राजस्थान की पहली सायंकालीन राष्ट्रीय लोक अदालत ऐतिहासिक रूप से सफल रही. यह साल 2025 की आखिरी राष्ट्रीय लोक अदालत रही. इस दौरान रविवार को एक ही दिन में 55 लाख 21 हजार 157 मामलों का निपटारा आपसी राजीनामे के आधार पर किया गया. यह आयोजन राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (रालसा) की ओर से किया गया था. राजस्थान हाईकोर्ट सहित समस्त अधीनस्थ न्यायालयों में यह लोक अदालत एक साथ आयोजित की गई.
जोधपुर-जयपुर पीठ में 3-3 बेंच का गठन
प्रदेशभर में कुल 472 बैंचों के माध्यम से लोक अदालतें लगाई गईं. वहीं, हाईकोर्ट की जोधपुर मुख्यपीठ और जयपुर पीठ में तीन-तीन बैंचों का गठन किया गया था. इन लोक अदालतों में लगभग 10 अरब 97 करोड़ 52 लाख 33 हजार 175 रुपये की राशि अवार्ड की गई. यानी इस राशि के मामले सुलझाए हुए. कोर्टों में लंबित 6 लाख 74 हजार 458 मामलों का भी आपसी समझौते की भावना से निपटारा किया गया.

सवाई माधोपुर में लगाई गई लोक अदालत
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मील का पत्थर साबित लोक अदालत
इस लोक अदालत में चेक अनादरण, धन वसूली, मोटर दुर्घटना दावा (एमएसीटी), वैवाहिक विवाद, श्रम व नियोजन से जुड़े मामलों सहित वे प्रकरण शामिल किए गए जिनमें पक्षों के बीच समझौते की संभावना थी. रालसा के सदस्य सचिव हरिओम शर्मा अत्री ने बताया कि यह लोक अदालत राज्य में न्याय सुलभता और समझौता भावना को बढ़ावा देने की दिशा में मील का पत्थर साबित हुई है.
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