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राजस्थान में अब हिंदी में MBBS की पढ़ाई, MP में हर तीसरे मेडिकल छात्र ने चुनी मातृभाषा

मध्य प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों के नए सत्र में लगभग 30% छात्रों ने हिंदी में पढ़ाई का विकल्प चुना है. मध्य प्रदेश से मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद राजस्थान, बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने भी हिंदी  में पढ़ाई कराने के लिए दिलचस्पी दिखाई है.

राजस्थान में अब हिंदी में MBBS की पढ़ाई, MP में हर तीसरे मेडिकल छात्र ने चुनी मातृभाषा

Rajasthan News : राजस्थान के दो मेडिकल कॉलेजों में इस साल हिंदी माध्यम से मेडिकल की पढ़ाई शुरू की जा रही है. ये दो मेडिकल कॉलेज हैं जोधपुर का डॉक्टर संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज औऱ बाड़मेर का बाड़मेर मेडिकल कॉलेज जो मारवाड़ मेडिकल विश्वविद्यालय से संबद्ध है. इन दोनों कॉलेजों में वर्ष 2024-25 के सत्र से हिंदी में पढ़ाई का शुभारंभ किया जा गया है. इस वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस पर मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में करवाने की घोषणा की गई थी जिसके बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इसी सत्र से इन दो कॉलेजों में शुरुआत करने का निर्देश दिया गया. भजनलाल सरकार ने इस संबंध में अपने पहले बजट में भी एक प्रस्ताव को शामिल किया था.

राजस्थान से पहले मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चिकित्सा की पढ़ाई हिंदी में पढ़ाने का फैसला ले लिया गया. अब पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में इस पहल को लेकर मिली उत्साहजनक प्रतिक्रिया के बाद राजस्थान ने भी इसे शुरू करने का फैसला किया है.

मध्य प्रदेश से मिली प्रेरणा

मध्य प्रदेश में हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई का विकल्प देने वाले प्रोग्राम की शुरुआत वर्ष 2022 में की गई थी. ऐसा करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है. इसके अच्छे परिणाम सामने आए.

मध्य प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों के नए सत्र में लगभग 30% छात्रों ने हिंदी में पढ़ाई का विकल्प चुना है. मध्य प्रदेश से मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद राजस्थान, बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने भी हिंदी  में पढ़ाई कराने के लिए दिलचस्पी दिखाई है.

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हिंदी माध्यम में मेडिकल की पढ़ाई की ज़रूरत

कोटा मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉक्टर संगीता सक्सेना ने इस पहल का स्वागत किया है. उन्होंने कहा,"मारवाड़ हेल्थ यूनिवर्सिटी से डॉक्टरों की एक कमिटी ने भोपाल जाकर अध्ययन किया था जिससे पता चला कि हिंदी में अध्ययन कराना बहुत उपयोगी हो सकता है."

"जो बच्चे ग्रामीण परिवेश से आते हैं उन्हें अंग्रेज़ी में बातें करने और किताबें पढ़ने में काफ़ी कठिनाई होती है. अचानक कॉलेज में आने पर जब उन्हें अंग्रेज़ी में पढ़ाया जाता है और परीक्षाएं अंग्रेज़ी में होती हैं तो इससे उनका मनोबल गिरा रहता है.मैं अंग्रेजी के विरोध में नहीं हूं लेकिन हम ग्रामीण परिवेश से आने वाले अपने सभी होनहार छात्रों को सुविधा देना चाहते हैं जिन्हें अभी थोड़ी परेशानी होती है."

जो बच्चे ग्रामीण परिवेश से आते हैं उन्हें अंग्रेज़ी में बातें करने और किताबें पढ़ने में काफ़ी कठिनाई होती है. अचानक कॉलेज में आने पर जब उन्हें अंग्रेज़ी में पढ़ाया जाता है और परीक्षाएं अंग्रेज़ी में होती हैं तो इससे उनका मनोबल गिरा रहता है. - डॉ. संगीता सक्सेना, प्राचार्य, कोटा मेडिकल कॉलेज

कोटा में मेडिकल छात्रों ने भी इस पहल का स्वागत किया है. एक छात्र ने कहा,"जिन छात्रों को स्कूलों में इंग्लिश मीडियम में पढ़ाई की सुविधा नहीं मिली है उन्हें उच्च शिक्षा में बहुत परेशानी आती है. अगर हिंदी मीडियम में मेडिकल की पढ़ाई होगी तो उन्हें बहुत आसानी होगी और उन्हें वही फ़ायदा मिल सकेगा जो इंग्लिश वालों को मिलता है. और इंग्लिश नहीं पढ़नी पड़ेगी."

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हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई की चुनौतियां

मध्य प्रदेश में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में शुरू करने में कई चुनौतियां आईं. इनमें सबसे बड़ी चुनौती कठिन मेडिकल टर्मिनोलॉजी को हिंदी में लिखने की और हिंदी में टेक्स्ट बुक उपलब्ध कराने की है.

मध्य प्रदेश ने अक्टूबर 2022 में फर्स्ट ईयर मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए एनाटॉमी, बायोकेमिस्ट्री और फिजियोलॉजी टेक्स्ट बुक का हिंदी में ट्रांसलेशन किया था. अटल बिहारी वाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल को मेडिकल टेक्स्टबुक्स के ट्रांसलेशन का काम सौंपा गया है.

फिलहाल केवल फर्स्ट और सेकंड ईयर के स्टूडेंट्स के पास हिंदी मेडिकल टेक्स्टबुक है. लेकिन अधिकारियों को उम्मीद है कि अन्य टेक्स्ट बुक्स जल्द ही तैयार हो जाएंगी.

डॉ. संगीता सक्सेना ने कहा, "अभी जो हिंदी की टेक्स्टबुक आई हैं उनमें भी कई शब्द सही नहीं लिखे हैं. लेकिन आगे चलकर इनमें सुधार होगा और मेडिकल शब्दों का एक शब्दकोष तैयार होता जा रहा है."

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