Rajasthan Anti-Conversion Law: उच्चतम न्यायालय अवैध धर्मांतरण के खिलाफ राजस्थान में पिछले महीने लागू हुए कानून के कई प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सोमवार को सहमत हो गया. न्यायमूर्ति विक्रमनाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने सितंबर में विधानसभा द्वारा पारित राजस्थान गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2025 के खिलाफ याचिकाओं पर राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा.
पीठ ने याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वकील से पूछा, ‘‘आप इस अधिनियम से परेशान क्यों हैं?'' पीठ ने यह भी सवाल किया कि याचिकाकर्ताओं ने इस अधिनियम को राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती क्यों नहीं दी. वकील ने कहा कि कई राज्यों के धर्मांतरण विरोधी कानूनों की वैधता को चुनौती देने वाली ऐसी याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं.
अधिनियम के क्रियान्वयन पर रोक लगाने का भी अनुरोध
वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता ने याचिका का निपटारा होने तक अधिनियम के क्रियान्वयन पर रोक लगाने का भी अनुरोध किया है. उन्होंने अधिनियम के तहत सजा के प्रावधानों का उल्लेख किया और कहा कि कुछ अपराधों के लिए कानून के तहत निर्धारित जुर्माना परेशान करने वाला है. दोनों याचिकाओं पर चार सप्ताह बाद सुनवाई होगी.
धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन के लिए सात से 14 साल की जेल
सितंबर में, उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ ने धर्मांतरण विरोधी कानूनों पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर कई राज्यों से उनका रुख पूछा था. राजस्थान के कानून में धोखे से सामूहिक धर्म परिवर्तन के लिए 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा और धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन के लिए सात से 14 साल की जेल की सजा का प्रावधान है. नाबालिगों, महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और दिव्यांगों का धोखे से धर्म परिवर्तन कराने पर 10 से 20 साल की जेल और कम से कम 10 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा.
यह भी पढ़ें- सड़क पर बिछी लाशें, एक साथ जलती 12 चिताएं... जोधपुर हादसे की विचलित करने वाली तस्वीरें