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50 वनकर्मी, ड्रोन कैमरा, से राखी जा रही निगरानी; ग्रामीण इलाकों में पहुंचा बाघिन टी-107 सुल्ताना का बेटा 

राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व से निकला टी-107 सुल्ताना बाघिन का शावक कोटा के जंगलों में पहुंचा, जिससे ग्रामीणों में दहशत है. वन विभाग ने 50 वनकर्मी तैनात किए और ड्रोन से निगरानी शुरू की है.

50 वनकर्मी, ड्रोन कैमरा, से राखी जा रही निगरानी; ग्रामीण इलाकों में पहुंचा बाघिन टी-107 सुल्ताना का बेटा 
टी-107 सुल्ताना बाघिन का शावक.

Rajasthan News: राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व से निकला एक बाघ शावक कोटा के जंगलों में पहुंच गया है. इसकी मौजूदगी से ग्रामीण इलाकों में डर का माहौल है. वन विभाग ने इस बाघ की पहचान टी-107 सुल्ताना बाघिन के वयस्क शावक के रूप में की है. यह बाघ अपनी नई टेरिटरी की तलाश में रणथंभौर से चंबल नदी पार करते हुए पार्वती नदी के किनारे मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के कॉरिडोर तक पहुंचा है.

50 वनकर्मी तैनात, ड्रोन से निगरानी

बाघ के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए वन विभाग ने पूरी ताकत झोंक दी है. करीब 50 वनकर्मी और अधिकारी राजस्थान-मध्यप्रदेश सीमा पर पार्वती नदी के आसपास के जंगलों में तैनात हैं. कोटा वन मंडल के डीसीएफ अपूर्व श्रीवास्तव ने बताया कि बाघ की सुरक्षा और निगरानी के लिए 24 ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं. इसके अलावा ड्रोन कैमरे और थर्मल (नाइट विजन) ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. रणथंभौर, मुकुंदरा टाइगर रिजर्व और कोटा वन मंडल की टीमें मिलकर इसकी गतिविधियों पर नजर रख रही हैं.

शिकार से मिला मूवमेंट का सुराग

वन विभाग को बाघ की मौजूदगी का पता तब चला जब एक दिन पहले ग्रामीणों ने गाय के शिकार की सूचना दी. मौके पर पहुंची टीम ने जांच की और ट्रैप कैमरों में बाघ की तस्वीरें कैद हुईं. इन तस्वीरों से बाघ की पहचान टी-107 सुल्ताना के शावक के रूप में हुई. यह बाघ कोटा के इटावा रेंज के बालुपा, छापोल, संग्रामपुरा और झटवाडी जैसे गांवों के आसपास पार्वती नदी के जंगलों में घूम रहा है.

ग्रामीणों को अलर्ट, मुनादी कराई गई

बाघ की मौजूदगी से ग्रामीणों में दहशत है. वन विभाग ने लोगों को जंगल की ओर न जाने की हिदायत दी है. स्थानीय पुलिस और उपखंड प्रशासन को भी सूचना दी गई है. गांवों में मुनादी कराकर लोगों को सतर्क किया गया है ताकि कोई अनहोनी न हो.

पहले भी दिखा बाघों का मूवमेंट

हाड़ौती का जंगल बाघों के लिए हमेशा से अनुकूल रहा है. इससे पहले 9 फरवरी 2019 को रणथंभौर का टी-98 बाघ 200 किलोमीटर चलकर मुकुंदरा पहुंचा था. वह चंबल, पार्वती और कालीसिंध नदियों के रास्ते गागरोन से होते हुए मुकुंदरा में दाखिल हुआ था. हालांकि, जुलाई 2020 में उसकी मौत हो गई थी. रणथंभौर से बाघ अक्सर चंबल, कालीसिंध, पार्वती और मेज नदियों के रास्ते मुकुंदरा या बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व पहुंचते हैं. रामगढ़ को बाघों का जन्मस्थान भी माना जाता है.

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