
Rajasthan News: राजस्थान में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है. जहां सरकार विभागों को भ्रष्टाचार रोकने के लिए निर्देश जारी कर रही है. लेकिन सरकारी विभागों के अंदर ही भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है. ताजा मामला चित्तौड़गढ़ के वन विभाग का है जहां दो दर्जन मजदूरों की मजदूरी वन विभाग द्वारा नहीं दी गई. बताया जा रहा है कि मजदूरों की मजदूरी 5 लाख रुपये से अधिक थी लेकिन इसके बदले महज 55 हजार रुपये देकर उन्हें भगा दिया गया. वहीं होली का त्योहार सामने है और मजदूर अपनी मजदूरी के लिए जिलाधिकारी से गुहार लगा रहे हैं और कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
मजदूरी का काम कराकर भुगतान नहीं दिये जाने के कारण छोटे-छोटे बच्चों के साथ करीब दो दर्जन महिला व पुरूष मजदूर चित्तौड़गढ़ कलेक्ट्रेट पहुंच गये. चित्तौड़गढ़ कलेक्ट्रेट के पार्क में रात गुजारी और सुबह भुगतान की मांग को लेकर अधिकारियों से मुलाकात की. उन्होंने इस संबंध में एक ज्ञापन भी सौंपा है.
क्या है पूरा मामला
जिला कलक्टर को दिये जाने वाले प्रार्थना पत्र में उन्होंने अलकेश लोनी निवासी उमरिया ने बताया कि उन्हें वन विभाग के नाकेदार सुनील कुमार और नेवल नाम के व्यक्ति ने मजदूरी के लिए बुलाया था और वे रावतभाटा क्षेत्र में गढ्ढे खोदने का काम करवाते थे. उन्होंने बताया कि प्रत्येक गड्ढे के 18 रुपये तय हुए थे. इसके बाद मालीपुरा में 7 हजार 500, करेना में 8 हजार और उमरचा में 10 हजार गड्ढे खोदे. इन गड्ढ़ों के लिए मजदूरी 5 लाख 27 हजार रुपये हुए थे. लेकिन नाकेदार ने महज 55 हजार रूपये देकर उन्हें भगा दिया और रुपये देने से मना कर दिया. मजदूरों ने बताया कि पहले दिये गये पैसे राशन आदि में खर्च हो गए अब उनके खाने के लाले पड़े है और अब परिवार पालना मुश्किल हो गया है. उन्होंने बताया कि होली पर उन्हें घर जाना था लेकिन तब भी नाकेदार ने रुपये देने से इनकार कर दिया.
बताया जाता है कि इस काम में करीब 35 महिला-पुरुष मजदूर काम कर रहे थे. यह काम उन्होंने ढाई महीने से भी अधिक दिनों तक किया है.
गलत तरीके से ठेकेदारी लेकर हड़पते हैं मजदूरों का पैसा
इधर सुनील नाकेदार नामक से बात करने पर उन्होंने किसी ओर का ठेका होना बताया. मजदूरों के भुगतान को लेकर पहले भी ऐसा मामला हो चुका है जिसमें मजदूरों ने जिला कलक्टर के यहां गुहार लगाई थी. जानकारी के अनुसार वन विभाग के इस तरह के कामों में विभाग के कर्मचारी ही किसी ठेकेदार के नाम पर काम उठा लेते है और फिर मजदूरी में काम कराकर रुपये हड़प कर जाते है. फिलहाल मजदूरों ने भुगतान नहीं होने के कारण कलेक्ट्रेट में ही डेरा डाला हुआ है.
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