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Rajasthan: शीतला माता मंदिर की रहस्यमयी ओखली, लाखों लीटर पानी डालने पर भी नहीं भरती

Rajasthan News: हर साल शीतला सप्तमी और ज्येष्ठ पूर्णिमा पर यहां विशेष अनुष्ठान होता है, जिसमें सैकड़ों महिलाएं कलश लेकर मंदिर पहुंचती हैं और ओखली में जल अर्पित करती हैं. इस चमत्कार को देखने देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं.

Rajasthan: शीतला माता मंदिर की रहस्यमयी ओखली, लाखों लीटर पानी डालने पर भी नहीं भरती
शीतला माता मंदिर पाली

Pali Shitla Mata Temple: राजस्थान के पाली जिले के भाटून्द गांव में स्थित शीतला माता मंदिर की एक रहस्यमयी ओखली श्रद्धालुओं और वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बनी हुई है. यह ओखली मात्र एक फीट गहरी और छह इंच चौड़ी है, लेकिन इसमें लाखों लीटर पानी डालने के बाद भी यह नहीं भरती. हालांकि, जब मंदिर के पुजारी पूजा-अर्चना कर पंचामृत दूध की कुछ बूंदें डालते हैं, तो ओखली का पानी अचानक छलकने लगता है. इस रहस्य को समझने के लिए कई बार कोशिश भी की जा चुकी है लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया.  

साल में दो बार होता है ये खास अनुष्ठान  

यह चमत्कारी ओखली साल में दो बार- शीतला सप्तमी और ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन खोली जाती है. इन अवसरों पर गांव की 36 जातियों की महिलाएं कलश लेकर मंदिर पहुंचती हैं और ओखली में पानी डालने की परंपरा निभाती हैं. इस दौरान पूरा गांव एक भव्य मेले में बदल जाता है.  

क्या है ओखली का रहस्य  

गांव में प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, हजारों साल पहले यहां बाबरा नामक राक्षस का आतंक था. वह अदृश्य होकर गांव में तबाही मचाता था और हर शादी में तीसरे फेरे के दौरान दूल्हे की हत्या कर देता था. इस अत्याचार से परेशान होकर गांव के ब्राह्मणों ने उछैरा (उटबदा) गांव जाकर मां शीतला की तपस्या की. देवी प्रसन्न हुईं और एक बालिका का रूप धारण कर भाटून्द गांव आईं.  

गांववालों के अनुरोध पर देवी ने स्वयं शादी के मंडप में तीसरे फेरे के समय प्रकट होकर राक्षस का वध कर दिया. मरने से पहले राक्षस ने साल में दो बार बलि और मदिरा की मांग की, जिसे मां शीतला ने अस्वीकार कर दिया. इसके स्थान पर गुड़, आटे और दही का भोग और पानी देने का निर्णय लिया गया. माना जाता है कि यह रहस्यमयी ओखली ही वह स्थान है, जहां डाला गया पानी राक्षस तक पहुंचता है.  

वैज्ञानिकों के लिए भी बना रहस्य  

कई लोगों ने इस रहस्य को समझने के लिए बावड़ियों और कुओं से पानी निकालकर ओखली में डाला, लेकिन यह कभी नहीं भरी. इस चमत्कार को देखने देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु और वैज्ञानिक आते हैं, लेकिन अब तक कोई भी इस गूढ़ रहस्य को सुलझा नहीं पाया है.  

हर साल लगता है मेला  

शीतला सप्तमी और ज्येष्ठ पूर्णिमा पर गांव में विशाल मेला लगता है. इस दौरान देशभर से श्रद्धालु माता के दर्शन करने पहुंचते हैं और इस चमत्कारिक घटना का साक्षी बनने का प्रयास करते हैं. राजस्थान में यह इकलौता शीतला माता मंदिर है, जहां यह अनोखी परंपरा हजारों सालों से चली आ रही है.

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