सुप्रीम कोर्ट ने सवाई माधोपुर के रणथम्भौर की पहाड़ियों को अरावली से बाहर माना है. सुप्रीम कोर्ट ने अरावली को लेकर एक नई परिभाषा परिभाषित की है, जिसमें रणथंभौर की पहाड़ियों को अरावली से बाहर माना है. वैसे सवाई माधोपुर जिला सैंड स्टोन के लिए प्रसिद्ध है. ऐसे में अब नए नियम के अनुसार, रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के आसपास स्थित पहाड़ियों पर खनन संभव हो सकेगा. सुप्रीम कोर्ट ने अरावली की नई परिभाषा में सवाई माधोपुर और चित्तौड़गढ़ को अरावली श्रेणी से बाहर रखा है. खनन विभाग की माने तो सवाईमाधोपुर की पहाड़ियां अरावली में नहीं आती है.
अरावली पर्वतमाला में खनन पर रोक
पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पर्वतमाला में खनन पर पूरी तरह रोक लगा दी थी, जिससे रणथम्भौर के आस-पास की पहाड़ियों में भी खनन बंद हो गया था. लेकिन, रणथंभौर में खनन बंद होने के पीछे सिटीएच एरिया भी बड़ी वजह थी. अब नई परिभाषा स्वीकार होने के बाद रणथंभौर की पहाड़ियों में भी खनन शुरू होने की संभावना है. नई परिभाषा में सवाई माधोपुर और चित्तौड़गढ़ को अरावली श्रेणी से बाहर रखा गया है.
100 मीटर से नीचे खनन किया जा सकेगा
परिभाषा में तर्क दिया गया कि इन दोनों जिलों में अरावली और विंध्याचल का मिलन होता है. साथ ही नई परिभाषा के अनुसार, 100 मीटर से नीचे खनन किया जा सकेगा. वैसे रणथंभौर टाइगर रिजर्व इकोलॉजी और अपने बायो डायवर्सिटी के लिए जाना जाता है. यहां के वन और वन्यजीव इकोलॉजी सिस्टम को समृद्ध बनाते हैं. धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व से लेकर रणथम्भौर और रामगढ़ विषधारी एक टाइगर कॉरिडोर बनाते हैं.
खनन से वन्य जीवों पर असर पड़ सकता है
यहां खनन होने से वन्य जीवों पर असर पड़ सकता है. जब रणथम्भौर के आसपास 100 मीटर से कम ऊंची पहाड़ियों पर खनन होगा तो मानव बाघ संघर्ष ज्यादा बढ़ने की संभावना है. फिलहाल यहां सीटीएच की वजह से रोक लगी हुई है. सवाई माधोपुर के खनिज सतर्कता एईएन धरम सिंह मीना का कहना है कि सवाई माधोपुर जिला अरावली में नहीं आता है. यहां सीटीएच की वजह से खनन पर रोक लगी हुई है. जब तक कोई नया नोटिफिकेशन जारी नहीं होता यहाँ खनन पर प्रतिबंध रहेगा.
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