
Rajasthan News: राजस्थान के पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास (Pratap Singh Khachariyawas) ने मंगलवार सुबह जयपुर (Jaipur) में मीडिया से बातचीत करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) पर बड़ा आरोप लगाया है. कांग्रेस नेता का कहना है कि, 'ईडी की टीम बिना नोटिस दिए सीधे सिविल लाइन स्थित मेरे घर में रेड करने पहुंच गई है. मैं इसका जवाब दूंगा. मैं इस कार्रवाई से नहीं डरता. लेकिन भाजपा को ईडी का इस्तेमाल करके राजनीति नहीं करनी चाहिए. आज वे यहां तलाशी और छापेमारी करने आए हैं. वे ऐसा कर सकते हैं. जब राहुल गांधी के खिलाफ करवाई हो सकती है तो मैं तो कार्यकर्ता हूं. मैं उनका सहयोग करूंगा.'
#WATCH | Jaipur: On ED raid at his residence, Congress leader Pratap Singh Khachariyawas says, "Today they have come here to conduct searches and raids; they can do it. I am going to cooperate with them. ED is doing its work, and I will do my work. I believe the BJP should not do… pic.twitter.com/tAbvZvWbBO
— ANI (@ANI) April 15, 2025
घर के बाहर जुटे कांग्रेस समर्थक
अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे प्रताप सिंह खाचरियावास के घर पर ED रेड की जानकारी मिलते ही उनके समर्थक सिविल लाइन पहुंच गए हैं और नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं. खाचरियावास के घर के बाहर उनके समर्थकों की भीड़ बढ़ती जा रही हैं. वहीं ED के 10 से 15 अधिकारी अभी भी घर के अंदर सर्च ऑपरेशन जारी रखे हुए हैं. NDTV राजस्थान की टीम ग्राउंड जीरो पर मौजूद है, जहां से हर अपडेट आप तक पहुंचाया जा रहा है.
मेरी चिट फंड घोटाले में कोई भूमिका नहीं है
सूत्रों के मुताबिक यह कार्रवाई देश के सबसे चर्चित 2850 करोड़ रुपये के पीएसीएल चिटफंड घोटाले से जुड़ी हुई है. पीएसीएल मामले में खाचरियावास की भूमिका की जांच की जा रही है. ईडी को संदेह है कि प्रताप सिंह का इस स्कीम से अप्रत्यक्ष जुड़ाव रहा है और उन्हें लाभ भी मिला है. हालांकि जयपुर में मीडिया से बातचीत करते हुए प्रताप सिंह खाचरियावास ने साफ कहा है कि उनका चिट फंड घोटाले से कोई लेनादेना नहीं है.
अकेले राजस्थान में 28 लाख निवेशक
साल 2011 में इस घोटाले में सबसे पहले मामला जयपुर के चौमू थाने में दर्ज किया गया था. तब से कंपनी पर देशभर में कई केस दर्ज हुए. पीएसीएल कंपनी पर आरोप है कि उसने रियल एस्टेट में निवेश कराने के नाम पर लाखों लोगों से भारी निवेश करवाया और बाद में उनकी रकम नहीं लौटाई. अकेले राजस्थान में 28 लाख निवेशकों से करीब 2850 करोड़ रुपये जमा करवाए गए थे. देशभर में 5.85 करोड़ लोगों ने कंपनी में 49,100 करोड़ का निवेश किया था.
2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था फैसला
2014 में सेबी ने कंपनी की स्कीम्स को अवैध ठहराया और इसके बाद कंपनी का कारोबार बंद करवा दिया गया. 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सीजेआई (रिटायर्ड) आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर संपत्तियों की नीलामी कर निवेशकों को भुगतान का आदेश दिया था. सेबी के आकलन के मुताबिक, कंपनी की 1.86 लाख करोड़ की संपत्तियां हैं, जो निवेश से चार गुना ज्यादा हैं. ईडी की जांच में अब यह भी देखा जा रहा है कि राजस्थान में इस घोटाले से किस-किस का सीधा या परोक्ष लाभ जुड़ा रहा है.
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