है. एमपी से पूर्व सीएम कमलनाथ, अपने सांसद बेटे नकुलनाथ और कई विधायकों के साथ पाला बदलने वाले हैं. वहीं राजस्थान से सीडब्ल्यूसी मेंबर महेंद्रजीत सिंह मालवीय के साथ-साथ और भी कई नेताओं के पार्टी छोड़ने की चर्चा है. इन नेताओं के दल-बदल से कांग्रेस को कितना नुकसान होगा, ये तो आने वाला समय बताएगा. फिलहाल कई तरह की चर्चाएं जारी हैं.
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी के नाम रिकार्ड है कि वह लगातार दस बार विधायक चुने गए और उन्होंने कभी पराजय का मुंह नहीं देखा, ऐसा ही एक नेता वागड़ में जिसने भी अभी तक किसी भी चुनाव में हार का सामना नहीं किया चाहे वह फिर मोदी लहर ही क्यों न हो.
हम उस नेता की बात कर रहे हैं जो इन दिनों राजस्थान की सियासत की सुर्खियां बने हुए हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं वागड़ क्षेत्र के कद्दावर नेता महेंद्रजीत सिंह मालवीय की. जिन्होंने छात्र संघ चुनाव से लेकर सासंद तक का चुनाव लड़ा और कभी पराजय नहीं झेली.
मोदी लहर में भी जीत कर पहुंचे विधानसभा
जब देश में हर जगह मोदी लहर की हवा थी और राजस्थान में 2013 के चुनावों में कांग्रेस को मात्र 21 सीटें ही मिली थी और पूरे वागड़ क्षेत्र में कांग्रेस का सफाया हो गया था उस दौर में भी बागीदौरा विधायक के तौर पर महेंद्रजीत सिंह मालवीया भारी मतों से जीत हासिल कर विधानसभा में पहुंचे थे. मालविया ने अपना राजनीति का सफर कॉलेज छात्र संघ से शुरू किया और उसके बाद वह कई बार सरपंच, दो बार प्रधान, दो बार जिला प्रमुख, चार बार विधायक और दो बार केबिनेट मंत्री और एक बार सांसद बनकर लोकसभा चुनाव भी जीत चुके हैं.
कभी खुद ने बनाया था छात्र संगठन
महेंद्रजीत सिंह मालवीया ने छात्र संघ का चुनाव लड़ने के लिए खुद ने हीं छात्र संघ बनाया जिसका नाम रखा गया एस टी एस सी छात्र संगठन और आजीवन इसके संरक्षक बने रहे. बाद में उन्होंने कांग्रेस की छात्र इकाई एन एस यू आई के साथ गठबंधन कर सालों तक कॉलेज छात्र संघठन पर एक छत्र कब्जा बनाए रखा.
दूसरों को जिताने की जिम्मेदारी भी संभाली
महेंद्रजीत सिंह मालवीया का कद कांग्रेस में इतना बड़ा हो गया था कि हर चुनाव में उनको आदिवासी क्षेत्र की सभी 18 सीटों को जिताने की जिम्मेदारी सौंपी जाती थी. यही कारण है कि वह स्वयं तो चुनाव जीतते ही थे और अन्य नेताओं को भी चुनाव जीता कर विधानसभा तक पहुंचाने में कामयाब रहे हैं. घाटोल विधायक नानालाल निनामा ने स्वयं स्वीकार किया है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में वह महेंद्रजीत सिंह मालवीया के कारण ही जीत हासिल कर पाएं हैं.
अब थाम रहे हैं कमल का "हाथ"
करीब 50 साल तक निर्विरोध रूप से कांग्रेस के कद्दावर नेता के रूप में पहचान बनाने वाले महेंद्रजीत सिंह मालवीया ने पहली बार कांग्रेस का हाथ छोड़कर कमल का साथ देने जा रहे हैं. कांग्रेस पार्टी की सर्वोच्च कमेटी सी डब्ल्यू सी का सदस्य बनाया गया, लेकिन जब उनका नाम नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में सबसे आगे था बावजूद इसके उनको यह जिम्मेदारी नहीं दी गई तो उन्होंने हाथ का साथ छोड़कर कमल का हाथ पकड़ना उचित समझा. अब देखना यह है कि क्या वह भाजपा में भी अपना यह कद बनाए रखने में कामयाब होते हैं या नहीं.
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