Rajasthan Holi: राजस्थान में होली के कई रूप है. यहां अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरीके से होली खेलने की परंपरा है. हालांकि, कुछ ऐसी भी परंपरा है जिसमें रंग गुलाल की जगह खूनी होली हो जाती है. पूरा देश होली पर रंग और गुलाल का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन राजस्थान के आदिवासी बहुल जिले डूंगरपुर में होली की अनूठी और खतरनाक परंपरा आज भी निभाई जा रही है. जहां भीलूड़ा में धुलंडी के दिन पत्थरमार होली खेली गई. जिसमें 30 से ज्यादा लोग बुरी तरह घायल हुए हैं.
भीलूड़ा में पत्थरमार होली के दौरान लोगों ने एक दूसरे को रंग गुलाल लगाने के बजाय, एक दूसरे पर पत्थर बरसाए. इसमें 30 से ज्यादा लोग घालय हुए, जिन्हें इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाया गया. मान्यता है की पत्थरमार होली की चोंट से बहने वाला खून जमीन पर गिरने से क्षेत्र में खुशहाली रहती है
100 साल पहले से चली आ रही है यह परंपरा
पत्थरमार होली की ये परम्परा 100 साल पहले से निभाई जा रहे है, जिसे गांव के लोग आज भी कायम रखे हुए है. मान्यता है की पत्थर लगने से घायल व्यक्ति का खून जमीन पर गिरने से गांव पर किसी तरह का कोई संकट नहीं आता है. वहीं गांव में खुशहाली रहती है.
होली को लेकर वागड़ में भीलुड़ा की पत्थरमार होली को देखने आसपास के गांवो के हजारों लोग एकजुट होते है. शाम ढलते ही भीलुडा समेत आसपास के गांवो के लोग ढोल कुंडी की थाप पर गैर नृत्य करते हुए निकले. लोग गांव के रघुनाथजी मंदिर के पास इकट्ठे हो गए. एक साथ कई ढोल की आवाज के साथ लोगो ने जमकर गैर खेली. मंदिर के पास मैदान में आकर युवा दो टोलियो में बट गए और फिर शुरू हुई खूनी होली. एक -दूसरे पक्ष के लोगों ने जमकर पत्थर बरसाए. पत्थरो के हमले में कई लोगो को हाथ, पैर और सिर पर चोटें आई. पत्थरमार होली में कई लोग लहूलुहान हो गए. वहीं पत्थर बरसाने के दौरान कई लोग पेड़ो की ओट में छुपकर बचने का प्रयास करते रहे. पत्थरमार होली में 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए. जिन्हे नजदीकी अस्पताल में ले जाकर इलाज करवाया गया. वही पत्थरमार होली को देखने कई गांवों के लोग दूर दूर तक बैठे रहे ताकि पत्थरो की मार उन तक नहीं पहुंचे.
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