Dausa News: देश में पहली बार केंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में हुए साइबर फ्रॉड का खुलासा झालावाड़ पुलिस ने किया है. इस बड़े घोटाले में सरकारी योजनाओं की राशि का गबन करने वाले 30 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने 52 लाख रुपए की नकदी बरामद की है. 11 हजार से अधिक संदिग्ध बैंक खातों की जांच की जा रही है.
जांच में सामने आया कि चौथी पास रामावतार सैनी, जो पहले गन्ने का रस निकालने की रेडी चलाता था, सरकारी योजनाओं के करोड़ों रुपए हड़पने का मास्टरमाइंड निकला. सरकारी सिस्टम में सेंध लगाकर उसने योजनाओं की राशि अपने नियंत्रण में ले ली. दौसा में उसने करोड़ों की जमीन, आलीशान मकान और लग्जरी गाड़ियों के साथ शानो-शौकत की जिंदगी जीने लगा. उसके घर पर महंगे विदेशी पक्षी और पालतू कुत्ते भी मिले. घर में फिंगरप्रिंट सिक्योरिटी सिस्टम लगा था. बिना फिंगर लगे गेट नहीं खुलता था.
फ्रॉड के लिए तकनीकी सिस्टम का दुरुपयोग
रामावतार सैनी ने फ्रॉड के लिए तकनीकी सिस्टम का दुरुपयोग किया. वह अपने दलालों के साथ मिलकर लोगों की जमाबंदी और बैंक खातों की आईडी-पासवर्ड हैक करता था. सरकारी योजनाओं की राशि जैसे ही खातों में आती, वह एक ही रात में पूरा खेल खत्म कर देता था. पुलिस के अनुसार, आरोपी ने साइबर सिस्टम में मौजूद खामियों का लाभ उठाकर यह पूरी ठगी रची थी.
गन्ने का रस निकालकर पेट पालता था
एनडीटीवी टीम जब उसके गांव पहुंची तो घर पर मौजूद उसकी मां शांति देवी फूट-फूटकर रो पड़ीं. उन्होंने कहा, ''मेरा बेटा निर्दोष है'' परिवार पहले सब्जियां बेचकर और गन्ने का रस निकालकर पेट पालता था. पिता की मृत्यु के बाद तीनों भाई मजदूरी करने लखनऊ चले गए. वहां पत्थर उद्योग में काम करते हुए बीमारी के कारण लौट आए. इसके बाद रामावतार झालावाड़ में गन्ने की मशीन चलाने लगा. यहीं से धीरे-धीरे फ्रॉड की इस दुनिया में कदम रखा.
पुलिस ने इस मामले में 30 आरोपियों को गिरफ्तार किया है
झालावाड़ पुलिस ने इस मामले में 30 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. अब सरकारी सिस्टम की अंदरूनी कड़ियों की जांच की जा रही है. पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि क्या इस साइबर फ्रॉड में किसी सरकारी कर्मचारी की भूमिका भी थी.
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