Mavli Madrasa Row: राजस्थान की भजनलाल सरकार (Bhajanlal Govt) ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए मावली (Mavli) में मदरसे के लिए आवंटित जमीन के फैसले को निरस्त कर दिया है. उदयपुर के मावली में मदरसे के लिए 4 बीघा 16 बिस्वा जमीन गहलोत सरकार (Gehlot Govt) ने आवंटित की थी, लेकिन अब भजनलाल सरकार ने इस फैसले पलट दिया है. मावली में मदरसे के लिए जमीन आवंटित किए जाने के फैसले का विरोध हो रहा था. सर्व समाज के साथ-साथ हिंदू संगठन ने इस फैसले के विरोध में दो दिन पहले मावली में बंद का आव्हान किया था. इस दौरान हजारों की संख्या में लोग मरदसे की जमीन आंवटन को निरस्त कराने की मांग को लेकर सडकों पर उतरे थे.
विरोध-प्रदर्शन में लोगों ने सड़क पर किया था हनुमान चालीसा
सरकार के फैसले का विरोध कर रहे लोगों ने सड़क पर ही हनुमान चालीसा का पाठ किया था. विरोध-प्रदर्शन के दौरान चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी भी वहां पर पहुंचे थे और जमीन को निरस्त करने का आश्वासन दिया था. उन्होंने कहा था कि सनातन धर्म के चलते गलत तरीके से आवंटित जमीन निरस्त होगी. उसके बाद राज्य सरकार के उप शासन सचिव बिरदी चंद गंगवाल ने एक आदेश जारी करते हुए जमीन को निरस्त करने के लिए उदयपुर जिला कलेक्टर को आदेश दिया है.
दरअसल इस फैसले के खिलाफ सर्व हिंदू समाज के हजारों लोगों ने मावली को बंद करवाया था. और सर्व हिंदू समाज के बैनर तले हजारों लोग एसडीएम कार्यालय पहुंचे ओर वहां पर हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद रामधुन भी गाई थी. साथ ही मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन भी सौंपा था.
सीपी जोशी ने कहा- राजस्थान में अब भाजपा की सनातनी सरकार...
मावली बंद के दौरान भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी भी वहां पर पहुंचे थे. जोशी ने कहा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार है और किसी भी परिस्थिति में मदरसे को आंवटित जमीन को निरस्त करवाकर रहेंगे. उन्होंने कहा कि ये भाजपा की सरकार है, सनातनी सरकार है, ऐसा कोई काम नहीं होगा जहां आगामी दिनों में कोई इस प्रकार की स्थितियां पैदा हो.
2021 में गहलोत सरकार ने दी थी जमीन
उल्लेखनीय हो कि 2021 में अशोक गहलोत की सरकार ने में मावली में आराजी संख्या 5330 1745 व आराजी संख्या 5331 1745 के तहत 4 बीघा 16 बिस्वा जमीन मदरसे के लिए आवंटित की थी. लेकिन बीते दिनों विरोध और बंद को देखते हुए मावली एसडीएम मनसुखराम डामोर ने आवंटित जमीन का आवंटन निरस्त करवाने की अनुशंसा कर कलेक्टर को भेजा था. जिसे कलेक्टर अरविन्द पोसवाल ने शासन सचिव को भेजा. इसके बाद अब भजनलाल सरकार ने गहलोत सरकार के इस फैसले को पटल दिया है.
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