
Churu News: शहीद कुलदीप पूनिया की पार्थिव देह मंगलवार को उनके पैतृक गांव हरपालु सांवल पहुंची, जहां गम और गर्व का माहौल छाया रहा. जैसे ही उनका शव गांव पहुंचा, वहां सन्नाटा पसर गया और हर आंख नम हो गई. ‘शहीद कुलदीप पूनिया अमर रहें' और ‘भारत माता की जय' के नारों से पूरा गांव गूंज उठा. अंतिम दर्शन के लिए सैकड़ों ग्रामीण एकत्र हुए. युवाओं ने तिरंगा हाथ में लेकर अंतिम यात्रा में भाग लिया, जिसमें गांव के बच्चे, युवा और बुजुर्ग शामिल हुए. सैन्य सम्मान और सादगी के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी गई.
त्रिपुरा राइफल्स में तैनात थे कुलदीप पूनिया
कुलदीप पूनिया ने 19 अक्टूबर 2009 को भारतीय सेना में भर्ती होकर देश सेवा की शुरुआत की थी और वर्तमान में वे त्रिपुरा राइफल्स में तैनात थे. हाल ही में ड्यूटी के दौरान अचानक उनकी हृदय गति रुक गई, जिससे उनकी मृत्यु हो गई. इस दुखद समाचार से गांव में शोक की लहर दौड़ गई. शहीद के अंतिम संस्कार के दौरान उनके 8 वर्षीय पुत्र नक्षु ने मुखाग्नि दी. मासूम बेटे की आंखों में अपने पिता के लिए आंसू थे, लेकिन वह शायद अभी तक इस क्षति की गहराई को पूरी तरह नहीं समझ पाया है.
दो साल पहले भाई की दुर्घटना में हुई मौत
शहीद कुलदीप पूनिया के पिता राजेंद्र पूनिया के दो पुत्र थे. पहले ही एक बेटे की दो साल पहले सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो चुकी है और अब कुलदीप के शहीद हो जाने से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. कुलदीप की शादी 13 वर्ष पूर्व लम्बोर बड़ी गांव की ममता से हुई थी. शहीद की पत्नी ममता और उनके परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. पत्नी बेसुध हो गई हैं और पूरे परिवार पर गहरा शोक व्याप्त है.
शहीद के अंतिम दर्शन के लिए उमड़े लोग
शहीद के अंतिम दर्शन के लिए न सिर्फ हरपालु गांव, बल्कि आसपास के गांवों से भी लोग उमड़े. ग्रामीणों ने बताया कि कुलदीप बेहद विनम्र, मेहनती और सेवा भाव से ओतप्रोत व्यक्ति थे, जो गांव के युवाओं को सेना में भर्ती के लिए प्रेरित करते थे. जहां एक ओर शहीद को खोने का दुख है, वहीं दूसरी ओर पूरे गांव को उन पर गर्व भी है कि उन्होंने देश सेवा में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए.
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