कभी-कभी इंसान के जीवन में ऐसा समय आ जाता है, जिसका कोई हल नजर नहीं आता है. ऐसे में इंसान को केवल ईश्वर का ही भरोसा आगे बढ़ने में मदद करता है. हम बात कर रहे हे राजसमंद की लापस्या पंचायत में रामपुरिया के रहने वाले जन्मांध अंधे युवक सांवरिया भील की है.
सांवरिया का शुरुवाती जीवन
किशोर सांवरिया का जन्म रामपुरिया गांव में हुआ था. उसके जन्म के समय ही उसके माता-पिता को पता चल गया था कि उसकी आंखों की रोशनी नहीं है. हालांकि, उन्होंने सांवरिया को कभी भी बोझ नहीं माना और उसे हमेशा अपने अन्य बच्चों की तरह ही प्यार दिया. सांवरिया ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव के ही एक स्कूल में प्राप्त की. इसके बाद, उसने आगे की पढ़ाई के लिए एक विशेष स्कूल में दाखिला लिया. इस स्कूल में, उसने ढोलक बजाना सीखा और उसमें महारत हासिल की.
यहां से मिला आत्मविश्वास
सांवरिया के पिता एक मजदूर थे और उनकी माता एक गृहिणी थीं. परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. सांवरिया ने अपने परिवार की मदद करने के लिए ढोलक बजाना शुरू किया. वह गांवों में होने वाले भजन कार्यक्रमों में ढोलक बजाता था और उसके बदले में उसे कुछ पैसे मिलते थे. सांवरिया का एक छोटा भाई था, जिसका छह महीने पहले एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया. अब, सांवरिया के माता-पिता की पूरी जिम्मेदारी उसी के कंधों पर आ गई है. वह अपने माता-पिता के लिए कुछ भी करने को तैयार है.
सरकार से नहीं मिल रही कोई मदद
सांवरिया को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. प्रदेश सरकार की दस सरकारी योजनाओं का लाभ भी सांवरिया के नसीब में नहीं हैं. इसके लिए कई समाजसेवी लोगों ने प्रयास भी किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. सांवरिया सरकार से उम्मीद करता है कि उसे जल्द से जल्द सरकारी मदद मिल जाए, ताकि वह अपने माता-पिता को अच्छी तरह से देखभाल कर सके.
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