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Rajasthan: हादसों की चपेट में आए पीड़ितों के मुआवजे में देरी, पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने सरकार को लिखा पत्र

राजस्थान के जयपुर जिले में हुए डंपर हादसे में जान गंवाने वाले लोगों को सरकार की तरफ से अभी तक मुआवजा नहीं दिया गया. जिस पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने आवाज उठाई है.

Rajasthan: हादसों की चपेट में आए पीड़ितों के मुआवजे में देरी, पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने सरकार को लिखा पत्र
पूर्व सीएम अशोक गहलोत.

Rajasthan News: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हरमाड़ा डंपर हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवजा न मिलने पर गहरी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं में सरकार को तुरंत राहत पहुंचानी चाहिए न कि महीनों इंतजार करवाना. गहलोत ने मौजूदा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर मांग की है कि पीड़ितों को जल्द से जल्द आर्थिक मदद दी जाए.

डंपर हादसे ने तोड़े कई घर

हरमाड़ा इलाके में हाल ही में एक तेज रफ्तार डंपर ने कई लोगों को अपनी चपेट में ले लिया था. इस हादसे में 13 जिंदगियां खत्म हो गईं. कई परिवार बेसहारा हो गए. गहलोत ने बताया कि 5 नवंबर को जयपुर के एसएमएस अस्पताल में वे खुद इन पीड़ित परिवारों से मिले. वहां परिजनों ने रो-रोकर अपनी मजबूरी बयां की. उन्होंने कहा कि अभी तक सरकार की ओर से कोई मुआवजा नहीं पहुंचा.

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सरकारी अफसरों का बहाना है कि केंद्र की पीएमएनआरएफ योजना और राज्य की आयुष्मान बीमा स्कीम से मदद मिलेगी. लेकिन परिवारों को लगता है कि यह काफी नहीं. वे चाहते हैं कि जैसलमेर बस अग्निकांड या मतोड़ा हादसे की तरह सीधी राशि उनके हाथ में आ जाए. गहलोत ने जोर देकर कहा कि दूसरे राज्यों से आए मृतकों के परिवारों को भी इस मदद में शामिल किया जाए.

सड़क पर मौत का सिलसिला

पत्र में गहलोत ने राजस्थान की सड़कों पर हो रही दुर्घटनाओं की लंबी फेहरिस्त गिनाई. भांकरोटा हादसे में 20 लोग मारे गए. मनोहरपुर-दौसा रोड पर 11 की जान गई. मतोड़ा में 15 परिवारों का दुख बांटा. जैसलमेर में बस में आग लगने से 28 जिंदगियां जल गईं. यहां तक कि एसएमएस अस्पताल में आग से 8 मरीजों की मौत हो गई. गहलोत ने इसे हृदयविदारक श्रृंखला बताया. उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर सड़कें इतनी खतरनाक क्यों हो रही हैं. क्या यातायात व्यवस्था में कमी है या रखरखाव की अनदेखी.

सरकार की सुस्ती पर गहलोत का तंज

गहलोत ने सरकार की उदासीनता पर सीधा प्रहार किया. उन्होंने लिखा कि पीड़ित लोग किसी एक जाति या समुदाय के नहीं हैं. इसलिए कोई सड़क पर धरना नहीं दे रहा. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इन परिवारों को भुला दिया जाए. कई बार मुआवजा घोषणा में इतनी देरी होती है कि परिवार टूटने की कगार पर पहुंच जाते हैं. धरना-प्रदर्शन या राजनीतिक दबाव के बाद ही मदद मिलती है. यह संवेदनशीलता की कमी को उजागर करता है. गहलोत ने अपील की कि ऐसी लापरवाही न हो. तुरंत मुआवजा जारी करें ताकि पीड़ित परिवारों को न्याय मिले.

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