
Rajashtna Judicial Staff Strike: राजस्थान में न्यायिक कर्मचारियों ने हड़ताल का ऐलान किया था. वहीं यह हड़ताल सात दिनों से जारी है. इस हड़ताल में राजस्थान के करीब 21 हजार न्यायिक कर्मचारी शामिल हैं जो न्यायिक कर्मचारी कैडर पुनर्गठन की मांग को लेकर 18 जुलाई से सामूहिक अवकाश पर हैं. हड़ताल को लेकर बताया जा रहा है कि साल 2023 के मई महीने में हाई कोर्ट की फुल बेंच ने कैडर पुनर्गठन का प्रस्ताव पारित कर इसे राज्य सरकार को भेजा था. लेकिन दो साल बीतने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. वहीं अब इस मुद्दे पर हड़ताल की वजह से पूरे प्रदेश की अधीनस्थ न्यायालय में काम काज ठप पड़ा है. लेकिन इसपर राजस्थान हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है.
राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के न्यायिक कर्मचारियों की सामूहिक छुट्टी और हड़ताल पर सख़्त रुख अपनाया है. कोर्ट में डकैती से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान यह मुद्दा उठने पर अदालत ने तीखी टिप्पणी करते हुए इसे घोर अनुशासनहीनता करार दिया.
वकील हड़ताल नहीं कर सकते तो कर्मचारी कैसे कर रहे
मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रजिस्ट्रार जनरल ने बिना सचिव से बात किए हड़ताल संबंधी जानकारी देने की बात स्वीकारी जिस पर अदालत ने पूछा कि जब वकीलों को हड़ताल का अधिकार नहीं तो सैलरी पाने वाले न्यायिक कर्मचारी कैसे हड़ताल कर सकते हैं. हाई कोर्ट ने न्यायिक कर्मचारियों की इस हड़ताल को अवैध घोषित करते हुए आदेश दिया कि कल सुबह 10 बजे तक सभी कर्मचारी ड्यूटी पर रिपोर्ट करें. हड़ताल नहीं खत्म करने पर रजिस्ट्रार जनरल RESMA लागू करें.
कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक प्रॉपर नोटिस नहीं दिया जाता, तब तक कर्मचारियों के खिलाफ RESMA के तहत कार्रवाई की जा सकती है. अदालत ने सभी ज़िला न्यायाधीशों को वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करने और ज़िला कलेक्टर से समन्वय बनाकर न्यायिक कामकाज चालू रखने के निर्देश दिए.
RESMA राजस्थान सरकार का कानून है
RESMA राजस्थान सरकार को एक कानून है जो जरूरी सेवाओं को बिना किसी रुकावट के चलाने के लिए बनाया गया है. अगर स्वास्थ्य, बिजली, जल आपूर्ति और न्यायिक सेवा जैसी जरूरी चीजों में रुकावट की जाती है तो इस कानून के जरिए सेवा देने वाले कर्मचारियों के हड़ताल को अवैध घोषित किया जा सकता है. इस कानून के तहत हड़ताल करने वाले कर्मचारियों दंडित किया जा सकता है. सजा के तौर पर इसमें जुर्माना, जेल और नौकर से बर्खास्त करने तक की कार्रवाई शामिल है.
हाई कोर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि कर्मचारी 28 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई तक काम पर नहीं लौटते, तो RESMA लागू किया जा सकता है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कर्मचारियों की मांगों पर विचार के लिए मई 2023 में ही एक प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा जा चुका है, लेकिन यह नीतिगत मामला है, जिसमें न्यायालय सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता.
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