Rajasthan Student Union Election: राजस्थान के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव कराने की मांग तेज होती जा रही है. चुनाव कराने की मांग कराने को लेकर राजस्थान विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर छात्रों ने अर्धनग्न प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी छात्रों की दलील थी कि पिछले दिनों पुलिस ने लाठीचार्ज किया था और हमारे कपड़े फाड़े थे. इसलिए हम आज अर्धनग्न प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं जोधपुर में भी छात्रों का उग्र प्रदर्शन देखने को मिला है. जहां कई छात्रों को पुलिस ने हिरासत में लिया है.
राजस्थान विश्नविद्यालय में एक बार फिर से सभी संगठनों के छात्र नेता विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर इकट्ठा हुए और उन्होंने सरकार से चुनाव कराने की मांग की. सांकेतिक रूप से दो छात्रों को मुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में बिठाया गया था और उनके सामने छात्रनेताओं ने एक एक कर चुनाव कराने की मांग के पक्ष में दलील दी.
विधानसभा घेरने की दी चेतावनी
इस दौरान छात्रनेताओं ने आने वाले दिनों में आंदोलन को और तेज करने की बात दोहराई. छात्रनेताओं ने कहा कि सरकार अगर हमारी मांग नहीं सुनती है तो हम विधानसभा घेराव करेंगे. सरकार को चुनाव कराने चाहिए, साथ ही लिंगदोह की सिफारिशों में भी बदलाव करना चाहिए. क्योंकि 30 हजार छात्रों वाले विश्वविद्यालय में 5000 रुपए खर्च कर प्रचार नहीं किया जा सकता.
जोधपुर में छात्रों की धरना
जोधपुर जय नारायण व्यास विद्यालय विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव कराने की मांग को लेकर छात्र संगठनों ने कुलपति कार्यालय के बाद उग्र प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान उग्र हुए छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. इन छात्रों की मांग है कि प्रदेश की वर्तमान सरकार विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव करवाए. छात्र संगठनों का प्रस्तावित विरोध को देखते हुए सुबह से ही भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी.
वहीं कुलपति कार्यालय के बाहर तीन लेयर की सुरक्षा बनाई गई. लेकिन छात्रों और पुलिस के बीच में हुए विवाद के बाद छात्रों ने कुलपति कार्यालय में जाकर ज्ञापन देने के लिए दबाव बनाना शुरू किया. छात्रों की मांग है कि पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए साथी छात्रों को पुलिस दोबारा छोड़ें नहीं तो यह धरना जारी रहेगा.
2022 में हुए थे आखिरी बार चुनाव
राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव आखिरी बार 2022 में हुए थे. 2023 में कुलपतियों के फीडबैक के आधार पर शिक्षा विभाग ने छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगा दी थी. सरकार ने भले ही कुलपतियों के फीडबैक और धनबल बाहुबल के उपयोग को आधार बनाया हो लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि तब कांग्रेस को इस बात का डर था कि एनएसयूआई का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहेगा. इसका असर विधानसभा चुनाव पर भी हो सकता है, इसलिए सरकार ने छात्रसंघ चुनाव नहीं कराए थे. कमोबेश यही वजह इस बार भी है.
चुनाव कराने के मूड में नहीं दिख रही सरकार
उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमचंद बैरवा ने पिछले दिनों कहा था, "ना ही हमने चुनाव कराए थे, ना ही हमने चुनाव बंद कराए. अभी हमारा पूरा ध्यान शिक्षक उपलब्ध कराने और विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने पर है." उनके बयान से सरकार का रुख स्पष्ट हो रहा है. माना जा रहा है कि सरकार छात्रसंघ चुनाव को लेकर उदासीन है.
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